धर्म व संस्कृति का प्रतीक श्रीराम नवमी पर्व धूमधाम से संपन्न

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

श्रीराम के आदर्शों से भारतीय संस्कार पूर्ण होते हैं-स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती

वेद प्रचार से ही मानव समाज श्रेष्ठ समाज बनेगा -सत्यवीर चौधरी



गाजियाबाद, 10-4-2022
को आर्य समाज राज नगर सेक्टर-5,में धर्म व संस्कृति का प्रतीक श्रीराम नवमी पर्व धूमधाम से संपन्न हुआ इस अवसर पर आचार्य रामेश्वर शास्त्री जी के ब्रह्मत्व में महायज्ञ संपन्न हुआ यज्ञोपरान्त यज्ञमानों को आशीर्वाद दिया 

बिजनौर से पधारे सुप्रसिद्ध भजनोंपदेशक श्री मोहित शास्त्री एवं प्रवीण आर्य ने श्री राम की महिमा पर भजनोपदेश के द्वारा श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 मुख्य अतिथि के रुप में पधारे वरिष्ठ पार्षद श्री राजेन्द्र त्यागी ने राम नवमी पर्व की सभी को बधाई देते हुए कहा कि यदि हम श्रीराम के आचरण को जीवन में उतारें तो पुन: राम राज्य की स्थापना हो सकती है और देश पुनः विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित होगा।

पलवल से पधारे स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने वैदिक संस्कृति के प्रकाश स्तंभ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन,व्यक्तित्व,कृतित्व और आदर्शों पर अपने उद्बोधन में कहा कि आज हम सब अपने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म उत्सव पर उनके जीवन चरित्र से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं हम से उनका जीवन हजारों गुना मर्यादित था इसलिए हमने उन्हें भगवान शब्द से विभूषित किया  श्री राम के आदर्शों से भारतीय संस्कार पूर्ण होते हैं उनका जीवन पूर्णता का प्रतीक है जिन जीवन मूल्यों के साथ उन्होंने जीवन व्यतीत किया उन्हें अपने जीवन में उतारना है तभी रामनवमी पर्व मनाना सार्थक है।

 आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित सदस्य श्री श्रद्धानंद शर्मा ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने रूढ़ियों व कुरितीयों का समूल नष्ट कर नई क्रांति का शंखनाद किया शबरी के बेर खाकर सामाजिक सम रसता और बराबरी का संदेश जनमानस को दिया समाज व राष्ट्र के लिए वनवास ग्रहण कर माता पिता की आज्ञा पालन कर संस्कारवान संतान का संदेश दिया उनका जीवन समाज के लिए समर्पित एक अच्छे भाई सुपुत्र और आदर्श राजा रहे हमें उनके गुणों को जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लेना चाहिए।

मंच का कुशल संचालन करते हुए समाज के यशस्वी मंत्री  सत्यवीर चौधरी ने कहा कि आर्यसमाज की स्थापना से वैदिक धर्म का पुनरुद्धार एवं रक्षा हुई है। यह कार्य सदा चलता रहना चाहिये। यदि इस कार्य में शिथिलता हुई तो इससे मानवता पर अनेक संकट आ सकते हैं। वेद प्रचार से ही मानव समाज श्रेष्ठ समाज बनेगा तथा कृण्वन्तों विश्मार्यम् से ही विश्व का कल्याण एवं उन्नति होगी।उन्होंने आगे कहा कि श्रीराम अयोध्या के राजा थे।वे बड़े प्रतापी,सहनशील,धर्मात्मा, प्रजापालक,निष्पाप,निष्कलंक थे।उन्हें ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने मानव समाज के लिए आदर्श व्यवहार की मर्यादाएं स्थापित कीं।महाराजा दशरथ ने श्री राम को युवराज बनाने का अपना विचार सारी परिषत् के सामने रखा। तब परिषत् ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए श्री राम के गुणों का वर्णन इस प्रकार किया ‘प्रजा को सुख देने में श्री राम चन्द्रमा के तुल्य हैं,वे धर्मज्ञ, सत्यवादी,शीलयुक्त,ईर्षा से रहित, शान्त,दुखियों को सान्त्वचना देने वाले,मधुरभाषी,कृतज्ञ और जितेन्द्रिय हैं।मनुष्यों पर कोई आपत्ति आने पर वे स्वयं दुःखी होते हैं और उत्सव के समय पिता की भान्ति प्रसन्न होते हैं।उनका क्रोध और प्रसन्नता कभी निरर्थक नहीं होती। वे मारने योग्य को मारते हैं और निर्दोषों पर कभी क्रोध नहीं करते थे।’

इस अवसर पर मुख्य रूप से श्रीमती आशा चौधरी,वन्दना अरोड़ा,शिल्पा गर्ग कोशल गुप्ता,सर्वश्री,सुभाष गर्ग, मगन सिंह त्यागी हरशरण त्यागी,प्रवीण आर्य,सुभाष चंद्र गुप्ता,शशिबल गुप्ता,राम निवास शास्त्री,शंकर लाल शर्मा,सुधीर धमीजा,गौरव आर्य,त्रिलोक शास्त्री आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।