लू या हीट वेव क्‍या है और इससे इनदिनों कैसे बचा जाए

क्लूटाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

Heat Wave News इनदिनों लू या हीट वेव से बचना बेहद जरूरी है। कुछ सावधानियां बरतनी होगी।

मेरठ। Heat Wave In India पूरे उत्‍तर भारत में लू या हीट वेव का कहर दिख रहा है। वेस्‍ट यूपी में मेरठ और आसपास के जिलों भी इससे प्रभावित हैं। ऐसे यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर लू या हीट वेव क्‍या है और इससे इनदिनों कैसे बचा जाए। लू के मौसम में कुछ सावधानियां बरतकर खुद को स्‍वस्‍थ रखा जा सकता है। मेरठ में भी तापमान 42 डिग्री की ओर बढ़ने को तैयार है।

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दोपहर के समय घरों से बाहर निकलना भी मुश्‍किल हो गया है। आने वाले समय में लू का प्रकोप और बढ़ जाएगा। सावधानी ही लू या हीट वेव से बचने का तरीका है। आपको यह भी बता दें कि मौसम विज्ञानियें के अनुसार भारत के कुछ क्षेत्रों खासकर उत्‍तर में हीट वेव या लू मार्च से जून महीने के समय चलना शुरू करती है और फिर यह सबसे अधिक मई महीने में चलती है। बस, इसी दौरान सबसे भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में घरों से बाहर निकलना भी कठिन हो जाता है।

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आखिर क्‍या है लू या हीट वेव

मैदानी क्षेत्र में जब भी तापमान 40 डिग्री या उससे अधिक हो जाता है तब लू या हीट वेव का असर दिखने लगता है। मौसम विज्ञानियों ने भी इसे परिभाषित किया है। मौसम विज्ञान विभाग आइएमडी के मुताबिक जब कभी मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू चलने लगती है और यह स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा असर डालती है। अत्यधिक गर्म मौसम की अवधि को हीट वेव कहते हैं। अक्‍सर पारा जब औसत से ऊपर चला जाता है तो भी लू चलने लगती है। एक बात और अगर किसी क्षेत्र में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो इसे खतरनाक लू की श्रेणी में रखा जाता है। तटीय क्षेत्रों में जब तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो हीट वेव चलने लगती है।

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लू के लक्षण पहचानें

- कमजोरी लगे तो सतर्क हो जाएं

- सिर दर्द होना, उल्टी आनी महसूस होना

- तेज पसीना और झटका जैसा अनुभव होना

- चक्कर आए तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श ले।

- मांसपेशियों में ऐंठन और पसीना अधिक आना

ऐसे करें लू से बचाव\

- साफ पानी ज्यादा पिये ताकि शरीर में पानी की कमी से होने वाली बीमारी से बचा जा सकें।

- हल्के, दीले ढाले सूती वस्त्र पहनें ताकि शरीर तक हवा पहुंचे और पसीने को सोख कर शरीर को ठंडा रखें।

- धूप में बाहर जाने से बचें, अगर बहुत जरूरी हो तो धूप के चश्मे छाता, टोपी एवं जूते या चप्पल पहनकर ही घर से निकलें।

- यात्रा करते समय अपने साथ बोतल में पानी जरूर रखें।

- गर्मी दिनों में ओआरएस का घोल का पियें।

- घरेलू पेय जैसे नींबू पानी कच्चे आम का पना, लस्सी आदि का प्रयोग करें। जिससे शरीर में पानी की कमी न हों।

- कार्यस्थल पर पीने के साफ पानी की समुचित व्यवस्था रखें।

यह सब करने से बचें

- धूप में खड़े वाहनों में बच्चों एवं पालतू जानवरों को न छोड़ें।

- दिन के 11 बजे से 3 बजे के बीच यदि संभव हो तो बाहर न निकले।

- गहरे रंग के भारी एवं तंग वस्त्र पहनने से बचें।

- खाता बनाते समय कमरे के दरवाजे के खिडकी एवं दरवाजे खुले रखें, जिससे हवा का आना

- नशीले पदार्थ, शराब तथा अल्कोहल के सेवन से बचें।

- उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचे तथा बासी भोजन न करें। 

इनका कहना है

तेज गर्मी और गर्म हवा के कारण लोगों में पेट खराब होना, कमजोरी, पाचन तंत्र कमजोर होना और थकान होना आम समस्या है। इसलिए बेल का शर्बत, नारियल पानी, सत्तू, शिकंजी, छाछ और लस्सी का नियिमत सेवन करना जरूरी है। इससे शरीर अंदर से ठंडा रहने के साथ ही मौसमी बीमारियों से भी बचाव होगा।

- डा. भावना गांधी, खानपान विशेषज्ञ, मेरठ