एनडीए ने एकजुटता की बदौलत पूर्वोत्तर भारत को कर दिया है 'कांग्रेस मुक्त'

क्लू टाइम्स। मोदीनगर, सूरेन्द्र कुमार गुप्ता, 9837117141एनडीए ने एकजुटता की बदौलत पूर्वोत्तर भारत को कर दिया है 'कांग्रेस मुक्त'

आफस्पा के तहत आने वाले अशांत क्षेत्रों को घटाया जाना दर्शाता है कि पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने के प्रयास रंग ला रहे हैं। हालिया वर्षों में उग्रवाद खत्म करने के लिए किए गए कई समझौतों, सुरक्षा स्थिति में सुधार और तेज़ी से हुए विकास के कारण पूर्वोत्तर का कायाकल्प हो गया है।

असम की बात करें तो वहां सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दो उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी के पबित्र मार्गरीटा और यूपीपीएल के रंग्रा नरजारी राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं जबकि कांग्रेस प्रत्याशी और निर्वतमान सांसद रिपुन बोरा विपक्षी सदस्यों द्वारा दूसरे उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने के कारण चुनाव हार गए। भाजपा प्रत्याशी पबित्र मार्गरीटा को 46 मत मिले जबकि रंग्रा नरजारी को 44 और रिपुन बोरा को 35 वोट मिले। पबित्र मार्गरीटा की जीत तय मानी जा रही थी लेकिन रंग्रा नरजारी की जीत कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। रिपुन बोरा संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार होने के बावजूद हार गये जो दर्शाता है कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के आगे विपक्ष की एक नहीं चल पा रही है। हम आपको बता दें कि असम विधानसभा के सभी 126 विधायकों ने मतदान किया और एक मत अमान्य पाया गया।

असम विधानसभा की दलीय स्थिति पर नजर डालें तो सत्तारुढ़ एनडीए के पास 79 सीटें हैं, जिनमें से भाजपा के पास 63, एजीपी के पास नौ और यूपीपीएल के पास सात सीटें हैं। सदन में विपक्षी सदस्यों की संख्या 47 है, जिनमें से कांग्रेस के 27, एआईयूडीएफ के 15, बीपीएफ के तीन और माकपा का एक सदस्य है जबकि तीन विधायक निर्दलीय हैं। विपक्षी बीपीएफ ने राज्यसभा चुनाव में एनडीए को समर्थन की घोषणा कर दी थी हालांकि उसका अभी तक औपचारिक रूप से एनडीए के साथ राजनीतिक गठबंधन नहीं हुआ है। विपक्षी दलों ने पहले घोषणा की थी कि वे सर्वसम्मति से कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करेंगे लेकिन रिपुन बोरा को 35 मत मिलने से संकेत मिलता है कि विपक्ष के सात विधायकों ने एनडीए उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया है। 

इस बीच खबर है कि कांग्रेस के दो विधायकों शशिकांत दास और शर्मन अली अहमद को पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। शशिकांत दास ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह एनडीए उम्मीदवारों के लिए मतदान करेंगे। इसके साथ ही कांग्रेस ने करीमगंज (दक्षिण) से विधायक सिद्दीकी अहमद को ‘‘पार्टी के मुख्य सचेतक वाजिद अली चौधरी द्वारा जारी तीन लाइन के व्हिप की जानबूझकर अवज्ञा’’ करने के लिए तत्काल प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। पार्टी ने कहा कि सिद्दीकी अहमद ने वोट करते वक्त जानबूझकर अंक के बजाय शब्द में लिखा जिससे उनका वोट अमान्य घोषित कर दिया गया।

हम आपको बता दें कि राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान बृहस्पतिवार को हुआ और मतगणना शाम पांच बजे शुरू हो गयी थी लेकिन पांच विधायकों के खिलाफ कांग्रेस की शिकायतों के कारण इसमें देरी हुई। मतगणना आखिरकार रात साढ़े 10 बजे शुरू हुई और देर रात तक चलती रही। मतगणना के दौरान सभी प्रत्याशी और उनके एजेंट मौजूद रहे। चुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि विजयी उम्मीदवारों को विपक्ष के ‘‘विवेकपूर्ण मत’’ मिले हैं। उन्होंने पहले ही एआईयूडीएफ को छोड़कर विपक्षी दलों से सत्तारुढ़ गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए वोट देने की अपील की थी। उन्होंने कहा, ‘‘असम ने एनडीए के दो उम्मीदवारों को निर्वाचित कर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया है।''

इस बीच, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्यसभा चुनावों में विपक्षी प्रत्याशियों के साथ विश्वासघात करने के बाद एआईयूडीएफ के पांच विधायक शुक्रवार को सुबह मुख्यमंत्री के आवास पर गए। पार्टी के प्रवक्ता मंजीत महंत ने कहा, ‘‘सोनई से विधायक करीमुद्दीन बरभुइया, बदरपुर से अब्दुल अजीत, चेंगा से अशरफुल हुसैन, जानिया से हाफिज रफीकुल इस्लाम और धींग से अमीनुल इस्माल को सुबह छह बजे सरमा के आवास में प्रवेश करते हुए देखा गया और वे सुबह करीब साढ़े आठ बजे वहां से बाहर आए।’’ बहरहाल, कांग्रेस सदस्यों रिपुन बोरा और रानी नारा की ओर से खाली हुई सीटों पर जीत हासिल करने के बाद पबित्र मार्गरीटा और रंग्रा नरजारी ने अपनी खुशी जाहिर की है।

त्रिपुरा की बात करें तो राज्य भाजपा के अध्यक्ष डॉ. माणिक साहा ने एकमात्र राज्यसभा सीट पर हुए चुनाव में जीत हासिल की है। डॉ. माणिक साहा को 40 वोट जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी माकपा उम्मीदवार भानु लाल साहा को 15 वोट मिले। हम आपको बता दें कि सत्तारुढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के घटक दल इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के एक विधायक ने मतदान नहीं किया। नगालैंड में भाजपा ने निर्विरोध चुनाव जीता। अब तक यहां की राज्यसभा सीट पर भाजपा की सहयोगी पार्टी एनपीएफ का कब्जा था।

जहां तक पूर्वोत्तर की राजनीति में भाजपा और एनडीए के बढ़ते दबदबे की बात है तो हालिया मणिपुर विधानसभा चुनावों में भाजपा ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर दोबारा सरकार बनाई है। इसके अलावा नगालैंड, असम और मणिपुर में आफस्पा के तहत आने वाले अशांत क्षेत्रों को घटाया जाना दर्शाता है कि पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने के प्रयास रंग ला रहे हैं। हालिया वर्षों में उग्रवाद खत्म करने के लिए किए गए कई समझौतों, सुरक्षा स्थिति में सुधार और तेज़ी से हुए विकास के कारण पूर्वोत्तर का कायाकल्प हो गया है। साथ ही आफस्पा के तहत आने वाले क्षेत्रों की संख्या में कमी होने से स्थानीय लोगों की बरसों पुरानी मांग भी पूरी हुई है।