रैपिड रेल के लिए आधुनिक तकनीक का नायाब नमूना

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

Delhi Meerut Rapid Rail रैपिड रेल के लिए बहती नदी में कुआं बनाकर पिलर खड़े किए जाएंगे।

मेरठ। लोग बारिश में ठीक से घर नहीं बना पाते हैं मगर बड़ी परियोजनाओं की इंजीनियरिंग ऐसी होती है जो बहती नदी में पिलर खड़ा कर देती है। ऐसा ही हो रहा है दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल कारिडोर के लिए। इस कारिडोर पर सरायकाले खां से साहिबाबाद वाले हिस्से पर यमुना नदी पड़ रही है। ऐसे में नदी में पुल बनाकर उसके ऊपर से रैपिड रेल दौड़ेगी। नदी पर पुल बनाने के लिए वेल फाउंडेशन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

jagran

कुएं की छत पर फाउंडेशन और उसके ऊपर पिलर

इस तकनीक में नदी के अंदर पहले कुआं बना लिया जाता है। फिर उसके ऊपर छत डाली जाती है। छत में सरिया व स्टील की राड निकालकर फाउंडेशन तैयार किया जाता है। इस फाउंडेशन के ऊपर पिलर खड़े कर लिए जाते हैं। नदी में झांकने पर पिलर और उसके फाउंडेशन ही सामान्य तौर पर दिखाई देते हैं। कुआं और उसकी छत नहीं दिखाई देती है।

jagran

ऐसे बनता है कुआं और उसके ऊपर पिलर

नदी में पानी के बहाव, गहराई आदि का अध्ययन करने के बाद उसी अनुसार बड़े आकार का स्टील स्ट्रक्चर का कुआं बनाया जाता है। फिर इसे मशीनों के सहयोग से नदी में डाला जाता है। इसे धीरे-धीरे उस सतह तक पहुंचाया जाता है जहां तक नदी की गहराई होती है। उसके बाद उस हिस्से का पानी निकाल लिया जाता है। फिर उसके बाद कुएं के अंदर क्रेन से खोदाई करके मिट्टी निकाली जाती है। मिट्टी की मजबूती की जांच की जाती है। जहां मजबूत सतह मिल जाती है वहां तक कुआं धंसा दिया जाता है। फिर सबसे नीचे त्रिकोणीय स्ट्रक्चर लगा दिया जाता है।

यह भी जानिए

कुएं को कंक्रीट की मोटी दीवार से तैयार कर लिया जाता है। उसके बाद कुएं की ऊपरी सतह पर छत बनाकर ढक दिया जाता है। इसी छत के ऊपर फाउंडेशन और पिलर तैयार किया जाता है। इस कुएं का आकार सामान्य कुआं, मौत का कुआं और कीप का मिश्रित रूप होता है। यानी सबसे नीचे का हिस्सा बेहद संकरा होकर त्रिकोणीय आकार ले लेता है। उसके बाद उसकी चौड़ाई बढ़ती जाती फिर उसे लंबी दूरी तक सामान्य गोलाई में कर लिया जाता है। यह कुआं खाली रहता है। न इसमें कंक्रीट भरी जाती है न ही इसमें पानी होता है।