नींबू की कहानी

 क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

नींबू की कहानी


आपको ध्यान नही होगा कि

1954 में जब dry milk powder (सूखा दूध) जब मार्केट में दिया तो कोई नही खरीद रहा था।


ये कम्पनियां बर्बाद होने को थी।

तब इन्होंने BAD MARKETING का एक घटिया तरीका निकाला।

उन्होंने रोज़ाना मार्केट से सारा दूध चुपचाप से खरीद के नालियों में फिकवाना शुरू कर दिया।

लोगों के पास सूखा दूध खरीदने के अलावा कोई और विकल्प नही बचा।

लगभग तीन महीने ये गंदा खेल चलता रहा।

इनका product market में demand पे आ गया।

सूखे दूध के दाम भी बढ़ाए और सारा खर्चा निकाल लिया।

1954 के बाद अब नींबू महंगा होने के पीछे कहीं शीतल पेय बनाने वाली कंपनियों की यही ट्रिक तो नही. क्योंकि अबकी बार लोगों में कोल्ड ड्रिंक्स के ख़िलाफ़ जागरूकता जाग चुकी है।

मंथन कीजिएगा।   

कहां जा रहे है नींबू ?

शिकंजी की जगह आम पन्ना पिएं और पिलाएं।

परंतु ज़हर को ना पनपने दे।

जय स्वदेशी, जय भारत। जय जय भारत।।