जानिए, नेशनल पब्लिक हेल्थ एक्ट क्या है? यह कब तक लागू हो सकता है?

  क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

जानिए, नेशनल पब्लिक हेल्थ एक्ट क्या है? यह कब तक लागू हो सकता है?

नरेंद्र मोदी सरकार के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून (एनपीएचए) के रूप में सामने आई है, जिसका मसौदा तैयार किया जा रहा है। मसौदा तैयार होने के बाद इस पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों, अन्य सम्बन्धित विशेषज्ञों और आम जनता की भी राय ली जाएगी।

जानकारों के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सक्षम विभाग द्वारा वर्ष 2017 से ही इस अहम बदलाव की कोशिश शुरू कर दी गई थी। लेकिन द्विवर्षीय चरणबद्ध कोरोना महामारी कोविड-19 के वर्ष 2020 और 2021 के दौरान देखे गए व्यापक असर और उसको नियंत्रित करने के किये जा रहे तमाम उपायों के बीच ऐसे किसी नए अधिनियम की जरूरत सरकार को और अधिक महसूस हुई। जिसके बाद इस नए राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम 2022 के मसौदे को बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई, जो अपने अंतिम चरण में है।

इस सम्बन्ध में एक केंद्रीय अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून यानी नेशनल पब्लिक हेल्थ एक्ट (एनपीएचए) बनाने पर साल 2017 से ही विचार चल रहा है। क्योंकि पहले से अब अधिक सक्रिय हुई केंद्र सरकार में उच्च स्तर पर यह साफ महसूस किया गया है कि 125 साल पुराना कानून ईडीए-1897 देश के स्वास्थ्य-तंत्र की बुनियादी जरूरतों, बीमारीगत आवश्यकताओं तथा नए परिस्थितियों और चुनौतियों के हिसाब से अब प्रभावी साबित नहीं हो पा रहा है। इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई नई व्यवस्था बनाने की जरूरत है। 

बहरहाल, यही नई व्यवस्था अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून (एनपीएचए) के रूप में सामने आई है, जिसका मसौदा तैयार किया जा रहा है। मसौदा तैयार होने के बाद इस पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों, अन्य सम्बन्धित विशेषज्ञों और आम जनता की भी राय ली जाएगी। उसके बाद सभी संबंधित पक्षों से राय-मशविरा करने और तत्सम्बन्धी जरूरी परिवर्तनों के बाद इसी मानसून सत्र (साल 2022) में इसे संसद में विचार-विमर्श के लिए पेश किया जा सकता है। ततपश्चात वहां से पारित होने और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून 125 साल पुराने अंग्रेजों के बनाए उस कानून की जगह लेगा, जिसको "महामारी बीमारी अधिनियम यानी एपिडेमिक डिजीज एक्ट-1897" कहा जाता है।

प्राप्त जानकारी के मत, यह देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहद महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने वाला कानून साबित होगा, जो एक साथ कई स्तरों पर लंबे समय तक अपना असर दिखाएगा। जिसकी जरूरत आम भारतीयों द्वारा एक शिद्दत से महसूस की जा रही है। उच्च पदस्थ लोगों ने बातचीत के दौरान इस नये कानून के स्वरूपों और प्रावधानों आदि के बारे में जो कुछ संकेत दिए हैं, उन्हें जानना-समझना अब हर किसी के लिए बेहद अहम हो सकता है ताकि वो एक दूसरे के काम आ सके। इसलिए पाठकों को इसके बारे में मैं विस्तार पूर्वक यहां बता रहा हूँ।

# समझिये, कब और कैसे अधिक आवश्यकता महसूस हुई इस नए राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून की

जानकारों की मानें तो राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून (एनपीएचए) बनाने पर 2017 से ही विचार चल रहा है। क्योंकि केंद्र सरकार में उच्च स्तर पर यह साफ महसूस किया गया कि 125 साल पुराना ईडीए 1897 नामक कानून इस देश के स्वास्थ्य-तंत्र की बुनियादी जरूरतों, रुग्ण व्यक्तियों की आवश्यकताओं तथा नए परिस्थितियों और चुनौतियों के हिसाब से बेहद प्रभावी साबित नहीं हो पा रहा है। इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई नई व्यवस्था बनाने की जरूरत है। फिर इसी बीच 2019 के आखिर में जब कोरोना महामारी कोविड 19 का वैश्विक स्तर पर प्रसार हुआ, तब एनपीएचए की आवश्यकता और भी अधिक महसूस की गई। तब जाकर इस पर फिर कार्रवाई भी तेज हुई जिसका सकारात्मक परिणाम शीघ्र ही आपके सामने आने वाला है।

# जानिए प्रस्तावित नया कानून किस-किस तरह की स्थितियों-परिस्थितियों से निपटेगा, जिससे आपको लाभ मिलेगा

राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून यानी एनपीएचए, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं परिवार-कल्याण विभाग से जुड़े सभी पहलुओं से कुशलता पूर्वक निपटेगा। क्योंकि इसमें आधुनिक समय की कड़ी चुनौतियों के अनुरूप ही कतिपय विशिष्ट प्रावधान भी किए जा रहे हैं, ताकि यह जैविक-आतंकवाद जिसमें आतंकी जैविक हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं), परमाणु या रासायनिक हमला, प्राकृतिक आपदा, सभी तरह की संक्रामक बीमारी आदि से उपजने वाली परिस्थितियों से निपटने में सक्षम हो। इससे आमलोगों को तत्काल लाभ मिलेगा औए एक बड़ी राहत महसूस होगी, जिससे हर कोई इस नए अधिनियम का आभारी रहेगा।

# आंकिए, किस किस तरह की नई व्यवस्था हो सकती है प्रस्तावित राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून नामक नए कानून में, ताकि ऊपर से नीचे तक सबको मिले फायदा

जानकारों के मुताबिक, नए कानून के तहत चार विभिन्न स्तरों का एक तंत्र बनाया जा सकता है। जिसके हर स्तर पर एक संगठित इकाई होगी, जिसकी शक्तियां और कामकाज स्पष्ट रूप से परिभाषित किए जाएंगे। ताकि भविष्य में नीतिगत फैसले लेते समय किसी को कोई बाधा महसूस नहीं हो। जैसे- केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनपीएचए) गठित किया जा सकता है, जिसके प्रमुख केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री होंगे। इसी तरह की दूसरी इकाई राज्य स्तर पर भी बनाई जा सकती है, जिसकी अध्यक्षता सम्बन्धित राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री करेंगे। वहीं, तीसरा स्तर जनपदों/जिलों में होगा, जहां स्थानीय कलेक्टर यानी डीएम की अध्यक्षता में ऐसी ही इकाई बनेगी। चौथा स्तर ब्लॉक यानी विकास खंड में होगा, जहां विकास खंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) प्रमुख होंगे। 

बताया जाता है कि चारों स्तर के शीर्ष व्यक्ति और उसके नेतृत्व में बनाई गई टीम को गैर-संक्रामक और संक्रामक बीमारियों आदि से निपटने के लिए अपने दायरे में सभी तरह के कदम उठाने तथा निर्णय लेने का पूरा अधिकार होगा, जिसका त्वरित लाभ आम जनता को मिल सकेगा।

इससे किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति-परिस्थिति से समय रहते ही निपटा जा सकेगा। अब भले ही इस नए कानून को लेकर समर्थकों और विरोधियों में आपाधापी मची हो, लेकिन कौन सही है और कौन गलत, इसका जवाब वक्त देगा या व्यवस्था देगी। इस बारे में किसी तरह की अटकलें लगाना बुद्धिमानी कम, मूर्खता ज्यादा होगी।