मोदीनगर का अंतिम संस्कार स्थल

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141) 

मोदीनगर का अंतिम संस्कार स्थल

करोड़ों रुपए खर्च कर मकान या फ्लैट लेने वाले लोग आसपास दूध और राशन की दुकान तथा बच्चों के लिए विद्यालय या चिकित्सा की सुविधा के लिए तो जानकारी प्राप्त करते हैं परंतु कभी भी यह नहीं पूछा जाता कि यहां श्मशानघाट कहां है। क्या श्मशानघाट एक गैर जरूरी सुविधा स्थल है? स्थानीय निकाय अन्य सुविधाओं के साथ श्मशान घाट की आवश्यकता को भी समझते हैं और अपनी योजनाओं में इसे शामिल करते हैं। हालांकि अधिकांश जगहों पर श्मशान घाटों की दशा अच्छी नहीं मिलती है। श्मशान घाट के विकास में भी भ्रष्टाचार के किस्से खूब होते हैं। मुरादनगर में पिछले वर्ष श्मशान घाट में वहां की नगरपालिका द्वारा बनवाई गई छत के भरभराकर गिर जाने से अंतिम संस्कार करने के लिए आए दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी। ग्रेटर नोएडा में एक श्मशान घाट के विकास के लिए संघर्ष करने वाले गोस्वामी सुशील महाराज ने तत्कालीन प्राधिकरण अध्यक्ष ब्रजेश कुमार से भेंट की। ब्रजेश कुमार गोस्वामी जी की इच्छा अनुसार पैसा खर्च करने को तैयार नहीं थे तो उन्होंने विनम्रता पूर्वक उनसे पूछ लिया,- क्या कभी वहां नहीं आओगे।' एक निकट संबंधी की मृत्यु होने पर मोदीनगर के हापुड़ रोड स्थित श्मशान घाट जाना हुआ। यहां की तस्वीर थोड़ी अलग दिखाई दी।यह नगर पालिका परिषद द्वारा निर्मित है। प्रवेश द्वार से अंदर दाह संस्कार स्थल तक गलियारे पर स्थानीय विधायक डॉ मंजू सिवाच ने अपनी विधायक निधि से शानदार शेड का निर्माण कराया है। अंदर मृतक को गंगाजल से नहलाने के लिए पवित्र जलधारा स्थल बनाया जा रहा है।आधा दर्जन संस्कार स्थल बने हुए हैं जिन्हें आधुनिक शेड से आच्छादित किया गया है।दाह संस्कार के लिए उचित दर पर लकड़ी की व्यवस्था नगर की पंजाबी समिति द्वारा की जाती है। समूचे परिसर में देव मूर्तियां, छायादार वृक्ष और पुष्पित पल्लवित पौधे यहां अपने प्रियजन को अंतिम विदाई देने के लिए आने वाले शोक संतप्त लोगों को थोड़ी राहत प्रदान करते हैं। पिछले 23 वर्षों से यहां अकेले मृतक संस्कार कर रहे महाब्राह्मण महेश शर्मा बताते हैं कि पहले यहां की दशा बेहद खराब थी।उनके प्रयास और नगर पालिका परिषद द्वारा तवज्जो देने से इस स्थल को सुविधा सम्पन्न बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में यहां 40 मृतकों तक का अंतिम संस्कार एक एक दिन में किया गया। यहां एक रजिस्टर रखा है जिसमें अंतिम संस्कार के लिए आने वाले मृतकों का ब्यौरा दर्ज किया जाता है।इसी ब्यौरे के आधार पर नगर पालिका से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होता है।बीस हजार से अधिक मृतकों का अंतिम संस्कार करा चुके महेश शर्मा को अपने इस कार्य पर गर्व है। उन्हें लगता है कि ईश्वर ने उन्हें इस महत्वपूर्ण कार्य का दायित्व देकर विशेष अनुकंपा की है। उन्होंने बताया कि मृतकों से उतरने वाले कपड़े यथा चादर आदि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग ले जाते हैं। निकट संबंधी की अंतिम यात्रा में मेरी उपस्थिति यहीं तक थी। मैं दुखी मन से वापस अपनी जीवन यात्रा में लौट आया।

(साभार-नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)