अबला नहीं सबला है नारी तू नारायणी है तू रणचण्डी है दुर्गा स्वरूपा

 क्लूटाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

हमने अपने शब्दों के माध्यम से भाषण में अबला नहीं सबला है नारी तू नारायणी है तू रणचण्डी है दुर्गा स्वरूपा है कहते -कहते दीन,दरिद्र, दुर्बल बना देते हैं अभिव्यक्ति में।आशा का आंचल हाथ की पकड़ से छूटता है ।उम्मीदों का आसमान फट पड़ता है ।दिल की आवाज धीमी होकर कानों में नहीं पड़ती ।

वह सबला बनने से पूर्व हैवानियत की शिकार हो जाती है ।रणचण्डी बने इससे पहले ही वहशियों के हाथों में पड़ कर लाचार हो जाती है ।दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती बनने की राह पर चलने को होती है कि दरिंदे मिलकर नोचकर मौत की नींद सुला देते हैं ।

गीतोप्देश है कि जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान।तो उनकी नियति में अनहोनियों का क्या कारण समझें हम?परिजनों ने अपमान का घूँट पिया, बेटी की विदाई बिना किए झेली ।दूसरी ओर कुकर्म करने वालों का हाल बेहाल कब होगा भविष्य के गर्भ में होता है ।

इससे आगे हम चर्चा समाज के उस जागरूक वर्ग के लिए करना चाहते हैं जो इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ न्याय और सजा की मांग करते हुए पुरजोर आवाज उठाते हैं ।यहाँ तो सामाजिक संगठन व विपक्ष राजनीतिक स्तर से उठाते हैं ।दूसरी ओर जिस जाति की पीडि़त होती है उसी पक्ष के सुर न्याय के लिए उठाते हैं।तीसरी हमारे देश में धर्म भी एक अहम सशक्त रूप से आवाज उठाने का काम करता है।हमारा संविधान समानता के आधार पर है ,जाति व धर्म, व क्षेत्रवाद से परे है।परंतु हम अपनी वर्जनाओं को तोड़ना नहीं चाहते ।घटना घटी और हम अपने खोल में घुस कर आवाज उठाते हैं ।जबकि हम सोचते हैं कि बेटी किसी भी वर्ग की हो ,किसी भी जाति की हो ,किसी भी धर्म की हो यदि उसके साथ अनहोनी हुई है तो हम सभी को मिल कर उसे न्याय मिले यह आवाज उठानी चाहिए।इसी प्रकार जुल्मी कोई भी हो निष्पक्ष रह कर उसे सजा दिलाने के लिए संघर्ष करना चाहिए।

 आज के लिए बस इतना ही ।लेकिन अंत में जरूर कहूँगी कि विचार अपना जुदा होता है । जरूरी नहीं कि आप इत्तेफाक रखें ।


अनिला सिंह आर्य