विदेशी कोयला खरीदा तो बेहिसाब बढ़ेगी बिजली की दरें, यूपी नियामक आयोग का उत्पादन निगम से जवाब-तलब

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

निकट भविष्य में आपको महंगी बिजली का तगड़ा झटका लग सकता है।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। निकट भविष्य में आपको महंगी बिजली का तगड़ा झटका लग सकता है। कारण है कि केंद्र सरकार के कहने पर राज्य के बिजली उत्पादन गृहों (थर्मल पावर प्लांट) में 10 प्रतिशत विदेशी कोयले का इस्तेमाल किए जाने की तैयारी है। घरेलू कोयले की तुलना में आयातित कोयला लगभग 10 गुना ज्यादा महंगा है। महंगा विदेशी कोयला खरीदने के लिए पावर कारपोरेशन के साथ ही उत्पादन निगम के अध्यक्ष एम. देवराज ने राज्य सरकार से अनुमति मांगी है। इस बीच उपभोक्ता परिषद द्वारा विदेशी कोयला खरीदने पर रोक लगाने संबंधी दायर याचिका पर नियामक आयोग ने उत्पादन निगम से जवाब-तलब किया है।

आयोग ने कई सवालों के साथ ही यह भी पूछा है कि क्या उत्पादन निगम की पुरानी मशीनों में आयातित कोयला इस्तेमाल किया जा सकेगा? दरअसल, कोयला संकट के चलते कुछ माह पूर्व जिस तरह से बिजली का उत्पादन प्रभावित हुआ था उसको देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों से थर्मल पावर प्लांट में 10 प्रतिशत विदेशी कोयले के इस्तेमाल के लिए कहा है। केंद्र के कहने पर राज्य के प्लांट के लिए विद्युत उत्पादन निगम को विदेशी कोयला खरीदने की टेंडर प्रक्रिया पूरी करनी है।

निगम द्वारा विदेशी कोयला खरीदने की भनक लगने पर विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सोमवार को नियामक आयोग में याचिका दाखिल कर इस पर रोक लगाने की मांग की थी। परिषद की याचिका पर मंगलवार को आयोग ने उत्पादन निगम से विदेशी कोयला खरीदने के संबंध में कई सवाल उठाते हुए तत्काल जवाब-तलब किया है। आयोग ने निगम प्रबंधन से जानना चाहा है कि जिस विदेशी कोयले को खरीदने की तैयारी चल रही है उसकी जीसीवी (ग्रास कैलोरिफिक वैल्यू) बहुत ज्यादा होने से क्या उत्पादन निगम की पुरानी मशीनों में वह इस्तेमाल किया जा सकेगा? क्या निगम ने इस पर पावर कारपोरेशन से कोई राय ली है? आयोग ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि सवालों के जवाब न मिलने पर विदेशी कोयले के खर्चे को वह खारिज कर देगा जिसके लिए निगम ही जिम्मेदार होगा। 

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि असंवैधानिक तरीके से विदेशी कोयला खरीदने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। प्रदेश में कोयले की कमी नहीं है। पांच दिनों में पारीछा में ही 20 रैक कोयला पहुंचा है। गौर करने की बात यह है कि घरेलू लिंकेज के आधार पर उत्पादन इकाइयों को 1700 रुपये प्रति टन में कोयला मिल रहा है जबकि विदेशी कोयला लगभग 17 हजार रुपये प्रति टन है। आयातित कोयले के मात्र 10 प्रतिशत के इस्तेमाल से ही बिजली की दर तकरीबन 50 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। वर्मा ने विदेशी कोयला खरीदने में साजिश की आशंका जताते हुए कहा है कि उपभोक्ता परिषद इसकी तह तक जाएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करेगा।

आयोग ने यह भी पूछा है निगम से

  • वर्तमान में निगम द्वारा कारपोरेशन को तय लक्ष्य के मुताबिक बिजली देने में क्या दिक्कत आ रही है?
  • पिछले एक माह में उत्पादन की क्या स्थिति रही है?
  • क्या कोयले की कोई कमी सामने आई है?
  • कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे द्वारा रैक उपलब्ध कराने में यदि दिक्कत हो तो निगम बताए कि विदेशी कोयला कैसे मिलेगा?
  • सिर्फ निगम द्वारा ही विदेशी कोयला क्यों खरीदा जा रहा है? दूसरे उत्पादक क्यों नहीं ले रहे हैं?
  • भविष्य में बिजली की मांग क्या घरेलू कोल ङ्क्षलकेज से पूरी हो जाएगी?
  • यदि विदेशी कोयले से बिजली का उत्पादन होगा तो मेरिट डिस्पैच आर्डर पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
  • विदेशी कोयले के लिए सरकार या बोर्ड आफ डायरेक्टर की क्या अनुमति ली गई?