इन 5 किरदारों ने कुछ तरह सजाई फिल्डिंग, विपक्ष के चक्रव्यूह में फंस गए नियाज़ी और गिर गया इमरान का विकेट

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141इन 5 किरदारों ने कुछ तरह सजाई फिल्डिंग, विपक्ष के चक्रव्यूह में फंस गए नियाज़ी और गिर गया इमरान का विकेट

इमरान को पाकिस्तान की सियासत से बेदखल करने के पीछे पांच बड़े किरदार हैं। इन पांच किरदारों ने इमरान के खिलाफ सियासत का ऐसा चक्रव्यूह रचा की वो बुरी तरह फंस गए।

शहबाज शरीफ

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई, शहबाज शरीफ पिछले हफ्ते में देश के बड़े नेता के रूप में उभरकर सामने आए। उन्होंने संसद और देश की शीर्ष अदालत दोनों में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर लड़ाई लड़ी। पाकिस्तान के प्रधान मंत्री के रूप में इमरान के निष्कासन के बाद, शहबाज शरीफ ने कहा: "एक नई सुबह शुरू हो गई है। एक नया दिन आ रहा है।

बिलावल भुट्टो जरदारी

बेनजीर भुट्टो और आसिफ अली जरदारी के बेटे बिलावल ने पिछले एक महीने में मुख्य भूमिका निभाई। भुट्टो महज 19 साल की उम्र में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बने। 33 साल के बिलावल ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। बिलावल को पाकिस्तान में प्रगतिशील विचारों वाला नेता माना जाता है। क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष के लिए एक रैली स्थल बन गया। बिलावल ने विधानसभा भंग करने के इमरान के कदम को खारिज कर दिया था और संसद में धरना देने की धमकी दी थी। बाद में विपक्ष ने  विपक्ष ने स्पीकर के फैसले को उलटने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। विपक्ष को एक साथ लाने के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख रणनीतिकार के रूप में उभरे और अविश्वास प्रस्ताव पर राजनीतिक अराजकता के बीच अपना आधार बनाए रखा।

मौलाना फजलुर रहमान

रहमान लंबे समय से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रतिद्वंद्वी रहे हैं और कई बार पूर्व क्रिकेटर को निशाने पर लेते रहे हैं।  दरअसल, दोनों नेता अक्सर एक-दूसरे पर निशाना साध चुके हैं। अब उन्होंने कई सारी सेक्युलर पार्टियों के साथ गठबंधन किया है। फजलुर की जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ) अपने दम पर तो कभी सरकार नहीं बना पाई लेकिन हमेशा किसी न किसी सरकार के साथ गठबंधन के रूप में रही। रहमान के जमीयतुल उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) के नई सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है। पिछले महीने उन्होंने पूरे देश को इस्लामाबाद की ओर "मार्च" करने का आह्वानहन किया था। उन्होंने विपक्षी दलों को अविश्वास प्रस्ताव में इमरान की सरकार से मुकाबला करने के लिए प्रेरित किया था।मरियम नवाज

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम हमेशा से राजनीति में सक्रिय नहीं थीं। उन्होंने 40 साल की उम्र में राजनीति पहला कदम रखा। साल 2012 में अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाली मरियम ने 2013 में हुए आम चुनाव में अपने पिता नवाज शरीफ के चुनावी कैंपेन का नेतृत्व किया। 2013 में जब नवाज पीएम बने तो मरियम ने पार्टी की यूथ विंग का जिम्मा संभाला। फिलहाल मरियम पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। मिल्स भ्रष्टाचार मामले में नवाज शरीफ के अलावा उनका नाम  भी सामने आया था जिसके बाद मरियम को भी सजा हुई थी। इसके  साथ ही उनके चुनाव लड़ने तक पर 10 साल की रोक लग गई थी। हालांकि लाहौर हाई कोर्ट से मरियम को बेल मिल गई जिसके बाद उन्होंने पार्टी की कमान संभाल ली। मरियम ने इमरान खान के खिलाफ 2020 में कई बड़ी रैलियों का नेतृत्व किया। इमरान के खिलाफ मुखर रहते हुए उन्होंने तत्तकालीन सरकार के खिलाफ माहौल तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

जनरल कमर जावेद बाजवा

पाकिस्तान में इमरान खान का साथ एक एक कर सहयोगियों ने छोड़ना शुरू किया तो इसमें कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना का बड़ा हाथ था। एक तरफ तो कमर जावेद बाजवा के कमान वाली सेना कहती रही कि वो राजनीतिक मामलों पर तटस्थ रहेगी। इमरान के सियासी संकट के पीछे उनका सेना के खिलाफ जाना ही अहम रहा है। एक के बाद एक इमरान के फैसलों ने ही सेना पर उनके विश्वास को अविश्वास में बदल दिया। इमरान और सेना के बीच रार की सबसे पहली नजीर पिछले साल अक्टूबर में सामने आई थी, जब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ के ट्रांसफर को लेकर दोनों के बीच तनातनी हो गई थी। शायद इमरान खान ये भूल गए कि वो उस पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं, जिसकी सेना के बारे में एक कहावत बेहद मशहूर है. कहा जाता है कि किसी भी देश के पास एक सेना होती है लेकिन पाकिस्तानी सेना के पास पूरा देश है। 

ये वो किरदार हैं जिन्होंने इमरान खान को अपने चक्रव्यूह में  ऐसा फंसाया की उनकी विदाई तय कर दी। पाकिस्तान की क्रिकेट का सुपरस्टार आज सत्ता की लड़ाई हार गया।