बचपन-कविता

 कविता


यह बचपन ही है।

जो तहजीब से परे है ।

मुहब्बत से लवरेज है।

नफरत से परे है।

यह बेफिक्र बचपन है ।

बड़ों को भी बच्चा बना देता है ।

भूल कर ऊँच नीच  को ।

समान धरा पर बिठा देता है।

यह बचपन है मत भूल उसे 

जीवन्तता है जिंदगी की उसमें।

अलविदा नहीं कहना उसे ।

संजो कर रखना सदा उसे दिलमें।

अनिला सिंह आर्य