विश्वविद्यालय के कुलपति फैजान मुस्तफा ने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य एक सुरक्षित और समावेशी परिसर बनाना है। इस पहल के मुताबिक अब वॉशरूम तक जेंडर न्यूट्रल बनाया गया है।यूनिवर्सिटी के जीएच -6 बिल्डिंग में लेस्बियन, गे और ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए कमरे भी आवंटित किए जा चुके हैं।
दूर होगी भेदभाव
यूनिवर्सिटी द्वारा इस पहल को शुरू करने से ट्रांसजेंडर और LGBTQ+ समुदायों को भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ेगा। एक ही कैंपस में साथ रहने से यह समस्याएं दूर होंगी।उल्लेखनीय है कि, साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने देश में मेल, फीमेल और थर्ड जेंडर के हर फॉर्म को शुरू करने का आदेश दिया था जिसके बाद भी थर्ड जेंडर के लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ता था। हैदराबाद यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के इस फैसले के बाद अब छात्र-छात्राएं शैक्षणिक गतिविधियों में खुलकर रहेंगे और हर किसी को सम्मान और बिना किसी भेदभाव के शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करेंगे।
कहां से आया ऐसा अनोखा आइडिया
साल 2015 में 22 साल के बीए एलएलबी की एक छात्र ने यूनिवर्सिटी से अपने प्रमाणपत्र में उसकी लिंग की पहचान का जिक्र नहीं करने की मांग की थी। तब यूनिवर्सिटी ने छात्र की मांग को स्वीकार करते हुए उसके सर्टिफिकेट में लिंग का अनुरोध नहीं किया। इसके बाद से यूनिवर्सिटी ने इस पहल पर अपना फैसला लेते हुए देश की ऐसी पहली यूनिवर्सिटी बन गई है जहां अब हर कोई समान होगा।