जीत का राज: दो साल से 4.25 लाख कार्ड धारकों को राशन का वितरण, 32 लाख लोगों को कोरोनारोधी टीके की 58 लाख डोज लगीं, अपराध कम हुए और अपराधी छोड़ गए जिला, अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट स्थापित कराए गए

गाजियाबाद. कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर एक साल से अधिक समय तक चले आंदोलन की आंच विधानसभा चुनाव में भाजपा के परिणाम पर पड़ने की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन कोरोना प्रबंधन, कानून व्यवस्था व डबल राशन वितरण ने विरोध की यह आंच धीमी कर दी। यही वजह है कि पश्चिम का हिस्सा होने के बावजूद गाजियाबाद के चुनाव परिणाम पर आंदोलन का कोई असर नहीं पड़ा। पांचों सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों की जीत का राज भी महीने में दो बार निश्शुल्क राशन वितरण और कोरोना महामारी से बचाव में कारगर हुए टीके की डोज लगाया जाना रहा है।
रिपोर्ट पर गौर करें तो मार्च 2020 में लाकडाउन लगने के साथ ही केंद्र एवं प्रदेश सरकार ने संयुक्त तौर पर घरों में रहने वाले लोगों को प्रति यूनिट तीन किलो गेंहू और दो किलो चावल निश्शुल्क देने का निर्णय लिया। महीने में एक बार की जगह राशन का वितरण दो बार कर दिया गया। चने भी दिए गए। कोरोना को भूलकर 40 हजार से अधिक लोग राशन कार्ड बनवाने को लाइन में लग गए। जिले की 4.25 लाख पात्र गृहस्थी राशन कार्ड धारकों के सापेक्ष 18 लाख यूनिटों को प्रति माह 1.76 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है। प्रदेश सरकार और भाजपा संगठन ने राशन वितरण को वोट में बदलने के लिए जोर लगाया और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राशन वितरण भी कराया। 559 राशन की दुकानों पर लगातार राशन बट रहा है। इसी के साथ कोरोना से बचाव के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्थानीय स्तर पर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग ने पहली लहर में क्वारंटाइन सेंटर खुलवाए। कोविड अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए बेहतर इंतजाम कराए। जिला एमएमजी, संयुक्त अस्पताल और महिला अस्पताल में कोरोना के बीच बीमार लोगों को निश्शुल्क इलाज का इंतजाम कराया गया। दूसरी लहर में आक्सीजन की किल्लत को देखते हुए चार सीएचसी समेत नौ सरकारी अस्पतालों में 11 आक्सीजन प्लांट स्थापित कराए गए। कोरोना से बचाव के लिए 16 जनवरी 2021 से कोरोनारोधी टीकाकरण का आगाज किया गया। अब तक जिले के 32 लाख लोगों को टीके की 58 लाख डोज लग चुकी हैं। टीकाकरण का ही असर है कि तीसरी लहर बेहद निष्प्रभावी रही। कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए पुलिस, प्रशासन के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने लगातार बैठकों के माध्यम से समीक्षा की और अपराध पर अंकुश लगाया गया। किसान आंदोलन का असर शहर तो दूर देहात क्षेत्र की लोनी और मोदीनगर विधानसभा सीट के नतीजों पर भी नहीं पड़ा।