बचपन-कविता


हमें बड़ा नहीं बनना 

बड़ा बनके काट छांट 

नहीं करना हमें 

क्या हुआ वर्षों की 

गिनती बढ़ गयी 

क्या हुआ उम्र की राह मेँ

ताकत कुछ कम हो गयी 

लेकिन मुस्कराने का अंदाज

खिलखिलाने का अंदाज 

तो आज भी वही है 

वह न बदला है 

न बदलेगा 

यदि मेहरबानी 

रही ऊपरवाले की 

यही वो दौलत है जो 

चोर चुरा नहीं सकता 

चाहे जतन करे लाख 

यही बचपन है भोला 

बड़ा बनने ही नहीं देता

अनिला  आर्य