यूक्रेन मामले पर सावधानी से कदम आगे बढ़ा रहा है दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारी देश चीन

यूक्रेन मामले पर सावधानी से कदम आगे बढ़ा रहा है दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारी देश चीन

आजकल चीन और रूस का संबंध वैसा कटु नहीं है, जैसे माओ और ख्रुश्चौफ के जमाने में था। आजकल ये दोनों राष्ट्र गलबहियां डाले हुए हैं। चीन की फौज और अर्थव्यवस्था इस समय इतनी बड़ी है कि चीन जब चाहे रूस की सहायता कर सकता है।

आजकल चीन और रूस का संबंध वैसा कटु नहीं है, जैसे माओ और ख्रुश्चौफ के जमाने में था। आजकल ये दोनों राष्ट्र गलबहियां डाले हुए हैं। चीन की फौज और अर्थव्यवस्था इस समय इतनी बड़ी है कि चीन जब चाहे रूस की सहायता कर सकता है। चीन और रूस शांघाई सहयोग संगठन के सदस्य भी हैं। इसके बावजूद यूक्रेन के सवाल पर चीन ने कभी रूस के समर्थन में वोट नहीं दिया। जब भी सुरक्षा परिषद, महासभा या मानव अधिकार परिषद में यूक्रेन का मामला उठा तो उसने खुलकर रूस के समर्थन में एक शब्द भी नहीं बोला। इस सावधानी का रहस्य क्या है? वह भारत की तरह तटस्थ क्यों हो गया है? भारत की तो मजबूरी है, क्योंकि रूस और अमेरिका, दोनों के ही भारत से अच्छे संबंध हैं। यों भी भारत अपनी गुट-निरपेक्षता या तटस्थता के लिए जाना जाता रहा है। चीन की तटस्थता का जो रहस्य मुझे समझ में आता है, वह यह है कि वह रूस के इस अतिवादी कदम का समर्थन करके दुनिया में अपनी छवि खराब नहीं करवाना चाहता है। वह अपने आप को विश्व की महाशक्ति मनवाना चाहता है। इतना काफी है कि वह रूस का विरोध नहीं कर रहा है।

दूसरी बात यह है कि अमेरिका के साथ वह अपने दरवाजे खुले रखना चाहता है। यदि वह रूस का अंध-समर्थन करने पर उतारू हो जाता तो चौगुटे के चारों देशों और यूरोपीय राष्ट्रों के साथ चल रहा उसका अरबों-खरबों डॉलर का व्यापार भी चौपट हो सकता था। चीन इस समय दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारी देश है। इसीलिए वह महाजनी बुद्धि से काम कर रहा है।