क्या आप बेटियों के संपत्ति के अधिकार में बारे में जानती हैं ?


एलयू के विधि विभाग की ओर से कराए गए शोध सर्वे में कुछ इसी तरह के आंकड़ें सामने आए हैं।

लखनऊ। क्या आप बेटियों के संपत्ति के अधिकार में बारे में जानती हैं ? सहमत हैं कि बेटियों का कृषि या पैतृक संपत्ति में अधिकार उनसे काफी दूर है ? लखनऊ के बख्शी का तालाब इलाके में रहने वाली 20 से 30 वर्ष एवं उससे ऊपर की महिलाओं से जब इस तरह के सवाल पूछे गए तो वह कुछ नहीं बता सकीं। 90 फीसद को इसके बारे में जानकारी ही नहीं थी। लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि विभाग की ओर से कराए गए एक शोध सर्वे में कुछ इसी तरह के आंकड़ें सामने आए हैं। जल्द ही इसकी फाइनल रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाएगी।

राज्य सरकार की ओर से रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के अंतर्गत लवि के विधि विभाग के प्रो. राकेश कुमार सिंह को वर्ष 2020-21 में एक शोध प्रोजेक्ट मिला था, लेकिन कोविड की वजह से इस पर वर्ष 2021 में काम शुरू हुआ। मिशन शक्ति के अंतर्गत पुत्रियों की कृषि संपत्ति (भू-संपत्ति) एवं सहदायिक (पैतृक) संपत्ति में उत्तराधिकार की स्थिति का लखनऊ के बख्शी का तालाब तहसील में एक विधिक मूल्यांकनज् विषय पर शोध कार्य किया गया। प्रो. सिंह बताते हैं कि बीकेटी में करीब 50 हजार की आबादी है। यहां पुरुष की साक्षरता 81.7 फीसद और महिलाओं की 65.3फीसद है।

उम्र दराज महिलाओं को भी नहीं पता : सर्वे के लिए 20 से 30 वर्ष और 40 से 60 वर्ष की 200 महिलाओं को चुना गया। इन सभी से 27 प्रश्न पूछे गए। 20 से 30 वर्ष की 90 फीसद लड़कियों को उसके पिता की पैतृक संपत्ति या कृषि संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया गया। न ही वे इसके बारे में जानती हैं। 40 से 60 फीसद आयु की महिलाओं में इसकी तादाद और भी ज्यादा रही। सिर्फ 10 फीसद को ही इस अधिकार की जानकारी है।

जागरुकता की कमी : प्रो. राकेश कुमार सिंह के मुताबिक शोध में पता चला है कि वर्तमान में कृषि कानूनों और पारिवारिक कानूनों में एकरूपता न होने की वजह से बेटियों को उनके कृषि भूमि के अधिकारों से वंचित होना पड़ रहा है। उन्हें जागरुक करने की जरूरत है।

रिपोर्ट में दिए सुझाव 

  • हिंदू उत्तराधिकार संशोधन अधिनियम २००५ में विवाहित पुत्री के विवाह के बाद पिता के परिवार में पैतृक होना न तो व्यावहारिक है और न ही उचित। इसलिए विवाह के बाद पुत्री का पिता के परिवार का सदस्य बने रहने को समाप्त किया जाना चाहिए। विवाह के समय पैतृक संपत्ति में हिस्से को निर्धारित करना चाहिए।
  • लड़कियों के विवाह के बाद उसका पति के परिवार में हर उस जगह हिस्सा दिया जाना चाहिए जहां उसके पति की हिस्सेदारी है।
  • उनके विवादों को निपटाने के लिए अलग से राज्स्व संहिता में बदलाव कर अलग कोर्ट की स्थापना की जानी चाहिए, जिससे समय से विवाद निस्तारित हो सके।
  • कृषि संपत्ति के उत्तराधिकार के मामले में उप्र भू-राजस्व अधिनियम २००६ लागू होता है।
  • इस अधिनियम की धारा १०८ के तहत किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसकी कृषि संपत्ति पर पहला अधिकार उसकी विधवा पत्नी, बेटा, अविवाहित बेटी का।
  • यदि इन सबमें से कोई नहीं है तो जिसकी मृत्यु हुई है उसके माता-पिता को अधिकार मिलेगा।
  • यदि उपरोक्त रिश्तेदारों में कोई भी नहीं है तो मृतक की विवाहित पुत्री को संपत्ति मिलेगी।
  • पैतृक संपत्ति है तो व्यक्तिगत कानून लागू होगा। हिन्दू होने पर हिन्दू उत्तराधिकार संशोधन अधिनियम २००५ लगेगा। मुस्लिम में व्यक्तिगत विधि लागू होगा।