होली सामाजिक समरसता का संदेश देता है -अनिल आर्य
गाजियाबाद. केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में "होली का वैदिक स्वरूप" पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कोरोना काल मे 374 वां वेबिनार था।
मुख्य वक्ता दर्शनाचार्या विमलेश बंसल ने होली का वैदिक़ स्वरुप बतलाते हुए कहा की होली नाम संस्कृत के होलक से होला और होला से होली इस तरह बना है जो जन सामान्य की बोली बन गया है जबकि वैदिक़ नाम नवसस्येष्टि यज्ञ है।यह पर्व सदियों पुराना और हमारे पूर्वजों की दूरदर्शिता का परिचायक है क्योंकि इस पर्व के द्वारा बदलते मौसम में निरोगी रहने का अचूक उपाय सुझाया है इसलिए इस पर्व पर रात्रि को गांव के बाहर विशाल सामूहिक अग्निहोत्र से कीटो का शमन,जौ की बाली अग्नि में भूनकर वर्षा दूर करना ताकि पकी हुई फसल नष्ट ना हो और अगले दिन शरीर पर यज्ञ की मर्दन,टेसू के फूलों के जल से नहाना आदि इस पर्व का मुख्य उद्देश्य है। लेकिन वर्तमान में देखकर लगता है की हम अपनी पुरातन संस्कृति भूल रहे हैं,शराब भांग नशा हो या मांस विक्रेताओं के यहाँ लगी भीड़
वा होलिका दहन में गौ के गोबर से बनी गूलरियों,हवन सामग्री के साथ यज्ञ करने के बजाय कूड़ा करकट और गंदी लकड़ियों के ढेर में आग लगाकर पूजना यह सब विकृतियां आज चारों ओर दिखाई पड़ रही हैं।होली के नाम पर अश्लील गीत व फूहड़ता चारों ओर देखने मिल रही है,।आवश्यकता है पंच महा यज्ञों को वृहद् व सामूहिक स्तर पर धूमधाम से कर संगठन को मजबूत बना संस्कृति पर गर्व करने की।उन्होंने कहा कि विचार, वाणी,व्यवहार,वित्त नवान्न से वातावरण को शुद्ध करने की, यज्ञ में प्रसाद लगा सबको प्रेमपूर्वक वितरण की,पर्व वह पौर है जिसमें सर्व सुरक्षा हो,सबको प्रसन्नता हो,लोग प्रकृति में हुए परिवर्तन को समझ स्वास्थ्य लाभ लें सब निरोग करने हों।वस्तुतः होली का यह पर्व सामाजिक समरसता का संदेश देने आता है और नवसम्वत्सर मनाने के लिए मंगलकामनाएं भी दी।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमे पवित्रता से पर्व मनाना चाहिए, यह आपसी भाई चारे व सामाजिक समरसता का पर्व है ।
मुख्य अतिथि आर्य नेत्री सरला वर्मा,अध्यक्ष विमला आहुजा, आचार्य विश्व केतु जी (ऋषिकेश),प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने भी अपने विचार रखते हुए वैदिक संस्कृति को आत्मसात करने का आह्वान किया।
गायक रविन्द्र गुप्ता,प्रवीना ठक्कर,सरला बजाज,चंद्रकांता आर्या,ईश्वर देवी,उषा सूद,रजनी गर्ग,रजनी चुघ,कमलेश चांदना, जनक अरोड़ा, प्रतिभा कटारिया आदि के मधुर भजन हुए।