अनुपम खेर का हमेशा से एक्टिंग करियर संघर्ष भरा रहा है। एक समय ऐसा भी था जब अनुपम खेर को चॉल में रहकर अपना गुजारा करना पड़ा था। अपना एक्टिंग करियर बनाने के लिए अनुपम खेर को चोरी भी करनी पड़ी थी। उन्होंने अपनी मां के मंदिर से 100 रुपये तक चुराए थे।
हिन्दी सिनेमा में उनके कामों के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री का सम्मान भी मिल चुका है। अनुपम खेर नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा (एनएसडी) और सेंसर बोर्ड ऑफ इंडिया दोनों में अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। अनुपम खेर का हमेशा से एक्टिंग करियर संघर्ष भरा रहा है। एक समय ऐसा भी था जब अनुपम खेर को चॉल में रहकर अपना गुजारा करना पड़ा था। अपना एक्टिंग करियर बनाने के लिए अनुपम खेर को चोरी भी करनी पड़ी थी। उन्होंने अपनी मां के मंदिर से 100 रुपये तक चुराए थे और एक्टिंग स्कूल में एडमिशन लिया था। एक्टिंग में अपना करियर बनाने के लिए अनुपम खेर ने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से की और उसके बाद वह मंबई में अपनी किस्मत आजमाने आ गए। शुरूआत में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। एक समय तो ऐसा भी आया जब अनुपम खेर को खाने और रहने के लिए भी भटकना पड़ा और कई रातें स्टेशन में ही काटने को मजबुर होना पड़ा।
अनुपम खेर का फिल्मी करियर आगमन फिल्म से हुआ और उसके बाद उन्होंने कई छोटी-बड़ी फिल्मों में काम किया। खलनायक के रूप में फिल्म कर्मा में अनुपम खेर छा गए। उनका डॉ डैंग का रोल आज भी लोग भूल नहीं पाते है। इस फिल्म से उन्हें पहचान मिली। उसेक बाद अनुपम ने डैडी और मैंने गांधी को नहीं मारा जैसी फिल्मों में जबरदस्त काम किया जिसके कारण उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। बता दें कि, अनुपम को एक के बाद एक फिल्मों के ऑफर मिलने लगे जिसके बाद बॉलीवुड में छा गए। उन्हें अपनी एक्टिंग के लिए कई अवॉर्डस भी मिले। फिल्म सारांश के लिए अनुपम को बेस्ट एक्टर का ऑवर्ड मिला था।