ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति अनुकूल ना होने से कई बार शादी में बाधाएँ आती हैं। ज्योतिशास्त्र में इस समस्या के निवारण के लिए कई उपाय भी बताए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि कुछ विशेष रत्नों को धारण करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
ऐसा माना जाता है कि भगवान ने हमें जोड़े में इस संसार में भेजा है। हर व्यक्ति का कोई न कोई जीवनसाथी है जो पहले से ही ईश्वर ने निश्चित कर रखा है। यही कारण है कि शादी को इतना पवित्र रिश्ता माना जाता है। लेकिन कई बार कुछ कारणों से शादी में विलंब हो जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति अनुकूल ना होने से कई बार शादी में बाधाएँ आती हैं और विलंब होता है। लेकिन ज्योतिशास्त्र में इस समस्या के निवारण के लिए कई उपाय भी बताए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि कुछ विशेष रत्नों को धारण करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि शीघ्र विवाह के लिए कौन से रत्न धारण करने चाहिए -
गोमेद
जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही हो उन्हें गोमेद रत्न धारण करने से लाभ हो सकता है। इस रत्न को धारण करने से जातक की कुंडली के 5वें भाव में राहु मजबूत होता है और राहु का दुष्प्रभाव कम होने लगता है। इससे विवाह के योग बनने लगते हैं।
हीरा
अगर कुंडली में शुक्र की स्थिति सही ना हो तो इससे भी विवाह में बाधा उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में जातक को हीरा पहनने की सलाह दी जाती है। इस रत्न को धारण कारण से कुंडली में शुक्र का दुष्प्रभाव कम होता है और विवाह और संतान का सुख प्राप्त होता है।
पुखराज
जिन महिलाओं का विवाह ना हो पा रहा हो या वैवाहिक जीवन में परेशानियां हों, उनके लिए पुखराज रत्न धारण करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस रत्न को धारण करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं और वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। हालाँकि, वृषभ या तुला राशि के जातकों को पुखराज रत्न धारण नहीं करना चाहिए।
मोती
जिन पुरुषों के विवाह में बाधा आ रही हो उन्हें मोती धारण करने से लाभ हो सकता है। इस रत्न को पहनने से सही उम्र में विवाह के योग बनने लगते हैं और वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है।
नीलम
शनि के स्वामित्व वाली मकर और कुम्भ राशि के जातकों के लिए नीलम रत्न धारण करना शुभ माना जाता है। इस रत्न को धारण करने से शनि का दुष्प्रभाव कम होता है और विवाह के योग बनने लगते हैं।