बसंत पंचमी पर विशेष
मैं बसंत हूं मेरा क्या है आता जाता रहता हूं
पतझड़ मे भी हरियाली के गीत सुनाता रहता हू
जिस जीवन मे ना बसन्त हो
कहो भला कैसा जीवन है
हरियाली संग खुशबू ना हो
तुम्ही कहो कैसा उपवन है
मेरा काम हैं प़ेम लुटाना
वही लुटाता रहता हूं
मैं बसन्त.......
मिटा नही पायेगी मुझको
गीरीष्मा और पतझड की बेला
मैं ही लाउंगा जीवन मे
प़ीत और गीतों का मेला
सबके मन को खुश करने को
गीत बनाता रहता हूं
मैं बसन्त........
जय श्री राम
बसन्त शर्मा