समय के साथ चेहरे बदले, नेता बदले लेकिन समस्याएं जस की तस

नेताओं ने वादे तो किए, लेकिन इन वादों को पूरा करने पर किसी भी स्तर से काम नहीं हुआ। इसलिए वोट सोच समझकर ही दी जाए, इसपर लोग मंथन कर रहे हैं। 13 गांवों के लोग हैं प्रभावित: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे में कलछीना, पट्टी, भोजपुर, मुरादाबाद, तलहैटा समेत तहसील के 13 गांवों के किसानों की जमीन अधिग्रहीत हुई है। भोजपुर, कलछीना के किसानों को एनएचएआई ने 4400 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा दिया, जबकि 11 गांवों के किसानों को 3500 वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा दिया गया।


मोदीनगरअधिकांश पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की अब घोषणा कर दी है। हार जीत को लेकर चौतरफा लोग अपनी राय दे रहे हैं। शहरी क्षेत्र के लोग जहां जर्जर सड़क, जाम समेत अन्य मुद्दों को लेकर बेबाकी से अपनी राय रख रहे हैं। वहीं, देहात के लोगों की अपनी अलग समस्याएं हैं। इनमें सबसे बड़ा मुद्दा दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे में अधिगृहीत हुई जमीन के एकसमान मुआवजे व जिले के गन्ना किसानों के शुगर मिल पर बकाये का है। प्रभावित लोगों की मानें तो समय के साथ चेहरे बदले, नेता बदले लेकिन समस्याएं जस की तस रहीं। तलहैटा गांव के मनवीर त्यागी एकसमान मुआवजे को लेकर लंबे समय से आंदोलन करते आ रहे हैं। उनका कहना है कि 2014 से मुआवजे की लड़ाई चल रही है। आंदोलन में मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के तमाम शीर्ष लोगों से मिले, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। विपक्षी दलों के नेता भी आंदोलन में आए और भरोसा दिया कि सरकार बनी तो वे किसानों की इस समस्या का समाधान कराएंगे। ऐसे में अब जिस दल के नेता भी हमारे बीच आएंगे, हम उनसे यही पूछेंगे कि मुआवजे की समस्या का हल होगा या नहीं? मुरादाबाद के दलबीर नेताजी भी आंदोलन के अगुवा रहे हैं। उनका कहना है कि उम्मीदवारों से सवाल होगा, जो भी उनकी समस्या का हल कराने का भरोसा देगा? उसको वोट दी जाएगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि कौन उम्मीदवार मुआवजे की समस्या का समाधान कराने का भार अपने कंधों पर लेता है? सरकारें आईं और गईं स्थिति जस की तस:

मोदी शुगर मिल से जिले व आसपास के 25 हजार से ज्यादा किसान जुड़े हैं। शुगर मिल पर किसानों का करीब 300 करोड़ बकाया हो चला है। किसान भुगतान दिलाने की लंगातार मांग कर रहे हैं। ध्यान रहे कि भुगतान की यह स्थिति कोई भाजपा सरकार में ही ऐसी नहीं है। दूसरी सरकारों में भी भुगतान की कमोबेश यही स्थिति रही। 

सभी दलों की सरकारों को आजमा चुके किसान इस बार कुछ नया सोच रहे हैं। खंजरपुर गांव में कड़ाके की सर्दी के बीच शनिवार तड़के रविद्र ने अपनी बैठक मे अलाव जलाया तो बिटटू च ौधरी, दिनेश व देवेंद्र आ गए। सर्दी के सितम पर बिटटू ने अपनी बात कही कि देवेंद्र ने चुनाव का राग छेड़ दिया। बोले भाई..सड़क, बिजली पानी पर तो बहुत राजनीति हो चुकी है। अब बात असल मुद्दों पर होनी चाहिए। गन्ना भुगतान क्षेत्र के किसानों की बड़ी समस्या है। जो भी उम्मीदवार आएगा, उससे इसपर सवाल किया जाएगा। मंदी होती आग को फूंक मारकर दोबारा से जलाने की कोशिश में जुटे देवेंद्र चौधरी ने कहा कि भाई गन्ना भुगतान के लिए किसी एक सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। यह स्थिति तो लंबे समय से बनी है। इनका कहना है:

किसानों को गन्ना भुगतान दिलाने के लिए हमने लगातार संघर्ष किया। विधायक रहते सदन में कुर्ता तक उतारा और तत्कालीन सरकार को भुगतान दिलाने के लिए जगाने का काम किया। एक्सप्रेस-वे में अधिग्रहीत हुई जमीन के एकसमान मुआवजे के लिए हर स्तर की लड़ाई लड़ी जाएगी।


-सुदेश शर्मा, पूर्व विधायक व उम्मीदवार, रालोद, मोदीनगर।

भाजपा सरकार में दूसरी सरकारों की अपेक्षा गन्ना भुगतान की स्थिति ज्यादा बेहतर रही है। किसानों का हित सरकार की प्राथमिकताओं में रहा है। किसान इस बात को समझते और जानते हैं। एकसमान मुआवजे की समस्या के समाधान को लेकर हरसंभव प्रयास किया गया, आगे भी इसको लेकर प्रयास जारी रहेगा।


-डा.मंजू शिवाच, विधायक व उम्मीदवार भाजपा, मोदीनगर।