इच्छाओं का कोई अंत नहीं होता, पर अपने कॉन्सेप्ट क्लीयर होने चाहिए....

 २०१७ में उ०प्र० वासी होते हुए केवल यह इच्छा थी कि थोड़ा लॉ एण्ड ऑर्डर ठीक हो जाए, गुंडागर्दी कम हो जाए, शांति रहे, दंगे बंद हों, टोपी वालों का आतंक और अपीज़मेंट समाप्त हो जाए, और चूँकि हिन्दू हैं तो यह आकाँक्षा भी थी कि श्रीराम मंदिर बन जाए ।

 अब २०२२ पाँच वर्ष बाद जब देखता हूँ तो लगता ही नहीं कि यह वही उ०प्र है। दंगे छोड़िए कोशिश करने वालों की भी रूह काँपती जाती है। गुंडागर्दी की क्या कहें, करने वालों के घर मैदान बन जाते हैं । श्री राम मंदिर तो कब का फ़ाइनल हो गया, काशी का भव्य कारिडोर बन गया, विंध्य्वासिनी माता समेत ढेरों मंदिरों का जीर्णोद्धार हो रहा है और अब मथुरा की बारी है । २०१७ की अपेक्षाएँ देखते हुए तो यह ११/१० वाली बात हो गई । लेकिन बोनस में इधर योगी राज मिले हैं । 

बिजली व्यवस्था इतनी चौकस हुई कि धीमे धीमे जेनरेटर उद्योग समापन की कगार पर है। प्रदेश में पहले जितने अच्छे बस अड्डे होते थे उससे ज़्यादा हवाई अड्डे बन गये हैं। इक्स्प्रेस वे/ रोड नेट्वर्क का जाल बिछ गया। बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र जो कभी अकाल-ग्रस्त के नाम से बदनाम थे, वहाँ डिफ़ेंस कारिडोर बन रहा है। कोविड वैक्सीन में रेकॉर्ड कायम हुए हैं। कोई भी क्षेत्र हो सबमें उत्तर प्रदेश ने प्रगति में नए नए झंडे गाड़े। पाँच वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश गाँवों में यदि रात को जाना हो तो पांच बार सोचते थे और फिर भी भोर ४-५ बजे निकल पाते थे, सक्षम लोग भी अपने गनर के साथ ही जाते थे। आज कुछ सोचना ही नहीं पड़ता, जब मन हुआ निकल लिए,  रिवॉल्वर वालों को याद ही नहीं कि पिछली बार कब निकाली थी। पहले जहां उत्तर प्रदेश की पहचान केवल ताज थी, आज दसियों ऐतिहासिक स्थल हैं...

 व्यक्तिगत कुंठा में कोई कुछ भी कहे मुझे यह कहने में एक प्रतिशत भी संकोच नहीं कि बीते पाँच वर्षों में उत्तर प्रदेश ने जो अचीव किया वह २०१७ में अकल्पनीय था सोच भी नहीं सकते थे ...

 सरकार ने जो करना था किया, अब यह हमारे ऊपर है कि हमें कौन सा उत्तर प्रदेश पसंद है.... वह वाला जब अपनी बहन-बेटी-घर-सम्पत्ति कब छिन जाए मालूम नहीं या अब वाला जब आप बेखौफ हैं और गुंडे-बदमाश-भूमाफिया खौफ में ...

 फैसला आपका है ... ३०० यूनिट फ्री बिजली के साथ दंगा भी फ्री में लेना है 

या

३रु यूनिट एण्ड नो दंगा ऑफ एनी काईन्ड ...

ऐसी सुव्यवस्था के बाद भी यदि जनता ने योगी जी को नहीं चुना तो इसे "दुर्भाग्य" ही कहेंगे ...

मैं अभियान में लग गया हूं आप भी लग जायें , वक्त बहुत कम है और कठिन भी, तटस्थता घातक हो सकती है ...