कांग्रेस की तर्ज पर बसपा के चेहरे भी विधानसभा उम्मीदवार के रूप में बदलते रहे

नोएडा में कांग्रेस और बसपा ने हर बार नए उम्मीदवारों पर खेला दांव, सपा ने नहीं बदला प्रत्याशी

कांग्रेस की तर्ज पर बसपा के चेहरे भी विधानसभा उम्मीदवार के रूप में बदलते रहे। वर्ष 2012 में बसपा ने ओमदत्त शर्मा को मैदान में उतारा। ओमदत्त ने 50 हजार से अधिक वोट लेकर मजबूती दिखाई लेकिन जीत हासिल न कर सके। वर्ष 2014 में उपचुनाव हुए लेकिन बसपा पार्टी का नियम है कि वह कहीं भी उपचुनाव प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेती है। ऐसे में बसपा से कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं था। वर्ष 2017 में बसपा ने नए चेहरे के रूप में रविकांत मिश्रा को मैदान में उतारा लेकिन वह चुनाव हार गए। करीब 27 हजार ही वोट ले सके। अब एक बार फिर बसपा ने चेहरा बदल यहां से करीब 32 साल तक कांग्रेस में रहे कृपाराम शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने जेवर से पुराने चेहरे पर भी भरोसा कर वर्ष 2012, 2017 में वेदराम भाटी पर भरोसा जताया और इस बार नरेंद्र डाढा को मैदान में उतारा है जबकि दादरी से वर्ष 2012 व 2014 में सतवीर गुर्जर और 2017 में अब मनवीर भाटी पर दांव खेला है।

लगातार दो बार हार के बाद तीसरी बार भी सपा के वही प्रत्याशी

कांग्रेस-बसपा के उलट सपा ने लगातार दो बार हार चुके प्रत्याशी सुनील चौधरी को फिर से तीसरी बार मैदान में उतारा है। वर्ष 2014, 2017 के बाद अब 2022 में फिर से मैदान में हैं। ऐसा इस जिले में पहली बार हुआ है जब लगातार दो बार हार के बाद भी पार्टी ने तीसरी बार भी उसी प्रत्याशी पर भरोसा जता उम्मीदवार बनाया है।