लखनऊ। 14 जनवरी रात्रि के 8:49 बजे से सूर्य मकर राशि में चले जाएंगे। इसलिए इसी दिन 14 जनवरी को खिचड़ी मनायी जाएगी। सूर्य के मकर राशि के प्रवेश को मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति प्रात सूर्योदय के बाद पुण्यकाल में पवित्र स्थानों पर स्नान दान का महत्व होता है। मकर राशि में प्रवेश से आठ घंटा पहले पुण्यकाल में स्नान, सूर्य उपासना , जप , अनुष्ठान, दान करना श्रेष्ठ माना गया है। काले तिल, गुड़ , खिचड़ी, कंबल व लकड़ी के दान का विशेष महत्व है। 14 जनवरी के बाद 15 से शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
15 जनवरी से शादियां शुरू होंगी। वर्ष 2022 में शादियों की 90 शुभ लग्ने हैं। सूर्य देव का प्रिय गुड़ और शनिदेव की प्रिय वस्तु काला तिल दान देने से उक्त दोनो ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है। आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ से विशेष लाभ होता है। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि 14 जनवरी को शाम तक दान का पुण्य मिलेगा। संक्रांति में दान और स्नान का महत्व है। मकर संक्रांति के दिन श्रवण नक्षत्र में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से वज्र योग बन रहा है। यह खास संयोग कई राशियों के लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा।
इन पांच राशि वालों के लिए शुभ संयोगः सूर्य के मकर राशि में आने से मकर संक्रांति के दिन पांच ग्रहों का शुभ संयोग बनेगा। जिसमें सूर्य, बुध, चंद्रमा गुरु और शनि शामिल हैं। मेष, कर्क, कन्या, तुला, धनु व मीन राशियों को इस योग का मिलेगा शुभ प्रभाव मिलेगा। ज्योतिषानुसार कुंडली में सूर्य शनि का दोष वाले श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य की उपासना करनी चाहिए। सूर्य के अच्छे प्रभाव से यश, सरकारी पक्ष और पिता से लाभ ,आत्मविश्वास में वृद्धि , सिर दर्द, आंखों के रोग, हड्डियों के रोग व हृदय रोग से भी आराम मिलेगा। ज्योतिष के सूत्र “20 घटी पूर्वापर...” के अनुसार रात्रि 8:49 से आठ घंटे पहले से ही दान पुण्य और खिचड़ी खाने आदि का शुभ कार्य शुरू हो जाएगा। इस दिन सूर्य देव अपना अयन और राशि दोनों परिवर्तित करते हैं। पिता सूर्य अपने पुत्र की राशि में जाते हैं। साथ ही उत्तरायण भी हो जाते हैं। उत्तरायण का समय उत्तम और शुभ कारी बताया गया है। गंगा पुत्र भीष्म अपना प्राण त्यागने के लिए उत्तरायण सूर्य की प्रतीक्षा करते रहे थे।