सिख समाज की ओर से सभी 10 गुरुओं और सिख योद्धाओं की तस्वीरों को संग्रहालय के रूप में स्थापित करने की पहल गुरुद्वारों में शुरू हुई

10 गुरुओं और सिख योद्धाओं की तस्वीरों को संग्रहालय के रूप में स्थापित करने की पहल गुरुद्वारों में शुरू हुई।

लखनऊ। विकास के इस डिजिटल दौर में हम भले ही कितने स्मार्ट हो जाएं, लेकिन धर्म प्रति हमारी आस्था और विश्वास कभी कम नहीं होता। बदलते परिवेश गुरु की महिमा का बखान करने के लिए सिख समाज की ओर से सभी 10 गुरुओं और सिख योद्धाओं की तस्वीरों को संग्रहालय के रूप में स्थापित करने की पहल गुरुद्वारों में शुरू हुई।

लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से गुरुद्वारा नाका हिंडोला में गुरुओं के साथ ही सिख योद्धाओं को उनके युद्ध कौशल को चित्रों के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया गया। गुरुद्वारा मानसरोवर कानपुर रोड पर भी ऐसा ही संग्रहालय की स्थापना बीते दिनों की गई। गुरु पर्व पर युवाओं के लिए संग्रहालय को खोल दिया जाता है जिससे आने वाली पीढ़ी को सिख गुरुओं और योद्धाओं की जानकारी हो सके। सिख समाज के अंतिम गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाशोत्सव के तहत आठ और नौ जनवरी को युवाओं के लिए संग्रहालय खोला जाएगा। 

लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने बताया कि सिख पंथ की स्थापना के साथ ही गुरु की सेवा समाज की प्राथमिकता में शामिल हो गई। सभी 10 गुरुओं को सर्वश्रेष्ठ दर्जा दिया गया है। अंतिम गुरु गोबिंद सिंह महाराज के बाद फिर गुरु ग्रंथ साहिब को ही गुरु माना गया। मूर्ति पूजा से दूर समाज के लोग सिर्फ गुरु ग्रंथ साहिब के आगे ही मत्था टेकते हैं। संग्रहालय में गुरुओं के साथ ही युद्ध कौशल को दर्शाते चित्र युवाओं के अंदर नया जोश भी भरते हैं। 

सभी 10 गुरुओं का प्रकाश और शहीदी दिवस 

  • गुरु नानक देव जी महाराज (15 अप्रैल 1469 से 22 सितंबर 1539)
  • गुरु अंगद देव जी महाराज (31 मार्च 1504 से 29 मार्च 1552)
  • गुरु अमरदास जी महाराज (5 मई 1479 से एक सितंबर 1574)
  • गुरु रामदास जी महाराज (24 सितंबर 1534 से एक सितंबर 1581)
  • गुरु अरजन देव जी महाराज (15 अप्रैल 1563 से 30 मई 1606)
  • गुर हर गोबिंद जी महाराज (19 जून 1595 से 28 फरवरी 1644)
  • गुरु हरि राय जी महाराज (16 जनवरी 1630 से 6 अक्टूबर 1661)
  • गुरु हरि किशन जी महाराज(7 जुलाई 1656 से 30 मार्च 1664)
  • गुरु तेग बहादुर जी महाराज (एक अप्रैल 1621 से 11 नवंबर 1675)
  • गुरु गोविंद सिंह जी महाराज(22 दिसंबर 1666 से 7 अक्टूबर 1708)

1708 में गुरु ग्रंथ साहिब को माना गया गुरुः सिख समाज के धार्मिक जानकार व साहित्यकार डा.सत्येंद्र पाल सिंह ने बताया कि सिखों के अंतिम गुरु गोबिंद सिंह महाराज के शहीदी दिवस के साथ ही सात अक्टूबर 1708 से सिख समाज की ओर से गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु माना गया। गुरुद्वारों में गुरुग्रंथ साहिब के प्रकाश के साथ ही धार्मिक आयोजन शुरू होते हैं।सिख समाज की ओर से सभी गुरुओं का प्रकाश पर्व और शहीदी दिवस मनाया जाता है। नानक शाही कैलेंडर के अनुसार तिथियों में बदलाव होता रहता है।