बिसोखर गांव के लौकेंद्र उर्फ लौकी को गिरफ्तार करना पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं

मोदीनगर.बिसोखर गांव के लौकेंद्र उर्फ लौकी को गिरफ्तार करना पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। पुलिस के दबिश देने से पहले ही लौकेंद्र को इसकी भनक लग जाती थी और वह फरार हो जाता था। इसी तरह पिछले चार साल से वह जरायम की दुनिया में अपनी जगह बनाता चला गया। 2017 में भाई नवनीत के साथ मिलकर मैनपुरी के करहल क्षेत्र में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष की हत्या कर लौकेंद्र ने जरायम की दुनिया में कदम रखा। छह महीने जेल में रहने के बाद 10 लाख की रंगदारी लेकर थाना परतापुर के मोहिउद्दीनपुर के मनोज की हत्या कर दी। इसी तरह वह वारदातों को अंजाम देता रहा और पुलिस के लिए उसकी गिरफ्तारी चुनौती बन गई।

मोदीनगर विधायक के रिश्तेदार की हत्या के बाद चर्चा में आया

- वैसे तो 2017 से ही लौकेंद्र जरायम की दुनिया में आ गया था। लेकिन, फरवरी 2019 में जब उसने विधायक डा. मंजू शिवाच के रिश्तेदार सतेंद्र सिंह की हत्या की, तब लौकेंद्र चर्चा में आया। वारदात की गूंज लखनऊ तक पहुंची। पुलिस ने लौकेंद्र के भाई आजाद व पिता विजयवीर को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन, लौकेंद्र पुलिस की पकड़ से दूर ही रहा। धीरे-धीरे लौकेंद्र ने क्षेत्र में अपना दबदबा बना लिया। क्षेत्रवासी लौकेंद्र के नाम भी घबराने लगे। अब करीब ढाई साल बाद जब लौकेंद्र की गिरफ्तारी हुई तो सतेंद्र के स्वजन ने भी चैन की सांस ली।

भाई के नक्शेकदमों पर बना अपराधी

- लौकेंद्र का बड़ा भाई नवनीत भी बड़ा अपराधी था। उधम सिंह करनावल गैंग के सदस्य हिमांशु जाट से नवनीत की गहरी दोस्ती थी। दोनों साथ मिलकर वारदात को अंजाम देते थे। 2017 में मैनपुरी के करहल क्षेत्र में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष की हत्या के मामले में नवनीत की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई। इसके बाद लौकेंद्र ने हिमांशु जाट का हाथ थामा। अपने भाई के नक्शेकदमों पर उसने चलना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाशों में लोकेंद्र की गिनती होने लगी।

मोदीनगर के बिसोखर में रहता है परिवार

- लौकेंद्र उर्फ लौकी का परिवार अब भी मोदीनगर के गांव बिसोखर में रहता है। ग्रामीण बताते हैं कि लौकेंद्र कभी-कभी चोरी-छिपे परिवार के लोगों से मिलने आता था। देर रात आकर वह तड़के ही वहां से निकल जाता था। किसी को भी उसके ठिकाने के बारे में जानकारी नहीं थी।