सेना का नाम लेकर ठग लोगों को चूना लगा रहे हैं

 

हाउसिग साइट्स से नंबर लेकर जालसाज खुद को सैनिक बता लगा रहे चूना

गाजियाबादहेलो..! आपने साइट पर प्रापर्टी डाल रखी है। मुझे जरूरत है। मैं भारतीय सेना में हूं..। यदि आपके पास भी ऐसी काल आती है तो सावधान हो जाएं। सेना का नाम लेकर ठग लोगों को चूना लगा रहे हैं। जिले के साइबर सेल को दो माह में करीब 50 शिकायत मिल चुकी हैं। ओएलएक्स और क्विकर की तर्ज पर लोगों से करीब 40 लाख रुपये की ठगी की जा चुकी है। यह आंकड़ा उन मामलों का है, जो साइबर सेल तक पहुंचे हैं। कई मामलों में लोगों ने शिकायत तक नहीं की है। यह गिरोह पैसे भेजने के नाम पर अपने खाते में रुपये डलवाता है। साइट्स से नंबर लेकर करते हैं फोन : साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि लोग 99 एकर्स समेत कई हाउसिग साइट्स पर प्रापर्टी बेचने, किराये पर देने या खरीदने के लिए पोस्ट डालते हैं। जालसाज इन्हीं साइट से नंबर लेकर लोगों को काल करते हैं। खुद को सैनिक बताकर फर्जी आइकार्ड समेत अन्य दस्तावेज वाट्सएप पर भेजकर लोगों का विश्वास जीतते हैं। साथ ही एडवांस देने को कहते हैं, लेकिन लोगों के नंबर पर गूगल पे या नेट बैंकिग से सीधे पैसे नहीं भेजते। बताया गया है कि सैनिक के खाते से पैसे भेजने का तरीका दूसरा है। पैसे छावनी के खाते से भेजे जाएंगे। दूसरा व्यक्ति सेना का एकाउंटेंट बनकर बात करता है। यह व्यक्ति एक रुपये उनके खाते में भेजकर सामने वाले व्यक्ति का बैंक खाता क्रास चेक करने की बात करता है। फिर भी फंसते हैं लोग : इसके बाद खाते में रुपये क्रेडिट होने वाला मैसेज एडिट कर वाट्सएप पर भेजता है। विश्वास दिलाने के पैसे जमा करने वाली स्लिप का भी फोटो भेजता है। लोग खाते में पैसे आने से इन्कार करते हैं तो कहा जाता है कि यही रकम एक रुपये वाले नंबर पर अपने गूगल पे के जरिए भुगतान करो। फिर इस खाते से हम दोबारा तुम्हारे खाते में पैसे भेज देंगे। अधिकांश लोग मना कर देते हैं, लेकिन कुछ लोग सेना के नाम पर इन बातों में फंसकर अपने खाते से भुगतान करते रहते हैं।

इनसे की गई ठगी

-सदरपुर निवासी दीपक से 64 हजार रुपये।

-कविनगर निवासी राहुल बंसल से 32.50 हजार रुपये।

-नूरनगर निवासी हरिओम से 46 हजार रुपये। वर्जन..

जालसाज सेना का नाम लेकर भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने का प्रयास करते हैं। अधिकांश बैंक खाते फर्जी दस्तावेज लगाकर खोले गए हैं। इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों के आधार पर गिरोह को ट्रेस करने का प्रयास कर रहे हैं।

-अभय कुमार मिश्र, सीओ, साइबर सेल।