गुरूपर्व के सही मायने..
कल गुरू नानक देव जी महाराज के प्रकाश उत्सव पर निष्काम परिवार ने एक पेशेंट बेङ सेवा की शुरुआत की थी जिसको लेकर कल एक आयोजन किया गया उस आयोजन की पोस्ट जब हमारें द्वारा वायरल हुई तो एक सज्जन के द्वारा निष्काम परिवार को एक बेहद गंभीर पेशेंट की जानकारी दी गयी और बताया कि उनको तत्काल इस बेङ की जरूरत है तो उसी वक्त निष्काम परिवार नें यह सेवा की गंभीरता को समझते हुए अर्ध रात्रि 1 बजे यह पेशेंट बेङ निष्काम सेंटर से रवाना करके उक्त परिवार के घर पंहुचानें की सेवा पूर्ण की।
कहनें का तात्पर्य की कुछ ना कुछ तो ईश्वर की लीला है जिसको हम समझ नही पाते हैं। कल ही इन बेङ का निष्काम में आना..जिनको जरूरत पङी वो निष्काम को नही जानते थे और निष्काम उनको नही जानता था। और अभी पहला दिन था तो हमें ये पता भी नही था कि हमें इस सेवा को अभी कैसे-कैसे आगे बढ़ाना है हम तो सोच रहे थे कि बेङ आ तो गये है तो फ़िलहाल इन्हें पैक कर के रख देते है..लेकिन कल का यह वाक्या बता गया कि आपकी प्लानिंग का तो पता नही लेकर ऊपरवाले की प्लानिंग पहले से सब सेट है...