जिले में पुलिस स्मार्ट होने के साथ परंपरागत तरीके से भी काम करेगी और अपराध पर काबू पाएगी: पवन कुमार


कार्य का ज्ञान, कुशलता और नेक नीयत से तैयार होते हैं काबिल पुलिसकर्मी : पवन कुमार
गाजियाबादपवन की प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल, माध्यमिक शिक्षा बीकानेर से हुई। स्नातक व परास्नातक की पढ़ाई उन्होंने बीकानेर विश्वविद्यालय से की। वर्ष 2009 में आइपीएस बनने के बाद उनकी ट्रेनिग आगरा में हुई। जीवन परिचय वर्ष 2009 बैच के आइपीएस अधिकारी पवन कुमार मूल रूप से राजस्थान के हनुमानगढ़ स्थित भौमपुरा गांव के रहने वाले हैं। वे एक साधारण परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता संतराम किसान, माता लीलावती और पत्नी अनुराधा गृहणी हैं। पवन की प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल, माध्यमिक शिक्षा बीकानेर से हुई। स्नातक व परास्नातक की पढ़ाई उन्होंने बीकानेर विश्वविद्यालय से की। वर्ष 2009 में आइपीएस बनने के बाद उनकी ट्रेनिग आगरा में हुई। इसके बाद वह एएसपी अलीगढ़, एसपी सिटी आगरा, एसपी जौनपुर, शामली समेत कई जिलों में तैनात रहे। चार साल तक वह हैदराबाद राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में सहायक निदेशक के पद पर तैनात रहे। इसके बाद उन्होंने मुरादाबाद एसएसपी बनाया गया और 17 अगस्त को गाजियाबाद का एसएसपी बनाया गया। खाली समय में पवन हिदी क्लासिक मूवी देखने का शौक रखते हैं। हाल में ही उन्होंने कई विषयों पर शोध शुरू किया है। 
दिल्ली से सटा होने से गाजियाबाद एनसीआर का महत्वपूर्ण जिला है। अन्य जिलों की अपेक्षा यहां आर्थिक अपराध अधिक हैं। अपराध पर काबू पाने को जनसहभागिता जरूरी है। पूर्व में पुलिस परंपरागत तरीके से पुलिसिग करती थी। इसमें कई चीजें प्रभावी थीं। समय के साथ पुलिस स्मार्ट हुई और परंपरागत पुलिसिग भूल गई। परंपरागत पुलिसिग में बीट व्यवस्था सबसे अहम है। बेहतर पुलिसिग के लिए बीट व्यवस्था की मजबूती जरूरी है। जिले में पुलिस स्मार्ट होने के साथ परंपरागत तरीके से भी काम करेगी और अपराध पर काबू पाएगी। एक बेहतर पुलिसकर्मी बनने के लिए कार्य का ज्ञान, उसे करने की कुशलता और नेक नीयत जरूरी है। जिले में अपराध नियंत्रण और बेहतर पुलिसिग को लेकर दैनिक जागरण के आशुतोष गुप्ता ने एसएसपी पवन कुमार से विस्तार से बातचीत की।

जिले में आपको आए तीन माह हो गए हैं। इस बीच आप इस जिले को कितना समझ पाए हैं? यहां आखिर क्या चुनौती है? गाजियाबाद ने पिछले 20 वर्षों में बड़े स्तर पर आर्थिक विकास किया है। यहां आर्थिक अपराध और साइबर अपराध बढ़ा है। इन दोनों अपराधों पर काबू पाना ही पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। इसके लिए अपराधियों पर गैंगेस्टर, संपत्ति कुर्की की कार्रवाई हो रही है। आसपास के जिलों की पुलिस से भी समन्वय स्थापित कर अपराधियों की धरपकड़ हो रही है।

जिले में पिछले कुछ समय में अपराध बढ़ा है। लूट, चोरी, स्नेचिग आदि अपराध बढ़े है। इस पर कैसे काबू पाएंगे? अपराध पर नियंत्रण का काम शुरू है। पुलिस पुराने गिरोहों का सत्यापन करा रही है। बार्डर क्षेत्रों में औचक चेकिग हो रही है। बाहरी जिलों से आकर अपराध करने वाले बदमाशों का पुलिस वेरीफिकेशन करा रही है। इनकी धरपकड़ के लिए अन्य प्रदेशों और जिलों की पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी अभियान चलेगा।

जिले में पिछले कुछ समय में साइबर अपराध भी बढ़ा है। पलक झपकते ही ये अपराधी लोगों की गाढ़ी कमाई लूट लेते हैं। इन पर काबू पाने की क्या योजना है? साइबर अपराध दो तरीके का होता है। एक वह जो स्थानीय स्तर पर लोग करते हैं। दूसरा जो बाहरी जिलों, प्रदेश अथवा अन्य देशों से होता है। हम ऐसे लोगों की जांच करा रहे हैं, जो अचानक धनवान हो रहे हैं। हाल ही में पुलिस ने बाहरी पुलिस की सूचना पर नंदग्राम में साइबर गिरोह का पर्दाफाश किया था। जिले में साइबर अपराध पर काबू पाने के लिए साइबर एक्सपर्ट और साइबर सेल के उच्चीकरण की जरूरत है। इसके लिए प्रयास हो रहे हैं।

आप चार साल तक राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में रहे हैं। बड़ी संख्या में आइपीएस को ट्रेनिग दी है। आपका यह अनुभव जिले में पुलिसकर्मियों के कैसे काम आएगा? जिले में पहले दिन से ही मैंने पुलिसकर्मियों को ट्रेनिग देने के लिए योजना बनाई थी। मैंने विवेचना अधिकारियों के साथ गोष्ठी की। उन्हें विवेचना में सुधार और गुणवत्ता के टिप्स दिए। यदि किसी मामले में विवेचना बेहतर होती है तो कभी निर्दोष जेल नहीं जा सकता। इससे दोषी अधिक से अधिक समय जेल में रहने पर मजबूर होगा। पुलिस की कार्यप्रणाली भी सुधरेगी। बेहतर पुलिसकर्मी बनने के लिए तीन चीजें अहम हैं। कार्य का ज्ञान, उसे करने की कुशलता और नेक नीयत। जब यह बेहतर होगी तो ही कोई काबिल पुलिसकर्मी बनता है।

 जिले में पुलिसकर्मियों पर लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं। इससे पुलिस की छवि खराब होती है। पुलिस में भ्रष्टाचार पर कैसे नियंत्रण पाएंगे? पुलिस में दो तरह के लोग होते हैं। एक वह जिन्होंने शहरी क्षेत्र में पुलिसिग की है। दूसरे वे, जो ग्रामीण क्षेत्र से शहर में आए हैं। ग्रामीण क्षेत्र से शहर में आने वाले शहरी चकाचौंध से प्रभावित होकर गलत राह पर चले जाते हैं। ये लोग चकाचौंध में न आएं, इसके लिए निगरानी कराई जा रही है। पुलिस अधिकारियों को ऐसे लोगों पर विशेष निगाह रखने के लिए बोला गया है। भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

पिछले कुछ समय में पुलिस हाइटेक हुई और परंपरागत पुलिसिग को भूल गई। परंपरागत पुलिसिग समाप्त होने से बीट प्रणाली और पुलिस का सूचना तंत्र कमजोर पड़ने से अपराध बढ़ा है। इसमें कितनी सच्चाई है? हाइटेक होना बेहद जरूरी है, लेकिन परंपरागत पुलिसिग को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। परंपरागत पुलिसिग में बीट प्रणाली बेहद अहम है। बीट व्यवस्था से पुलिस का सूचना और मुखबिर तंत्र मजबूत होता है। पुलिस को अपराधियों के बारे में जानकारी मिलती है। इससे अपराध में कमी आती है। जिले में पुलिसकर्मियों को बीट आवंटित हैं। जनता के साथ मिलकर पुलिसिग के लिए कहा गया है। जनसहयोग के बिना अपराध नियंत्रण असंभव है। जनता भी पुलिस को अपने समाज के रूप में स्वीकार करे। पुलिसकर्मी भी जनता का विश्वास जीतें।