बिहार में बसेरा अभियान के तहत अब तक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने वासभूमि रहित 90 हजार 301 परिवारों को पांच डिसिमल वासभूमि दे दिया है. अब राज्य के महज 26 हजार 394 परिवारों को ही घर बनाने के लिए सरकार से जमीन मिलना बाकी है.

पटना. बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने वासभूमि रहित 90 हजार 301 परिवारों को पांच डिसिमल वासभूमि दे दिया है. अब बिहार में लगभग 26 हजार लोग के ही बिना घर के बचे हैं. दरअसल, बिहार सरकार बसेरा अभियान के तहत 77 फीसदी से अधिक भूमिहीन परिवारों को घर बनाने के लिए पांच डिसिमल जमीन दे चुकी है. इसके तहत सरकार अब तक 52.30 एकड़ जमीन बांट चुकी है. सबसे अधिक 50.25 एकड़ जमीन अनुसूचित जाति के भूमिहीनों के बीच बांटी गई है. आंकड़े बताते हैं कि अब राज्य के महज 26 हजार 394 परिवारों को ही घर बनाने के लिए सरकार से जमीन मिलना बाकी है.
इस बिहार सरकार के भूमि राजस्व विभाग ने फिर से सर्वे कराकर पुराने सर्वे के बाद बालिग हुए युवकों को अलग यूनिट मानकर भूमि देने का निर्देश दिया है. साथ ही आवंटन के बाद भी बेदखल हुए परिवारों को कब्जा दिलाने की पहल भी साथ-साथ चल रही है. राज्य सरकार ने साल 2014 में बसेरा अभियान की शुरूआत की थी. पहले वासभूमि रहित परिवारों को तीन डिसमिल जमीन देने की व्यवस्था हुई थी. लेकिन बाद ने सरकार ने पांच डिसमिल कर दिया. उस वक्त के सर्वे के मुताबिक, राज्य में मात्र एक लाख 16 हजार 695 परिवार ही एसे थे, जिनके पास घर बनाने के लिए जमीन नहीं थी.
आंकड़े बताते हैं कि ऐसे परिवारों में सबसे अधिक 70 हजार 53 परिवार सिर्फ महादलित वर्ग के थे. उसके बाद 13 हजार 295 परिवार अनुसूचित जाति वर्ग के थे. सरकार ने इसी आंकड़े के आधार पर जमीन बांटना शुरू किया. लिहाजा, लगभग तीन चौथाई से अधिक लोगों को जमीन मिल चुकी है. बताया जा रहा है कि अभियान के तहत जमीन आवंटन में प्राथमिकता के बावजूद अब भी बिना वासभूमि वाले परिवारों में सबसे अधिक लगभग 15 हजार महादलित परिवारों की ही संख्या है. वहीं अनुसूचित जनजाति में बचे लोगों की संख्या एक हजार से भी कम है.