बद्रीनारायण भगवान के दिव्य दर्शन करने से पूर्व तप्तकुंड के प्राकृतिक गर्म जल से स्नान किया: विजयपाल बघेल

बद्रीश वन योजना को संचालित करते हुए बद्रीनाथ प्रवास के दौरान देवात्मा हिमालय पर उच्च हिम शिखरों के ऊपर पवित्र नर और नारायण पर्वत के बीच धरती का बैकुंठ माने जाने वाले बद्रीनाथ धाम में मंदिर समिति के पदाधिकारियों के पावन सानिध्य में बद्रीनारायण भगवान के दिव्य दर्शन करने से पूर्व तप्तकुंड के प्राकृतिक गर्म जल से स्नान किया फिर निकटस्थ सभी पावन तीर्थों के लिए रवाना होकर पहिले सीमांत गांव माणा पहुंचे जो बद्रीनाथ से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर बसा है वहां से विलुप्त सरस्वती नदी का उद्गम स्थल, व्यास गुफा, भीम पुल आदि अन्य तीर्थस्थलों का लौकिक दर्शन करने का अवसर मिला। माणा गांव के प्रधान और स्थानीय प्रशासन ने हृदयस्पर्शी आथित्य देकर आत्मीयता का साक्षात अहसास कराया। चीन बॉर्डर की तरफ वसुंधरा झरने की ओर जाते हुए आए पड़ाव पर विश्राम करने हेतु रुके जो हिंदुस्तान की आखिरी चाय की दुकान के रूप में विख्यात है वहां बैठकर दुर्गम एवं बर्फीली चोटियों पर अपने वीर सैनिकों के जज्बे और साहस को नजदीक से देखकर उनको नमन करने का स्वत: ही अंतर्भाव से बोध हुआ और मां भारती के उन सपूतों को कई बार सलामी दी...जय हिंद का जयघोष घोष हुआ....जयघोष इतना जबरदस्त था की ठंडी हिम वादी गर्म होकर पिघलने को आतुर हो गई, देश भक्ति का ऐसा अद्भुत और साक्षात नजारा अविस्मरणीय है।

जय बद्री विशाल.....जय बद्रीश वन।