
व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा प्रदेश के 14 से 35 आयुवर्ग के अल्पशिक्षित तथा स्कूल ड्रापआउट युवाओं को निःशुल्क व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें आजीविका उपार्जन हेतु सक्षम बनाने की दृष्टि से अल्पकालीन कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने ’’उत्तर प्रदेश दुग्ध नीति-2018’’ के प्राविधानों में कतिपय संशोधन करते हुए नये प्राविधानों को शामिल किया गया है। दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव सुधीर गर्ग द्वारा इस संबंध में आवश्यक आदेश कर दिया गया है।राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति के वर्तमान विद्यमान प्राविधान में संशोधन करते हुए व्यवस्था की गई है कि ’’उ0प्र0 दुग्ध नीति-2018 के अन्तर्गत प्राविधानों के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति गठित की जायेगी।’’ मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन की महत्वपूर्ण शासकीय कार्यों में व्यस्तता होने या उपलब्ध न होने की दशा में मुख्य सचिव उ0प्र0 शासन द्वारा प्रतिनिधायित अधिकारी के रूप में नामित कृषि उत्पादन आयुक्त, उ0प्र0 शासन द्वारा राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति की अध्यक्षता की जायेगी। विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव इसके सदस्य होंगे। प्रमुख सचिव, सचिव दुग्ध विकास विभाग, उ0प्र0 शासन इसके संयोजक सचिव होंगे। उद्योग संघों के प्रतिनिधि इसके आमंत्रित सदस्य होंगे।
मण्डल स्तरीय अनुश्रवण समिति के संबंध में व्यवस्था की गई है कि मण्डल स्तर पर नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में मण्डल स्तरीय अनुश्रवण समिति गठित की जायेगी, जिसमें मण्डल के सभी जनपदों के जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी के साथ-साथ मण्डल के सम्बन्धित विभागों के अधिकारी सदस्य होंगे। मण्डलीय दुग्धशाला विकास अधिकारी इस कमेटी के सदस्य-सचिव होगें। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 की भांति उ0प्र0 दुग्ध नीति-2018 के अनुश्रवण हेतु मण्डल स्तरीय अनुश्रवण समिति में 09 सदस्यों को व्यापक गुणवत्तापरक अनुश्रवण हेतु शामिल किया जायेगा।
इस नीति के अंतर्गत पूॅजी निवेश के प्रस्तावों का कार्यान्वयन उप दुग्धशाला विकास अधिकारी के माध्यम से किया जायेगा। नीति के क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय क्रियान्वयन अनुश्रवण समिति गठित की जायेगी, जिसमें जनपद के संबंधित विभागों के अधिकारीगण सदस्य होंगें। जनपदीय उद्यान तथा खाद्य प्रसंस्करण अधिकारी इसमें पदेन सदस्य होंगे। उप दुग्धशाला विकास अधिकारी इस समिति के सदस्य सचिव होेंगे। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 की भांति उ0प्र0 दुग्ध नीति-2018 के क्रियान्वयन/अनुश्रवण हेतु जनपद स्तरीय अनुश्रवण समिति में 09 सदस्यों को व्यापक एवं गुणवत्तापरक अनुश्रवण हेतु शामिल किया जायेगा।आवेदन/परियोजना प्रस्तावों का परीक्षण, मूल्यांकन स्वीकृति तथा धनावंटन के संबंध में व्यवस्था की गई है कि जनपद स्तर पर प्राप्त आवेदनों परियोजना प्रस्तावों को संकलन कर आवेदन परियोजना प्रस्तावों को उप दुग्धशाला विकास अधिकारी द्वारा मण्डलीय दुग्धशाला विकास अधिकारी के माध्यम से मुख्यालय स्तर पर प्रेषित किया जायेगा। इन आवेदन/परियोजना प्रस्तावों के मुख्यालय स्तर पर परीक्षण एवं मूल्यांकन हेतु दुग्ध आयुक्त, दुग्धशाला विकास, उ0प्र0 द्वारा अपनी अध्यक्षता में प्री-अप्रेजल समिति गठित की जायेगी। प्री-अप्रेजल के पश्चात परियोजना प्रस्तावों के सम्यक मूल्यांकन/परीक्षण हेतु प्रमुख सचिव, दुग्ध विकास विभाग, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में मूल्यांकन एवं परीक्षण समिति गठित की जायेगी। मूल्यांकन एवं परीक्षण समिति द्वारा संस्तुत आवेदन/परियोजना प्रस्तावों पर स्वीकृति तथा धनावंटन राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति द्वारा की जायेगी। स्वीकृत परियोजनाओं का क्रियान्वयन जनपद स्तर पर परियोजना क्रियान्वयन समिति एवं मण्डल स्तर पर मण्डल स्तरीय अनुश्रवण समिति तथा राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति द्वारा किया जायेगा। उ0प्र0 दुग्ध नीति-2018 के शेष प्राविधान एवं शर्तें यथावत रहेगी।उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल उद्योग नीति (द्वितीय संशोधन) 2021 प्रस्तावितउत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश फार्मास्यिुटिकल उद्योग नीति (द्वितीय संशोधन) 2021 प्रस्तावित की है। इसके तहत सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई), मुख्य प्रारंभिक सामग्री (केएसएम), ड्रग इंटरमीडिएट (डीआई) और चिकित्सा युक्तियों को सम्मिलित किया है। इसमें सीएसआईआर अनुसंधान संस्थानों और उत्तर प्रदेश के प्रमुख औषधि अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से राज्य अनुसंधान परियोजनाओं को प्रायोजित किये जाने का प्रस्ताव है।इस नीति में नवाचारों और स्टार्टअप को बढ़ावा-उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति, 2020 के तहत स्थापित उत्तर प्रदेश स्टार्ट-अप फंड का उपयोग मुख्य प्रारंभिक सामग्री और ड्रग इंटरमीडिएट सहित बल्क ड्रग/एपीआई और चिकित्सा युक्तियों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। प्रति फार्मा पार्क प्रति वर्ष 1 करोड़ रुपये की अधिकतम सब्सिडी के अधीन 7 वर्षों के लिए भूमि खरीदने के लिए लिए गए ऋण पर वार्षिक ब्याज के 50 प्रतिशत की ब्याज की प्रतिपूर्ति के रूप में ब्याज सब्सिडी मिलेगी। निजी फार्मास्युटिकल पार्कों में सामान्य बुनियादी ढांचे और उपयोगिताओं को विकसित करने के लिए पूंजीगत सब्सिडी निवेश मूल्य का 15 प्रतिशत होगी । यह सब्सिडी सामान्य बुनियादी ढांचे और उपयोगिताओं में जैसे- कोल्ड स्टोरेज, गोदाम, सामान्य परीक्षण सुविधाओं के विकास के लिए प्रदान की जाएगी, जो अधिकतम 25 करोड़ की सीमा के अधीन है । सड़क, पार्क, ड्रेनेज सिस्टम के निवेश पर कैपिटल सब्सिडी नहीं दी जाएगी। पात्र सब्सिडी 7 वर्ष की अवधि में किश्तों में प्रदान की जाएगी और प्रथम किस्त वास्तविक उत्पादन शुरू होने के बाद प्रदान की जाएगी ।इस नीति के तहत फार्मास्युटिकल इकाइयों को प्रोत्साहित किया जायेगा। इसमें अधिकतम 1 करोड़ रूपये प्रति वर्ष सब्सिडी मिलेगी। इसके तहत संयंत्र और मशीनरी की खरीद हेतु लिए गए ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में 5 वर्षों के लिए ब्याज राशि का 50 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी प्रति यूनिट प्रति वर्ष प्रदान की जायेगी।उद्योग अनुसंधान सब्सिडी में औद्योगिक अनुसंधान, गुणवत्ता सुधार और उत्पादों के विकास हेतु परीक्षण प्रयोगशालाओं और गुणवत्ता प्रमाणन प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए संयंत्र, मशीनरी और उपकरणों की खरीद पर खर्च के लिए लिये गये ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में 5 वर्षों के लिए प्रति वर्ष ब्याज राशि का 50 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी, अधिकतम रूपये 2 करोड़ सीमा तक प्रदान की जायेगी। इस नीति के तहत संयंत्र और मशीनरी के निवेश पर पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाएगी। सब्सिडी की राशि निवेश मूल्य का 15 प्रतिशत होगी, जो अधिकतम 200 करोड़ रुपये होगी। पात्र सब्सिडी 7 वर्ष की अवधि में किश्तों में प्रदान की जाएगी और प्रथम किस्त वास्तविक उत्पादन शुरू होने के बाद प्रदान की जाएगी ।उद्योग नीति के अन्तर्गत बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था की गयी है। इसके तहत बल्क ड्रग पार्कों/चिकित्सा युक्ति पार्कों में स्थापित इकाइयों को 10 वर्ष की अवधि के लिए ब्याज अनुदान प्रदान किया जाएगा साथ ही एयर कार्गाे हैंडलिंग चार्ज और फ्रेट इंसेंटिव कच्चे माल और तैयार माल को देश के अन्दर लाने एवं देश के बाहर ले जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर तय की गई दर पर एयर कार्गाे हैंडलिंग चार्ज और फ्रेट चार्ज के लिए विशेष प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। अनुसंधान एवं विकास संस्थान को सहायता प्रदान करने के लिए बायोटेक, चिकित्सा युक्तियों और फार्मा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया जायेगा। इसके तहत स्थापित नए अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को भूमि एवं भवन लागत को छोड़कर, स्थापित करने हेतु लिए गए ऋण पर 60 प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति के रूप में पूंजीगत ब्याज सब्सिडी, प्रति परियोजना अधिकतम 2 करोड़ रूपये की सहायता प्रदान की जाएगी। साथ ही क्लिनिकल परीक्षण के लिए पॉलिसी अवधि के दौरान एक वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश के भीतर स्थित अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को प्रति नैदानिक परीक्षण पर किये गये कुल व्यय का 75 प्रतिशत अधिकतम 2 करोड़ रूपये की प्रतिपूर्ति की जायेगी।इसी प्रकार नीति अवधि के दौरान एक वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश के भीतर स्थित यूजीसी/सरकार/एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित मान्यता प्राप्त अनुसंधान एवं विकास संस्थान को किसी भी औद्योगिक इकाई/उद्योग संघ द्वारा अनुबंधित/प्रायोजित बायोटेक और फार्मास्युटिकल अनुसंधान परियोजनाओं के अनुसंधान कार्य के लिए पात्र परियोजनाओं को लागत का 50 प्रतिशत अर्थात सब्सिडी पर अधिकतम 2 करोड़ रूपये की सीमा तक सहायता प्रदान की जा सकेगी। साथ ही प्रदत्त पेटेण्ट पर, घरेलू पेटेण्ट के लिए पेटेण्ट फाइलिंग लागत का 100 प्रतिशत तक अधिकतम 1.5 लाख रूपये तथा अन्तर्राष्ट्रीय पेटेण्ट के लिए वास्तविक पेटेण्ट फाइलिंग लागत का 50 प्रतिशत तक अधिकतम 5.0 लाख रूपये तक पेटेण्ट फाइलिंग शुल्क प्रतिपूर्ति की जायेगी। वही आयुष और फाइटोमेडिसिन का निर्माण करने वाली इकाइयां पॉलिसी अवधि में प्रदत्त पेटेंट पर वास्तविक पेटेंट फाइलिंग लागत की पूर्ण प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगी ।निर्यात के लिए प्रमाणन/अनुमोदन-एपीआई/फार्मूलेशन के निर्यात के लिए यूएसएफडीए, डब्ल्यूएचओ प्री-क्वालिफिकेशन, ईडीक्यूएम, एमएचआरए या किसी अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणपत्र/अनुमोदन/अनुमोदन/अनुमोदन के लिए किए गए आवेदन व्यय का 50 प्रतिशत प्रति यूनिट अधिकतम 10 उत्पाद तक 25 लाख रुपये प्रति उत्पाद की प्रतिपूर्ति मिलेगी। यह प्रोत्साहन कम से कम 100 करोड़ रुपये के वाणिज्यिक निर्यात के सत्यापन के बाद दिया जाएगा। उद्यमियों की सहायता हेतु एफएसडीए नोडल अधिकारी नामित किया जायेगा। एफएसडीए टीम द्वारा परियोजना का पूर्व-परामर्श के लिए निवेशक द्वारा प्रस्तुत परियोजना और भवन योजना का डोजियर का अध्ययन करने के लिए निवेशक को लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी किया जाएगा। केंद्र सरकार की योजना के तहत स्वीकृत कोई भी बल्क ड्रग पार्क/मेडिकल डिवाइस पार्क उद्योग विकास विभाग द्वारा विकसित किया जाएगा।5 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गयाप्रदेश के व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा प्रदेश के 14 से 35 आयुवर्ग के अल्पशिक्षित तथा स्कूल ड्रापआउट युवाओं को निःशुल्क व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें आजीविका उपार्जन हेतु सक्षम बनाने की दृष्टि से अल्पकालीन कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है, जिसके तहत बेरोजगार युवकों को रोजगार प्राप्त करने मे मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने बताया कि प्रदेश की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में लगभग 05 लाख से अधिक युवाओं को विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित किया गया है। इस प्रकार उ.प्र.कौशल विकास मिशन द्वारा इस अवधि में लगभग 09 लाख युवाओं को विभिन्न रोजगारपरक टेªड्स में प्रशिक्षित किया गया।