सार्वजनिक स्थलों से सभी अतिक्रमण हटाने का SC ने दिया आदेश, धार्मिक संरचना विधेयक लाकर बीजेपी सरकार ने कहा- मंदिर हम ही बचाएंगे


कर्नाटक मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने एक विधेयक पेश किया। जिसका उद्देश्य राज्य में अवैध धार्मिक ढांचों को बचाना है। कर्नाटक धार्मिक संरचना (संरक्षण) विधेयक 2021, को पारित करने का उद्देश्य सरकार को सार्वजनिक स्थलों पर खड़े ‘अवैध’ धार्मिक ढांचों के संरक्षण का अधिकार प्रदान करना। जब ये कर्नाटक विधायिका के दोनों सदनों से पारित हो जाएगा। विधेयक में सार्वजनिक स्थानों पर भविष्य में धार्मिक ढांचों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है। अभी तय किए जाने वाले नियमों में, संरक्षण के पात्र धार्मिक ढांचों की पहचान के लिए, मानदंड भी परिभाषित किए जाएंग। लेकिन संरक्षण के नियम किसी भी अदालत में लंबित मामलों पर लागू नहीं होंगे।

कर्नाटक में कितनी अवैध धार्मिक संरचनाओं की पहचान की गई है?

2010-11 में सभी राज्यों की तरफ से उनके क्षेत्रों में अवैध धार्मिक संरचनाओं का विवरण सुप्रीम कोर्ट का सामने रखा था।  कर्नाटक सरकार ने 5 मई, 2011 के हलफनामे में कहा था कि राज्य में कुल 4,722 अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं में से 1,505 को हटा दिया गया था और 154 को नियमित किया गया। जबकि 12 मामले कानूनी विवाद थे। राज्य के मुख्य सचिव पी रवि कुमार द्वारा राज्य में उपायुक्तों को भेजे गए एक जुलाई 2021 के एक पत्र के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर लगभग 6,395 अनधिकृत धार्मिक संरचनाएं हैं। दक्षिण कन्नड़ जिले में 1,579 हैं, शिवमोग्गा में 740 और बेलगावी में 612 हैं। अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं में मंदिरों की संख्या ज्यादा है व मस्जिद और चर्च भी शामिल हैं। कई मामलों में मुकदमे भी चल रहे हैं। हासन जैसे कुछ जिलों ने जिले में 112 अवैध धार्मिक संरचनाओं में से 92 को हटाकर 80 प्रतिशत से अधिक की दक्षता दर का दावा किया है। जब कई जिलों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू किया जा रहा था, बेंगलुरु में धीमी प्रगति हुई। 29 सितंबर 2009 के बाद बनी 277 अवैध धार्मिक संरचनाओं में से केवल पांच को हटा दिया गया था जबकि स्थानांतरण के लिए चुनी गई 105 संरचनाओं पर कार्रवाई नहीं की गई थी।

नंजनगुड में मंदिर विध्वंस पर कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा- सहयोगियों की प्रतिक्रिया?

मंदिरों के "बचाव" की मांग को लेकर हिंदू समर्थक संगठनों ने राज्य भर में कई विरोध प्रदर्शन किए हैं। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और भाजपा केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने विध्वंस अभियान को जिला अधिकारियों द्वारा "त्रुटि" करार दिया है। इस मुद्दे पर अपनी ही पार्टी के सदस्यों द्वारा आलोचना किए जाने के बाद, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे पूरे कर्नाटक में विध्वंस अभियान को अस्थायी रूप से रोक दें। बोम्मई ने कहा है कि सरकार अदालत के आदेशों की समीक्षा करना चाहती है और अवैध धार्मिक संरचनाओं के लिए नए दिशा-निर्देशों के साथ आना चाहती है। रविवार को भाजपा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में बोम्मई ने विवाद पैदा करने के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। भाजपा द्वारा अवैध रूप से पहचाने जाने वाले धार्मिक स्थलों के पुनर्वास या नियमितीकरण के लिए नीति लाने की संभावना है, न कि विध्वंस के लिए, जिसके परिणामस्वरूप भावनात्मक प्रतिक्रिया होती है। 

 हिन्दू महासभा की सीएम को धमकी

हिंदू महासभा के एक प्रतिनिधि ने शनिवार को सीएम बोम्मई, पूर्व सीएम येदियुरप्पा और मुजराई मंत्री शशिकला जोले के खिलाफ विध्वंस को लेकर जान से मारने की धमकी वाला बयान दिया। हिंदू महासभा (एचएमसी) के राज्य सचिव धर्मेंद्र ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि अगर राज्य में मंदिरों को तोड़ना जारी रहा, तो हिंदू महा सभा बोम्मई के नेतृत्व वाली ‘‘कमजोर’’ भाजपा सरकार को नहीं बख्शेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री बोम्मई, पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और राज्य की मुजराई मंत्री शशिकला जोले का नाम लेते हुए कहा था, ‘‘ हमने गांधी को नहीं बख्शा। तुम हमारे लिए कुछ नहीं हो। हम तुम्हे भी नहीं बख्शेंगे।’ जिसके बाद हिंदू महासभा (एचएमसी) के राज्य सचिव धर्मेंद्र को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और कर्नाटक की भाजपा सरकार को मैसूर में एक मंदिर तोड़े जाने को लेकर धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, धर्मेंद्र के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी),153 (ए), 502 (2) और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है। 

अब आगे क्या?

सीएम बोम्मई ने 20 सितंबर को विधानसभा में धार्मिक ढांचों को हटाने के लिए लक्षित किए जा रहे संरक्षण के लिए एक विधेयक पेश किया। विधेयक के अगले कुछ दिनों में पारित होने की संभावना है और उम्मीद है कि इसे सभी पार्टियों का समर्थन मिलेगा।