मेरठ। मेरठ में अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य बंद रखने के साथ न्यायालयों में न्यायिक कार्य कर रहे अधिवक्ताओं को भी रोका। पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बेंच की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। मंगलवार को मेरठ में हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति की बैठक के निर्णय के बाद वकील बुधवार से सोमवार तक की हड़ताल पर चले गए। वकीलों के न्यायिक कार्य से विरत रहने के कारण वादकारियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कुछ जिलों में वकीलों ने धरना प्रदर्शन किया तो एक दो जिलों में हड़ताल का असर नहीं दिखा।
मेरठ में अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य बंद रखने के साथ न्यायालयों में न्यायिक कार्य कर रहे अधिवक्ताओं को भी रोका। हाई कोर्ट स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने निर्णय लिया कि अब आंदोलन को तेज कर आमजन को जोड़ा जाएगा। हर शनिवार को स्थानीय जनप्रतिनिधियों के घेराव पर भी विचार-विर्मश हुआ। बागपत बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने धरना-प्रदर्शन कर सब रजिस्ट्रार दफ्तर पर ताला जड़ दिया। बड़ौत व खेकड़ा में रेवेन्यू बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने सब रजिस्ट्रार कार्यालय पर धरना प्रदर्शन कर ताला लगाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा।
शामली के वकील भी हड़ताल पर रहे। जिला एवं सत्र न्यायालय कैराना, शामली कलक्ट्रेट, ऊन तहसील में अधिवक्ता चेंबर में बैठे रहे, लेकिन न्यायिक कार्य नहीं किया। बिजनौर में अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण जिला जजी, मुंसिफी नगीना, चांदपुर, नजीबाबाद और राजस्व एवं चकबंदी न्यायालयों में कामकाज नहीं हुआ। अधिवक्ताओं ने एडीएम को ज्ञापन दिया। सहारनपुर में भी वकील न्यायिक कार्य से विरत रहे। बार संघ अध्यक्ष अभय सैनी ने बताया कि अधिवक्ता पिछले काफी समय से हाई कोर्ट बेंच की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई भी सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। अब आंदोलन तेज होगा। हड़ताल के कारण वादकारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उधर, मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर में हड़ताल का असर दिखाई नहीं दिया।