
धनबाद. धनबाद जिले में बोलने वाला मूकबधिर और आराम से चलने वाला पैर से दिव्यांग है. सुनने में यह बात अजीब लगती है लेकिन धनबाद में यह है बिल्कुल सच. दरअसल, यहां आप आसानी से अपना दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवा सकते है. स्वास्थ्य विभाग की जेब गर्म करते ही वह बिना जांच किए आपका दिव्यांगता का प्रमाण पत्र बना देगा. इसके लिए आपको कहीं दौड़-धूप करने की भी जरूरत नहीं है. बस, बिचौलिया पैसे लेकर आपका यह काम तुरंत करा देगा.
आंखद्वारा में भरे हैं फर्जी दिव्यांग
धनबाद जिले के कलियासोल प्रखंड का आंखद्वारा पंचायत में ऐसे मूक-बधिर और विकलांग भरे पड़े हैं जो बोल भी सकते हैं, सुन भी सकते हैं और फर्राटे के साथ दौड़ भी सकते हैं. यह कोई ईश्वरीय वरदान नहीं, बल्कि फर्जीवाड़े का कमाल है. दरअसल दो पंचायत के 50 फीसदी लोगों ने स्वामी विवेकानंद नि:शक्त स्वावलंबन योजना का लाभ लेने के लिए फर्जी तरीके से नि:शक्तता प्रमाण पत्र बनवा लिया है. इस योजना के तहत दिव्यांगों को हर महीने 1000 रुपये मिलते हैं.
स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया प्रमाण पत्र
हैरानी की बात यह है कि आवेदन मिलने पर स्वास्थ्य विभाग ने जांच इन ‘दिव्यांगों’ की जांच नहीं की और नि:शक्तता प्रमाण पत्र जारी कर दिया. पंचायत जनप्रतिनिधि के पास जब योजना का लाभ लेने के लिए आवेदकों की संख्या बढ़ने लगी तो उन्हें शक हुआ. उन्होंने भौतिक सत्यापन कराया तो पता चला कि गांव के 50 फीसदी लोगों ने नि:शक्तता प्रमाण पत्र बनवा लिया है.
सुनने वाले बधिर आदित्य मालाकार

सुनने वाले बधिर आदित्य मालाकार
मूक-बधिर का प्रमाण पत्र बनवाने वाले आदित्य मालाकार से जब बात की गई तो उन्होंने बड़े आराम से बातें सुनीं और सवालों के जवाब दिए. जब उनसे पूछा गया कि आपने मूकबधिर का प्रमाण पत्र बनवा रखा है जबकि आप आराम से बोल सकते हैं, सुन सकते हैं तो उन्होंने कहा कि सुनाई कम देता है, बोल आराम से लेते हैं. जब कहा गया यह गलत है तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि गलती हुई है.
बोलने वाले मूक लक्ष्मण डे

बोलने वाले मूक लक्ष्मण डे
इसी तरह यहां के लक्ष्मण डे ने भी मूकबधिर का प्रमाण पत्र बनवा रखा है. जब तक उनसे प्रमाण पत्र के बारे में नहीं पूछा गया था, तब तक वे बड़े आराम से सुन-बोल रहे था. लेकिन जैसे ही उनसे कहा गया है कि आपने मूकबधिर का प्रमाण पत्र बनावाया है, लेकिन आप तो बोलते हैं, इस बात के साथ ही उन्होंने ऊंचा सुनाई देने का स्वांग करना शुरू कर दिया. हालांकि उन्होंने कहा कि प्रमाण पत्र बनवाया जरूर है, लेकिन उसका लाभ अभी तक नहीं मिला है.
20 लोग हैं दिव्यांग, सर्टिफिकेट 250 के पास : मुखिया

आंखद्वारा पंचायत के मुखिया सृष्टिपद.
पंचायत के मुखिया सृष्टिपद सिंह ने बताया कि पंचायत के 50 प्रतिशत लोगों ने दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया है. शक होने पर उन्होंने जांच की और हस्ताक्षर करने से मना कर दिया. उन्होंने बताया कि इस बारे में पूर्व विधायक अरूप चटर्जी को जानकारी दी थी. उन्होंने कहा कि प्रखंड पदाधिकारी को भी इस फर्जीवाड़े से अवगत करवाएंगे. पंचायत में जितने लोगों ने दिव्यांगता का प्रमाण पत्र बनवाया है, उतने हैं नहीं. उन्होंने कहा कि इस पंचायत में लगभग 20 लोग नि:शक्त हैं. लेकिन योजना का लाभ लेने के लिए 250 लोगों ने नि:शक्तता प्रमाण पत्र बनवा लिया है.
मामला संज्ञान में आया है, जांच कर कार्रवाई की जाएगी : सीएस

धनबाद के सिविल सर्जन श्याम किशोर कांत.
निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि यह मामला बहुत बड़ा है. इसकी जांच होनी चाहिए. फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, डॉक्टर पर कार्रवाई होनी चाहिए. सरकार, विभाग को जांच करने की जरूरत है. दिव्यांगता प्रमाण पत्र फर्जीवाड़े मामले में धनबाद के सिविल सर्जन श्याम किशोर कांत ने कहा कि यह मामला संज्ञान में आया है. जांच कर कार्रवाई की जाएगी.