बहन की जीवन भर के लिए उसकी रक्षा का वचन:रक्षाबंधन



पंडित रूप चंद शर्मा:
आज पूरा विश्व रक्षाबंधन का पर्व मना रहा है हम सभी भाई जब बहन पूजा की थाली सजा कर हमें ललाट पर तिलक लगाने के बाद हमारी कलाई पर जब रक्षा सूत्र राखी बांधती है तो हम जीवन भर के लिए उसकी रक्षा का वचन देते हैं एक सवाल यह उठता है कि यह त्यौहार कब से अस्तित्व में आया मान्यता है कि जब भक्त बली को भगवान विष्णु जी ने पाताल लोक भेज दिया तो उसे बड़ा दुख हुआ कि अब मैं अपने इष्ट देव भगवान विष्णु के दर्शन नहीं कर पाऊंगा तो उन्होंने हजारों वर्षों तक विष्णु भगवान की पूजा की जिसके फल स्वरुप भगवान ने बलि को दर्शन दिए तथा उनसे वरदान मांगने के लिए कहा तो बलि राजा ने वरदान में मांगा कि आप अब हमेशा ही मेरे साथ रहेंगे तो भगवान को भी मजबूरी में तथास्तु कहना पड़ा तथा वहीं पर रुक गए तो बाकी संसार मृतप्राय हो गया माता लक्ष्मी क्षीरसागर में अकेली वह दुखी रहने लगी तब नारद मुनि ने उन्हें एक उपाय बताया तो माता लक्ष्मी ने पाताल लोक में जाकर राजा बलि की कलाई में रक्षा सूत्र राखी बांधकर कहा कि भाई अब मेरा सारा संसार आपके ही भरोसे पर हैं मेरे पति अब आप के अधीन हैं उन्हें मुक्त कर दो राजा बलि ने कहा कि आप मेरी बहन हैं माता समान हैं और मैं आपकी रक्षा करना मेरा भी दायित्व है मैं भगवान जी से प्रार्थना करूंगा कि वह अब छीर सागर में जाकर आपका और संसार का अपना दायित्व संभाले तब से रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है दूसरा प्रसंग हमें यह भी मिलता है कि एक बार असुरों ने पूरी धरती जीतने के बाद जब स्वर्ग पर भी अधिकार कर लिया तो देवराज इंद्र अपने गुरु बृहस्पति के पास पहुंचे तो उन्होंने उपाय बताया कि मैं एक रक्षा सूत्र जो मंत्रों से अभिमंत्रित होगा वह तुम्हें दूंगा उन्होंने मंत्रों से अभिमंत्रित करके एक रक्षा सूत्र इंद्र की पत्नी सूची को दिया और कहा कि इस सूत्र को इंद्र की दाहिनी कलाई में बांध दो जब सूची ने रक्षा सूत्र इंद्र की कलाई में बांधा तो उसके पश्चात इंद्रदेव ने असुरों का वध किया तीसरा उदाहरण हमें तब का मिलता है जब एक श्री कृष्ण की बुआ जो शिशुपाल की मां भी थी जब उसने एक कुरूप बच्चे को जन्म दिया तो ज्योतिषियों ने बताया कि जिसकी गोद में जाकर यह बच्चा रूपवान बन जाएगा वह इसके अतिरिक्त दो भुजाएं श्वेता है समाप्त हो जाएंगी तो समझना कि उसी के हाथ हो उसकी मृत्यु निश्चित है तब श्रीकृष्ण अपनी बुआ से मिलने गए तो शिशुपाल का उनकी गोद में भी दिया गया तो उनकी दो बाजू सोते ही टूट कर गिर गई तब श्रीकृष्ण की बुआ रोने लगी उन्होंने कृष्ण की कलाई पर धागा बांधकर अपने अपने पुत्र की रक्षा का वचन लिया तब श्री कृष्ण ने उसके अपराध क्षमा करने का वचन दिया तब से ही बुआ भतीजे को राखी बांधी आ रही हैं इसके उपरांत जब पांडवों की सभा में शिशुपाल ने श्री कृष्ण का अपमान किया तो सौ अपराध पूरे होने के बाद श्री कृष्ण जी ने सुदर्शन चक्र के द्वारा उसका सिर धड़ से अलग कर दिया तो श्रीकृष्ण की अंगुली में रक्त बहने लगा तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ कर उनकी अंगुली पर बांधी तो श्री कृष्ण ने द्रोपदी से कहा कि तुम आज से मेरी प्यारी बहन हो और मैं वचन देता हूं कि हमेशा तुम्हारी सुरक्षा करूंगा जिसका बदला उन्होंने चीरहरण के समय द्रोपती की इज्जत बचाई एक और प्रसंग हमें जब मिलता है जब मेवाड़ की महारानी कर्णावती ने जब गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने आक्रमण किया तो महारानी कर्णावती ने शाह के द्वारा दिल्ली के बादशाह हुमायूं को राखी भेजी और सहायता मांगी तो हुमायूं ने बहादुर शाह की गर्दन उतार कर अपनी बहन को दिया हुआ वचन पूरा किया आज हमारी भारतीय सभ्यता में यह त्यौहार एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है कितने ही राज्यों की सरकारों द्वारा आज के तीन बहनों को मुफ्त बस की या ट्रेन की सवारी दी जाती है करोड़ों बहनों भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनसे अपने लिए सुरक्षा की आशा करते हैं भाई भी यही वायदा करते हैं लेकिन यह कैसी विडंबना है कि उन करोड़ों भाइयों में कुछ भाई दुष्ट प्रवृत्ति के ऐसे लोग भी होते हैं जो किसी और की बहनों के साथ दुष्कर्म करते हैं उनकी हत्या करते हैं तभी हमारे समाज में निर्भया जैसे कांड होते हैं जो हमारे समाज पर एक कलंक है आज जरूरत है कि सभी भाई रक्षाबंधन के पर्व पर अपनी बहनों से उनकी सुरक्षा के साथ-साथ यह वायदा भी करें कि आज के बाद हम सभी को अपनी ही बहन समझेंगे मानेंगे और उनकी सुरक्षा भी करेंगे ना कोई अपराध करेंगे और ना ही कोई अपराध होने देंगे तभी यह त्यौहार असल में सार्थक त्यौहार होगा.