भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना जा रहा है। भारत की आजादी के लिए बहुत से लोगों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। कविता में कवियत्री ने देशभक्ति को बहुत ढंग से प्रस्तुत किया है कवियत्री ने बताया है कि देशभक्ति से बड़ा कोई धर्म नहीं है। कवियत्री प्रतिभा तिवारी ने भारत को जो आजादी मिली है उसको इस कविता के माध्यम बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है।
अगस्त आते ही
हम सबकी
देशभक्ति जाग जाती है
पूरे देश में देशभक्ति की
तस्वीर नजर आती है
हर शहर, हर गांव, हर गली
तिरंगे से सज जाती है
पूरे साल भूले रहते हैं हम
देशभक्ति के किए वादे
बदल जाते हैं सबके इरादे
निभाते नहीं हम
देश के प्रति अपना कर्तव्य
कुछ ही पल में
बदल देते हैं अपने वक्तव्य
आखिर क्यों हम भूल गए हैं
हमने आजादी की
बहुत बड़ी कीमत चुकाई थी
आजादी के मतवालों ने
अपनी जान गंवाई थी
झूले थे फांसी
सीने पर गोली खाई थी
माताओं ने चिता पर रोकर
बच्चों ने भी पिता को खोकर
आजादी हमें दिलाई थी
सूनी मांग,कलाई सूनी
देख आंख भर आईं थी
वो अडे रहे वो खड़े रहे
निर्भयता और निडरता से
देख फिरंगी दृढ़ उनका
भाग गए कायरता से
फिर आजादी के वीरों पर
क्यों ना हम सब अभिमान करें
उनका लहू मिला जिस मिट्टी में
आओ उस मिट्टी को प्रणाम करें
कोटि कोटि उन्हें नमन करें
जो हमको ये सम्मान दिया
उनके देशप्रेम के जज्बे ने
हमें हमारा हिन्दुस्तान दिया