अफगानिस्तान: अफसाना ए हकीकत
सत्तर के दशक में मुझे याद है जब सोवियत संघ की सेनाएं अफगानिस्तान की सड़कों पर तालिबान लड़ाकों को हलाक कर रही थी। अंततः रूसियों ने राजधानी पर कब्जा जमा लिया और तत्कालीन शासक के खिलाफ आधी रात में मुकदमा शुरू किया गया। लगभग डेढ़ घंटे ही मुकदमे की कार्यवाही चली और पहले से तय फैसला सुना दिया गया। संभवतः यह आज तक की दुनिया की किसी अदालत द्वारा की गई सबसे तेज और सबसे कम समय में की गई कार्रवाई थी। रात्रि लगभग डेढ़ बजे तत्कालीन शासक को लैम्प पोस्ट से लटकाकर फांसी दे दी गई।पिछले बीस वर्षों में अफगानिस्तान जितना भी चला वह पहुंचा वापस तालिबान तक ही। दुनिया की दो परस्पर विरोधी महाशक्तियों क्रमशः रूस व अमेरिका ने वर्षों भरपूर रक्त बहाने के बावजूद अफगानिस्तान की रियाया के लिए कुछ भी बेहतर नहीं किया। दुनिया के सारे अनुमान केवल खामख्याल साबित हुए। क्या तालिबान को वहां की जनता का समर्थन हासिल है? कोई भी सत्ता वहां की सम्पूर्ण जनता का प्रतिनिधित्व नहीं करती। अक्सर अल्पमत के आक्रामक लोग सत्ता का अपहरण करने में सफल हो जाते हैं।शेष बहुसंख्यक जनता आक्रामकता के समक्ष घुटने टेक देती है। बार-बार ऐसा होने से ऐसे भूगोलीय राष्ट्र में गृहयुद्ध और बाहरी शक्तियों के हस्तक्षेप की परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं। अमेरिका ने अफगानिस्तान में बीस महत्वपूर्ण वर्ष गुजारने के बावजूद कुछ भी अच्छा नहीं किया।आज यह देश अपनी जनता की जान बचाने की सबसे कठिन समस्या से गुजर रहा है।रूस, चीन और पाकिस्तान तालिबान के समर्थन में हैं। भारत के लिए यह नकारने और स्वीकारने के बीच की स्थिति है। अपनी कद काठी और वीरता के लिए प्रसिद्ध अफगानी जान बचाने के लिए हवाई जहाज के पहियों से लटककर जान दे रहे हैं। औरतों के समक्ष जान और अस्मत बचाने की दोहरी चुनौती है। तालिबान का चेहरा खौफनाक ही नहीं वीभत्स भी है। उसके शांति से सत्ता हासिल करने का दावा उतना ही हास्यास्पद है जितना राष्ट्रपति कार्यालय में बंदूक लिए लड़ाकों की मौजूदगी का सच।
112 वें बलिदान दिवस पर किया नमन
मदनलाल ढींगरा ने अपने रक्त से क्रांति की लौ को प्रज्वलित किया-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
गाजियाबाद, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में महान क्रांतिकारी मदनलाल ढींगरा के 112 वें बलिदान दिवस पर ऑनलाइन श्रद्धांजलि अर्पित की गई । उल्लेखनीय है कि 1 जुलाई 1909 को इंडियन नेशनल एसोसिएशन के कार्यक्रम में लंदन में उन्होंने विलियम हट कर्जन वायली की गोली मारकर हत्या कर दी थी तथा 17 अगस्त 1909 को लंदन के पेंट विले जेल में मदनलाल ढींगरा को फांसी दी गई ।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि मदनलाल ढींगरा जैसे हजारों नोजवानो ने अपने रक्त से भारत को स्वतंत्र करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । राष्ट्र उनके बलिदान को सदियों तक याद रखेगा । उन्होंने बताया कि लंदन का इंडिया हाउस भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों का गढ़ था । श्यामजी कृष्ण वर्मा व वीर सावरकर से प्रेरणा लेकर नोजवान देश की आजादी के लिए तैयार होते थे । आज युवाओँ को ढींगरा के बलिदान से प्रेरणा लेकर देश की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए ।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि आजादी की लड़ाई में भाग लेने हेतु श्यामजी कृष्ण वर्मा ने महर्षि दयानंद से प्रेरणा ली तथा हजारों युवाओँ को आजादी के आंदोलन से जोड़ा ।
गायक नरेंद्र आर्य सुमन,प्रवीन आर्या,संगीता आर्या,सुदेश आर्या, दीप्ति सपरा, देवेन्द्र गुप्ता आदि ने देशभक्ति पूर्ण गीत सुनाये ।
प्रमुख रूप से ओम सपरा, आर पी सूरी,महेंद्र भाई, अरुण आर्य, वीना वोहरा आदि उपस्थित थे ।
अपनापन फाउंडेशन की तरफ से कई वर्षों से प्रत्येक मंगलवार को हनुमान मंदिर घंटाघर पर रसोई सेवा की जा रही है। आज इस सेवा (भंडारे) की शुरुआत कराने का अवसर मुझे मिला। पांच सौ से अधिक लोगों ने भोजन ग्रहण किया। इस सराहनीय कार्य में राजेश बंसल, नानक चंद गोयल, विनोद गोयल, नीरज गोयल, सुनील वासने, सीमा गोयल, नीरा वासने, अमर दत्त शर्मा, विपिन अग्रवाल, श्रीकांत रमेश चंद और राकेश स्वामी लगे हुए हैं। भाई राकेश स्वामी ने बताया कि अशोक गोयल जी की प्रेरणा से ये सेवा निर्बाध चल रही है।समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ की समीक्षा बैठक के दूसरे चरण में गाजियाबाद के वेलकम मैरिज होम में आहूत समीक्षा बैठक की मुख्य झलकियां कार्यक्रम में मौजूद सपा राष्ट्रीय सचिव पूर्व राज्य मंत्री रमेश प्रजापति पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ प्रदेश महासचिव हरीश चंद्र प्रजापति प्रदेश सचिव गिरीश मथुरिया जिला उपाध्यक्ष मेरठ बॉर्बी सेन सपा जिला अध्यक्ष राशिद मलिक जिला महासचिव वीरेंद्र यादव प्रदेश सचिव कृष्ण रुहेला पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष हरेंद्र चौधरी श्रीमती रेखा देवी श्रीमती सविता श्रीमती सुषमा व अन्य सैकड़ों पदाधिकारी एवं सदस्यगण