उत्तर प्रदेश की खबरें: महिला कल्याण मंत्री ने दिया किशोरों को आगे बढ़ने का आशीर्वाद


आगामी स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के अवसर पर ’’भारत का अमृत महोत्सव’’ कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के समस्त प्रगतिशील किसानों को किया जाएगा सम्मानि। विभिन्न फसलों में उच्च स्तरीय उपलब्धता प्राप्त करने वाले, नवीन तकनीक विकसित कर पैदावार में बढ़ोतरी करने वाले तथा नए-नए प्रयोग कर कृषि को नई दिशा देने वाले किसान होंगे सम्मानित। कृषक उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देने वाले एवं सरकार की किसानोन्मुखी योजनाओं में उल्लेखनीय योगदान देने वाले किसान भी होंगे सम्मानित।

कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा और कृषि विश्वविद्यालय न होने की स्थिति में उप कृषि निदेशक कार्यक्रम का आयोजन करेंगे

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री, सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि आगामी स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के अवसर पर आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ’’भारत का अमृत महोत्सव’’ कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के समस्त प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया जाएगा। विभिन्न फसलों में उच्च स्तरीय उपलब्धता प्राप्त करने वाले, नवीन तकनीक विकसित कर पैदावार में बढ़ोतरी करने वाले, नए-नए प्रयोग कर कृषि को नई दिशा देने वाले किसानों को इस अवसर पर सम्मानित किया जाएगा। शाही ने बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत ऐसे किसानों को भी सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने कृषक उत्पादक संगठनों को बढ़ावा दिए जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। इसके अतिरिक्त सरकार की किसानोन्मुखी योजनाओं में उल्लेखनीय योगदान देने वाले किसानों को भी सम्मान प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर महिला किसानों को भी अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया जाएगा। कृषि मंत्री ने बताया कि इस संबंध में समस्त कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं निदेशक, कृषि को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अपर मुख्य सचिव, कृषि की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि जिन जनपदों में कृषि विश्वविद्यालय होंगे, वहां कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा और कृषि विभाग के अधिकारी सहयोग करेंगे। कृषि विश्वविद्यालय न होने की स्थिति में उप कृषि निदेशक द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा तथा संबंधित कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा सहयोग दिया जाएगा।

पशु रोग नियंत्रण योजना के लिए 2.98 करोड़ से अधिक की धनराशि स्वीकृत

उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय पशु स्वास्थ्य तथा पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत पशुपालन विभाग की पशु रोग नियंत्रण योजना के लिए 298.65637 लाख रूपये (दो करोड़ अट्ठानबे लाख पैंसठ हजार छह सौ सैंतीस रूपये) की धनराशि वर्तमान वित्तीय वर्ष में स्वीकृत की है। स्वीकृत धनराशि का व्यय ट्राईबल सब प्लान के अर्न्तगत किया जायेगा। यह योजना 60 प्रतिशत केन्द्र पोषित तथा 40 प्रतिशत राज्य पोषित है। पशुधन विभाग द्वारा इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया हैै। योजना के सुनियोजित क्रियान्वयन के लिए निदेशक, रोग नियंत्रण प्रक्षेत्र, पशुपालन विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। शासनादेश में कहा गया है कि स्वीकृत धनराशि का आहरण एवं व्यय भारत सरकार के दिशा-निर्देशों एवं निर्धारित मानकों व कार्य योजना का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करते हुए किया जाएगा।

एनएसई एवं बीएसई पर लिस्टेड होने से कंपनियों की मार्केट कैपिटल बढ़ेगी, व्यवसाय बढ़ेगा और रोजगार का सृजन भी होगा

शेयर बाजार के माध्यम से कंपनियों को पूंजी जुटाने के लिए राज्य सरकार ने नई पहल की है। अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम डा0 नवनीत सहगल से नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) के सीनियर मैनेजर श्री राकेश कुमार की इस परिप्रेक्ष्य में मुलाकात हुई और उत्तर प्रदेश से नई कंपनियों को एनएसई/बीएसई पर लिस्टेड कराने पर सकारात्मक चर्चा हुई। कैसरबाग स्थित निर्यात प्रोत्साहन भवन में आज आयोजित बैठक में अपर मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग 55 लाख डीमैट एकाउंट है और देश में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश से एनएसई पर आठ एवं बाम्बे स्टाक एक्सचंेज (बीएसई) पर नौ कंपनिया लिस्ट हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में इलेक्ट्रानिक्स, आईटी, लॉजिस्टिक, मैन्यूफैक्चरिंग, प्लास्टिक, लेदर, एग्रो, फूड प्रोडक्टस्, वस्त्र आदि के क्षेत्र में कंपनियां अच्छा कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों के एनएसई एवं बीएसई पर लिस्ट होने से उनकी मार्केट कैपिटल बढ़ेगी। साथ ही व्यवासाय का विस्तार होगा और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पिछले चार वर्षों में स्थापित कंपनियों को एनएसई/बीएसई पर लिस्ट कराने में प्राथमिकता दी जायेगी। फिक्की और लघु उद्योग भारती जैसे औद्योगिक संगठनांे का एनएसई/बीएससी के साथ वर्चुअल संवाद कराया जायेगा, जिससे औद्योगिक संगठन अधिक से अधिक कंपनियों को एनएसई/ बीएससी पर लिस्ट कराने के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित कर सकेंगेे। उन्होंने कहा कि नई कंपनियों को स्टाक मार्केट में सूचीबद्ध कराने के लिए हर संभव सहयोग व मदद दी जायेगी।

गन्ना विकास विभाग द्वारा 146 सहकारी गन्ना और चीनी मिल समितियों में की गयी फार्म मशीनरी बैंकों की स्थापना

उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग द्वारा गन्ना खेती में यंत्रीकरण के लिए वर्तमान में प्रदेश की 146 सहकारी गन्ना विकास समितियों और चीनी मिल समितियों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गई है। गन्ना विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार फार्म मशीनरी बैंक के अंतर्गत सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में फसल अवशेषों के प्रबंध हेतु ट्रैश कल्चर और रिवर्सिबल मोल्डबोल्ड प्लाऊ सहित कुल 438 कृषि यंत्र (प्रति समिति 03 यंत्र) खरीदे गये है। इन यंत्रों को किराये पर किसानों को उपलब्ध कराने के लिए पूरे प्रदेश में एक समान किराया दर का निर्धारण किया गया है। उल्लेखनीय है कि इन कृषि यंत्रों का उपयोग किसानों द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किया जा रहा है। इसके साथ ही विभाग द्वारा भविष्य में फार्म मशीनरी बैंक योजना के अंतर्गत गन्ना की खेती के उपयोग में आने वाले 12 प्रकार के 35 कृषि यंत्रों को सहकारी गन्ना समिति एवं चीनी मिल समितियों में उपलब्ध कराया जायेगा।

पशु प्रजनन सुविधाओं के सुधार एवं विस्तार के लिए 7.90 करोड़ रूपये  की धनराशि स्वीकृत

उत्तर प्रदेश मंे गायों एवं भैंसो में कृत्रिम गर्भाधान द्वारा पशु प्रजनन सुविधाओं के सुधार एवं विस्तार तथा बैफ के माध्यम से प्रजनन सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में 7.90 करोड़ (सात करोड़ नब्बे लाख) रुपए की धनराशि प्रदेश सरकार ने स्वीकृत कर दी है। स्वीकृत धनराशि का व्यय अनुसूचित जातियों के लिए विशेष घटक योजना के तहत किया जायेगा। पशुधन विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में शासनादेश जारी करते हुए योजना के सुनियोजित क्रियान्वयन के आवश्यक दिशा-निर्देश सम्बन्धित जनपदों के मुख्य पशुचिकित्साधिकारियों को दे दिए गए है। शासनादेश में कहा गया है कि स्वीकृत धनराशि का आहरण एवं व्यय भारत सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा एस0सी0एस0पी0/टी0एस0पी0 हेतु निर्धारित मानकों व दिशा-निर्देशों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करते हुए किया जाएगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि के साथ ही पशुपालकों की आय में वृद्धि कर उनके आर्थिक स्तर में सुधार लाना है। योजनान्तर्गत प्रदेश के पशुपालकों के पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध कराकर उन्नत प्रजाति के दुधारू पशुओं के प्रजनन को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृत्रिम गर्भाधान से मादा पशुओं में होने वाली प्रजनन संबंधी बीमारियों मंे भी कमी आयेगी। कम समय में आनुवंाशिक उन्नति के लिये कृत्रिम गर्भाधान सरल व सशक्त माध्यम है तथा पशु प्रजनन कार्यक्रम की रीढ़ है। उच्च अनुवंाशिक वीर्य के माध्यम से वृह्द स्तर पर पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराते हुए पशुओं की नस्ल सुधार कर उनकी उत्पादकता में वृ़िद्ध की जाती है। इस योजना के माध्यम से प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में निवास कर रहे पशुपालकों को उन्नत प्रजाति के पशु प्राप्त हो रहें हैं और दुग्ध उत्पादन की क्षमता में वृद्धि के साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही है।

संक्षिप्त पुनरीक्षण-2021 एवं निरन्तर पुनरीक्षण-2021 के सभी अर्ह मतदाता, जिनके यूनीक मोबाईल नम्बर निर्वाचक नामावली डाटाबेस में उपलब्ध हैं, वे आगामी 14 अगस्त को पूर्वाह्न 11ः00 बजे से मध्याह्न 12ः00 बजे तक अपने ई-ईपिक की डाउनलोडिंग कर सकेंगे। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार विगत 25 जनवरी को ग्यारहवें राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर ई-इपिक डाउनलोडिंग की सुविधा का शुभारम्भ किया गया था। यह जानकारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी, श्री अजय कुमार शुक्ल ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि ई-ईपिक डाउनलोडिंग के प्रथम चरण में संक्षिप्त पुनरीक्षण-2021 के दौरान नये पंजीकृत मतदाताओं में से कुल 58599 मतदाताओं के यूनीक मोबाईल नम्बर निर्वाचक नामावली के डाटाबेस में उपलब्ध हैं, जिनके सापेक्ष अब तक कुल 38397 मतदाताओं द्वारा ई-इपिक डाउनलोड किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा निर्वाचक नामावली के संक्षिप्त पुनरीक्षण-2021 के पश्चात् से निरन्तर पुनरीक्षण की अवधि में (द्वितीय चरण) कुल 104144 मतदाताओं (जिनके यूनीक मोबाईल नम्बर निर्वाचक नामावली के डाटाबेस में विद्यमान हैं), के ई-इपिक डाउनलोड किये जाने की सुविधा भी दी गयी है।

कुक्कुट विकास हेतु 24.95 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में कुक्कुट विकास के लिए अण्डा एवं कुक्कुट मांस उत्पादन बढ़ाने की योजना के अन्तर्गत वर्तमान वित्तीय वर्ष में 24 करोड़ 95  लाख रूपये की धनराशि स्वीकृत की है। पुशधन विभाग द्वारा इस सम्बन्ध मंे शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश के माध्यम निदेशक, प्रशासन एवं विकास, पुशपालन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि स्वीकृत धनराशि का व्यय/उपयोग योजना के मार्गदर्शक सिद्धान्तों (गाइडलाइन) के अनुरूप करते हुए व्यय विवरण सहित उपयोगिता प्रमाण-पत्र शासन को उपलब्ध कराया जाये।

भेड़ प्रजनन सुविधाओं का प्रसार एवं सूदृढ़ीकरण हेतु 62.26 लाख रूपये की धनराशि स्वीकृत

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में भेड़ तथा ऊन विकास के लिए भेड़ प्रजनन सुविधाओं के प्रसार एवं सुदृढ़ीकरण की जिला योजना हेतु 62.26 लाख रूपये की धनराशि स्वीकृत की है। यह धनराशि प्रदेश के 14 जनपदों मथुरा, बदायूं, मऊ, वाराणसी, चन्दौली, प्रयागराज, कौशाम्बी, जालौन, रायबरेली, हरदोई, बांदा, मिर्जापुर, सोनभद्र तथा भदोही हेतु स्वीकृत की गई है। पशुधन विभाग द्वारा इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश के द्वारा सम्बन्धित 14 जनपदों के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी/प्रक्षेत्र प्रबन्धक को योजना के क्रियान्वयन के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं।

सचिव चिकित्सा शिक्षा का जाना कुशलक्षेम, जल्द स्वस्थ होने की कामना की

उत्तर प्रदेश के वित्त, संसदीय कार्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना आज किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ के ट्रामा सेन्टर में भर्ती सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री सौरभ बाबू का कुशलक्षेम जाना। उन्होंने श्री सौरभ बाबू के जल्द स्वस्थ्य होने की कामना की। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने ट्रामा सेन्टर का निरीक्षण भी किया। उन्होंने निरीक्षण के दौरान परिसर एवं वार्ड में साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने मरीजों को बेहतर से बेहतर चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिये। इस दौरान प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री आलोक कुमार, कुलपति के0जी0एम0यू0 डॉ0 विपिन पुरी एवं अन्य चिकित्सक/अधिकारी उपस्थित थे।

आवेदन पत्र प्राप्त करने की अन्तिम तिथि 25 अगस्त, 2021 तक बढ़ी

प्रदेश के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष 03 दिसम्बर को विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर दिये जाने वाले राज्य स्तरीय पुरस्कारों हेतु आवेदन-पत्र आमंत्रित किये जाने की अंतिम तिथि को 25 अगस्त, 2021 तक बढ़ा दी गयी है।

यह जानकारी दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के निदेशक, श्री अनूप कुमार ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष दक्ष दिव्यांग कर्मचारियों/स्वनियोजित दिव्यांगजन, सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता, सर्वश्रेष्ठ प्लेसमेण्ट अधिकारी या एजेन्सी, सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति/सर्वश्रेष्ठ संस्था, प्रेरणास्रोतों, सृजनशील दिव्यांगज बालक/बालिका, दिव्यांग खिलाड़ियों,  दिव्यांजन हेतु बाधारहित वातावरण के सृजन हेतु सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए, दिव्यांगजन को पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने वाले सर्वश्रेष्ठ जिला इत्यादि श्रेणी के राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व में राज्य स्तरीय पुरस्कार-2021 के लिए अन्तिम तिथि 10 अगस्त, 2021 निर्धारित थी, जिसे बढ़ाकर 25 अगस्त, 2021 कर दिया गया है। इच्छुक व्यक्तियों द्वारा निदेशालय दिव्यांगजन, सशक्तीकरण विभाग, कक्ष संख्या-1010, दसम् तल, इन्दिरा भवन, अशोक मार्ग, हजरतगंज लखनऊ में निर्धारित तिथि तक आवेदन-पत्र प्राप्त कराया जा सकता है। राज्य स्तरीय पुरस्कार के सम्बंध में विस्तृत जानकारी एवं पुरस्कारों हेतु निर्धारित प्रारूप विभाग की वेबसाइट ूूूण्नचीूकण्हवअण्पद पर उपलब्ध है।

प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस योजना हेतु 45 लाख 75 हजार 300 रुपये स्वीकृत

प्रदेश सरकार ने राज्य विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को शोध कार्यों हेतु रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना अंतर्गत 45 लाख 75 हजार 300 (पैंतालीस लाख पचहत्तर हजार तीन सौ) रुपये की स्वीकृति प्रदान कर दी है। शासन ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों से रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना अंतर्गत प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण गठित विशेषज्ञ समिति से कराया था तथा इस संबंध में उपलब्ध कराई गई विशेषज्ञ समिति की संस्तुतियों पर विचारों प्रांत यह धनराशि जारी की गई है। यह धनराशि प्रदेश के पांच विश्वविद्यालयों डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी, प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) विश्वविद्यालय, प्रयागराज, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ हेतु स्वीकृत की गई है। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आवश्यक आदेश जारी कर दिया गया है। जारी आदेश में राज्य विश्वविद्यालय के कुलसचिव/वित्त अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस योजना के अंतर्गत स्वीकृत की जा रही धनराशि का व्यय शोध सहायक/केमिकल, ग्लासवेयर आदि/यात्रा व्यय एवं डाटा कलेक्शन आदि/आकस्मिक व्यय पर किया जाएगा। प्रोजेक्ट प्रारम्भ करने के पूर्व कुल स्वीकृत धनराशि का उक्त मदों में मदवार का अनुमोदन विश्वविद्यालय के कुलपति से प्राप्त कर लिया जाएगा। योजना से संबंधित कार्यों हेतु किसी भी दशा में कोई भी नियुक्ति नहीं की जाएगी तथा कोई डिप्लोमा/प्रशिक्षण कोर्स संचालित नहीं किये जाएंगे। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस योजनांतर्गत राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्गत दिशा-निर्देश प्रभावी रहेंगे। विश्वविद्यालय स्तर पर योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यक्रमों की मॉनीटरिंग की जायेगी तथा शासन को अवगत कराया जायेगा। योजनांतर्गत जो भी बुक्स/प्रकाशन किये जाएंगे उसमें योजना का नाम एवं उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन का उल्लेख अवश्य किया जायेगा।

राजकीय गृहों में किशोर-किशोरियों को प्रशिक्षण देकर रोजगारपरक एवं आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास

महिला कल्याण विभाग द्वारा राजकीय पश्चातवर्ती देख-रेख संगठन, गुडम्बा, लखनऊ के २१ किशोरो का प्ब्प्ब्प् फाउंडेशन के सहयोग से आधारभूत मोबाइल रिपेयरिंग प्रशिक्षण कराने के पश्चात उन्हे चेन्नई की फर्म लेबरनेट में 10500 रुपये के प्रारंभिक सैलरी पर नियोजित कराया गया है। इन किशोरों को चेन्नई जाने से पहले आज इन्दिरा भवन स्थित सभागार में विदाई समारोह आयोजित किया गया जिसमें बाल एवं महिला कल्याण मंत्री श्रीमती स्वाति सिंह मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग की।

महिला कल्याण मंत्री ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य है, ये जीवन में बहुत आगे बढ़े ऐसी मेरी कामना है। प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विजन मेकिंग इण्डिया व मुद्रा योजना को साकार रूप देने का यह प्रयास है। आप ज्यादा से ज्यादा कार्य कर के अनुभव प्राप्त करें। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हमारे देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के द्वारा आत्मनिर्भर भारत का सपना देखा गया है, मेरे विभाग ने इन्ही उद्देश्यों को पूरा करने हेतु किशोरों को स्वावलंबी बनाने से शुरुआत की।

प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास सुश्री वी हेकाली झिमोमी ने कहा कि लखनऊ से बस ये शुरुआत है हम भविष्य में समस्त राजकीय गृहों के बच्चों के लिए अन्य ब्ैत् संस्थाओं के माध्यम से विभिन्न अवसर विकसित करेंगे। उन्होंने सभी किशोरों को आश्वासन दिया कि नए शहर में कोई भी समस्या आने पर हमें बताएं, हम हमेशा आपके साथ हैं।

पूरे प्रयास को मूर्त रूप देने वाले निदेशक महिला कल्याण श्री मनोज राय ने कहा कि हम राजकीय गृहों में आवासित बच्चों के भविष्य हेतु संवेदनशील है, एक निराश्रित बच्चे को आत्मनिर्भर बनाने से सुखद एहसास से बढ़कर कुछ नही, प्ब्प्ब्प् फाउंडेशन के सहयोग से ये एक नई शुरुआत हैं।

ज्ञात हो कि राजकीय पश्चातवर्ती गृहों के इन सभी 21 किशोरों, अवांग, दुर्गेश, राजू, रविउल, रोहित, साजन, सुरेंद्र, शैलेन्द्र, सलीम, रोशीदुल, प्रदीप, सोनू, बबलू, राहुल, विकास, सुनील, सूरज, लखन, जोशिम तथा सुनील ने राजकीय बाल गृहों में रहते हुए अपनी शिक्षा पूरी की है, साथ ही 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद इन्हें प्ब्प्ब्प् फाउंडेशन के सहयोग से मोबाइल रिपेयरिंग का एक माह का वृहद प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान सभी किशोरों को ऑन जॉब प्रशिक्षण भी दिया गया।

प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले किशोर साजन ने मंत्री श्रीमती स्वाति सिंह से बात करते हुए कहा कि शिक्षण के शुरुआत में बिल्कुल भी मन नही लगता था पर जैसे-जैसे मैं मोबाइल खोलना उसे रिपेयर करना सीखता गया, मेरी रुचि बढ़ती गयी और आज मैं खुश हूं कि सीखने के बाद अब मैं नौकरी के लिए चेन्नई जा रहा हूँ।

वहीं किशोर सुनील ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मैंने  कभी सोचा नही था कि इस तरह से नौकरी लगने के बाद में इतने बड़े शहर की इतनी बडी कंपनी में काम करने जाऊंगा, मेरे लिए यह सपना पूरा होने से हैं।

प्ब्प्ब्प् फाउंडेशन द्वारा प्रशिक्षण उपरांत इन किशोरों को एक कंपलीट टूलकिट प्रदान किया गया जिससे यदि भविष्य में ये अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहें तो ये टूलकिट उन्हें मदद करेगा। विभाग द्वारा इस अवसर पर सभी किशोरों को नए शहर में नया जीवन शुरू करने हेतु समस्त आवश्यक सामान तथा एक मोबाइल प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में लखनऊ मंडल के उप निदेशक श्री सर्वेश पांडेय सहित अन्य विभागीय अधिकारी व आईसीआईसीआई फांउडेशन के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

हरीतिमा के साथ-साथ रोगों से बचाव भी कर रहे हैं लोक निर्माण विभाग द्वारा हर्बल मार्गों पर रोपित पौधे

 आज की भागमभाग एवं अनियमित जीवन शैली में व्यक्ति अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पा रहा है, जिसका परिणाम यह हो रहा है कि लोगों में प्रतिरोधक क्षमता की कमी हो रही है। कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर बल दिया गया है। जिन लोगों में प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रही, उन्हें संक्रमण प्रभावित नहीं कर सका। आज हर नागरिक अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ज्यादातर आयुर्वेदिक वृक्षों से प्राप्त होने वाली औषधियों पर निर्भर हो रहा है। इससे हर्बल वृक्षों की महत्ता बढ़ गई है। वातावरण के प्रदूषण एवं बीमारियों से बचाव हेतु लोक निर्माण विभाग द्वारा चयनित मार्गों के एक ओर ग्रीन पट्टी बनाकर उसमें हर्बल पौधारोपण किया जा रहा है। इस हेतु मासपर्णी, सप्तपर्णी, जत्रोफा (रतनजोत), जल नीम, छोटा नीम, सहजन, मेंथा, लेमन ग्रास, भ्रिंगराज, मुई, आंवला, ब्राह्मी, तुलसी, अनन्तमूल, ग्वारापाठा, अश्वगंधा, हल्दी आदि पौधे जोकि कई रोगों के समाधान के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं, रोपित किये जा रहे है। प्रदेश में लोक निर्माण विभाग द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों के लगभग 200 मार्गों को हर्बल मार्ग के रूप चिन्हित करते हुए लगभग 1000 किमी0 में 41 हजार से अधिक हर्बल पौधे रोपित कर आमजन के लिए उपयोगी बनाया गया है। 15 अगस्त, 2018 से लोक निर्माण विभाग द्वारा प्रदेश के सभी 18 मण्डलों में एक-एक मार्ग का चयन कर हर्बल मार्ग के रूप में विकसित करने का कार्य प्रारम्भ किया गया। जिसके सापेक्ष वर्ष 2018-19 में कुल 18 मार्गों की कुल 187 किमी0 का चयन करते हुए 6690 पौंधों को रोपित किया गया। वर्ष 2020-21 में प्रदेश के प्रत्येक खण्ड में एक मार्ग का चयन कर उसे हर्बल मार्ग के रूप में विकसित करते हुए कुल 175 मार्गों की लगभग 800 किमी0 लम्बाई को हर्बल मार्ग के रूप में चयन किया गया है। जिन पर अब तक 33515 पौधे रोपित किये जा चुके हैं। मार्गों को हर्बल मार्ग बनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों की इम्यूनिटी को बेहतर करने के साथ-साथ पर्यावरण को शुद्ध रखना है। हर्बल मार्गों को विकसित करने हेतु अलग से कोई धनावंटन निर्गत नहीं किया गया है, बल्कि मौजूद संसाधन जैसे मार्गों पर कन्टेन्जेन्सी मद इत्यादि से जनहित व स्वास्थ्यवर्धन का यह कार्य कराया गया है। हर्बल मार्गों पर विभिन्न औषधीय वृक्षों के होने से वायु प्रदूषण में कमी आयेगी, साथ ही आमजन को औषधि भी प्राप्त होगी।

 उत्तर प्रदेश भारत का चौथा बड़ा राज्य है और देश के अन्दर तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की आबादी लगभग 19.95 करोड़ है। उत्तर प्रदेश श्रमबल की दृष्टि से देश में प्रथम स्थान पर है।

उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर एक बहुआंकाक्षी परियोजना है, जो भारतीय रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के साथ-साथ विदेशी निर्भरता में भी कमी करेगी। 11 अगस्त, 2018 को अलीगढ़ में आयोजित एक बैठक के दौरान इस क्षेत्र में करीब 3700 करोड़ रूपये निवेश की घोषणा की गई थी। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे इण्डस्ट्रियल डेवलपमेन्ट अथॉरिटी इस परियोजना के लिए नोडल एजेंसी का काम करेगी। यह परियोजना मुख्यतः 6 नोड में संचालित की जाएगी, जिनमें लखनऊ, कानुपर, झांसी, आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट शामिल है। यह परियोजना उत्तर प्रदेश के मध्य पूर्व और पश्चिम क्षेत्र में विस्तारित है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस परियोजना से सम्बन्धित सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस विस्तारित करने के लिए आई0आई0टी0 कानपुर और आई0आई0टी0 बी0एच0यू0 को मान्यता दी गई है। इस परियोजना के लिए निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश डिफंेस एण्ड एयरोस्पेस यूनिट एण्ड एम्प्लायमेण्ट प्रमोशन पॉलिसी (पहला संशोधन) 2019 प्रकाशित किया गया है। सरकार द्वारा डिफेंस कॉरिडोर के लिए इण्डस्ट्रियल प्लॉट एलॉटमेण्ट के लिए गाइडलाईन जारी की गई है। उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर परियोजना के विभिन्न नोड्स के लिए यूपीडा और अन्य कम्पनियों के बीच लगभग 32 एम0ओ0यू0 पर साइन किए जा चुके हैं। चिन्हित समस्याओं के समाधान के लिए यूपीडा और इण्डियन नेवी के बीच 13 अगस्त, 2020 को एम0ओ0यू0 पर साइन किए जा चुके हैं। डिफेंस कॉरिडोर के 6 नोड्स में से अलीगढ़ नोड के लिए निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। इस हेतु सड़क निर्माण किया जा रहा है साथ ही बिजलीघर भी स्थापित किया जा रहा है। पहले चरण में फैक्ट्रियों में अगले कुछ वर्षों मंे उत्पादन शुरू होने की सम्भावना है। अलीगढ़ नोड 4 चरणों मंे विकसित किया जायेगा। अलीगढ़ कॉरिडोर खासा महत्व रखता है। क्योंकि यह नोड एनसीआर के करीब होने से ज्यादा क्षमतावान साबित होगा। साथ ही अलीगढ़ नोड अन्तर्राष्ट्रीय जेवर एयरपोर्ट से 46 किमी, अलीगढ़ जक्शन से 15 किमी और धनीपुर एयरपोर्ट से 16 किमी की दूरी पर है। निवेशकों द्वारा अलीगढ़ नोड में रूचि दर्शाने का एक बड़ा कारण अच्छी परिवहन सेवा होना है।

डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर भारतीय रक्षा क्षेत्र को मजबूती प्रदान करेगा। यह परियोजना वैश्विक परिदृश्य में देश का मान बढ़ाएगी। इससे भारत का रक्षा आयात कम होगा जिससे पंूजी के बहिर्गमन पर अंकुश लगेगा साथ ही रक्षा उपकरणों के निर्यात की भी संभावनाएं बनेगी। इस कॉरिडोर से उत्तर प्रदेश रक्षा उपकरणों के हब के रूप में विकसित होगा। इस परियोजना से स्थानीय निवासियांे को रोजगार प्राप्त होगा जिससे लोगों की आय मंे वृद्धि होगी साथ ही अनुषंगी रोजगार भी सृजित होंगे। अगर इस परियोजना पर समग्रता से विचार किया जाए तो यह प्रदेश में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को रक्षा हब बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।