मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, एसएसपी, नगर आयुक्त व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय अधिकारी को 25 अक्टूबर को एनजीटी के समक्ष पेश होना होगा


साहिबाबाद
: प्रदूषण रोकने के लिए आदेश का पालन नहीं करने पर एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, एसएसपी, नगर आयुक्त व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय अधिकारी को तलब किया है। अधिकारियों को 25 अक्टूबर को एनजीटी के समक्ष पेश होना होगा। मंडलायुक्त को प्रदूषण रोकने के लिए आदेशों का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।

कारवा के अध्यक्ष वीके मित्तल एनजीटी में खुद अपना केस लड़ रहे हैं। उन्होंने 2015 में वायु, ध्वनि व जल प्रदूषण को लेकर याचिका दायर की थी। वर्ष 2016 में एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम, परिवहन विभाग को प्रदूषण रोकने के लिए 18 मुद्दों पर काम करने के आदेश दिए थे। सभी विभागों पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। विभागों ने एनजीटी के आदेश का पालन नहीं किया। इस पर वीके मित्तल ने सितंबर 2019 फिर से आदेश का पालन नहीं होने के संबंध में एनजीटी में याचिका दायर की। कोरोना महामारी की वजह से डेढ़ साल से सुनवाई नहीं हो रही थी।

मामले में सोमवार को सुनवाई हुई, तो वीके मित्तल, नगर निगम के वकील विश्वजीत, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील प्रदीप मिश्रा उपस्थित रहे। इस दौरान आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने कहा कि इस मामले में मंडलायुक्त ने शपथ पत्र दाखिल क्यों नहीं किया? उनके आदेश की अवहेलना की जा रही है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदूषण रोकने के लिए क्या कर रहा है? एनजीटी ने मंडलायुक्त को आदेश दिया है कि वह एसएसपी, डीएम, नगर आयुक्त प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी के साथ बैठक करेंगे और प्रदूषण को रोकने के लिए योजना तैयार करेंगे। उन्हें प्रदूषण को रोकने की उम्मीद थी, लेकिन आदेश को गंभीरता से नहीं लिया। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। इस मामले में उदासीनता बरतने पर स्पष्टीकरण देना होगा। यदि प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया जाता, तो एनजीटी को जबरन आदेश का पालन कराने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।