अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021 भारतीय संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों- लोकसभा व राज्यसभा में पास हो चुका है। इसके बारे में केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोकसभा को बताया कि यह विधेयक राज्यों द्वारा बनाए गए अलग-अलग नियमों के बजाय देश के लिए एकीकृत कानून को लागू करने का प्रयास करता है। इस नए कानून के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र पूरे देश में मान्य होगा और राज्यों से अलग अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
इस विधेयक में इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल पर जहाजों और उनके चालक दल के विवरण दर्ज करने के लिए एक केंद्रीय डेटाबेस बनाने का भी प्रावधान है। यह विधेयक सस्ता और सुरक्षित नौवहन को बढ़ावा देता है, यात्रियों और कार्गो की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और अंतर्देशीय जलमार्ग और नेविगेशन से संबंधित कानूनों के आवेदन में एकरूपता लाता है।
वहीं, राज्यसभा में भी गत दिनों शोर-शराबे के बीच इस विधेयक को पारित किया गया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। यह विधेयक अंतर्देशीय पोत कानून-1917 का स्थान लेगा। इसका उद्देश्य देशभर में अंतर्देशीय जहाज प्रचालन के लिए एक समान नियामक ढांचा लागू करना है। इसमें जहाज के विवरण, जहाज और चालक दल के पंजीकरण की रिकॉर्डिंग के लिए इलेक्ट्रोनिक पोर्टल पर सेंट्रल डेटाबेस तैयार करना है।
विधेयक में जहाज, नौका, सेलिंग वैसल्स, कंटेनर वैसल्स और फैरी समेत मशीन से चालित अंतर्देशीय जहाजों की परिभाषा दी गई है।
इस विधेयक के मुताबिक, सरकार डिजाइन के मानक की श्रेणी, निर्माण और चालक दल के आवास तथा सर्वे की अवधि निर्धारित करेगी। ऐसे जहाजों के निर्माण और संशोधन के लिए निर्धारित प्राधिकारी की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी। अंतर्देशीय जलमार्गों में ऐसे सभी जहाजों के प्रचालन के लिए सर्वे और पंजीकरण का प्रमाण-पत्र होना अनिवार्य होगा। इस विधेयक में विकास कोष का प्रावधान किया गया है जिसका उपयोग आपात तैयारियों, प्रदूषण नियंत्रण और अंतर्देशीय जलमार्ग में जहाजों के आवागमन को बढा़वा देने के लिए किया जाएगा। प्रत्येक राज्य अलग से अपना विकास कोष बनाएगा। इसमें राज्य सरकारों को गैर-मशीन चालित अंतर्देशीय जहाजों से संबंधित कुछ गतिविधियों के कार्य स्थानीय शासन को दिए जाने का अधिकार दिया गया है।
बताया जाता है कि यह विधेयक शोर-शराबे के बीच संक्षिप्त बहस के बाद पारित किया गया। पोत, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस विधेयक और इसके विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। भारतीय जनता पार्टी के महेश पोद्दार, बीजू जनता दल के प्रसन्न आचार्य, तेलुगू देशम पार्टी के के. रविन्द्र कुमार, तेलंगाना राष्ट्र समिति के बंदा प्रकाश और अन्य सदस्यों ने विधेयक पर अपने विचार रखे।
बता दें कि केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार संसद के मानसून सत्र में अंतर्देशीय जलयान विधेयक, 2021 लेकर आई और इसे पारित करवा लिया। अंग्रेजी में इसे इनलैंड वेसल बिल, 2021 कहा जाता है। हालांकि इसे लेकर विपक्ष खासकर कांग्रेस को कुछ आशंकाएँ हैं। वस्तुतः हमारे देश में इनलैंड वेसल्स ऐक्ट, 1917 अभी मौजूद है। उसकी जगह यह नया कानून इनलैंड वेसल बिल जो संसद से पास हुआ है, वह लेगा और इनलैंड वेसल ऐक्ट, 2021 बनेगा।
दरअसल, हमारा देश अनेक राज्यों में बंटा हुआ बहुत बड़ा देश है। हर राज्य की अपनी एक अलग किस्म की व्यवस्थाएं और अंतर्देशीय वाटर-वे है। पुराने कानून के हिसाब से राज्यों के पास जो सत्ताएं हैं, उन सभी सत्ता का सेंट्रलाइजेशन करने वाला यह बिल राज्यों के अधिकारों के ऊपर बिना वजह का हस्तक्षेप है। भले ही सरकार की ओर से कहा गया है कि यह नया कानून सेफ्टी, सिक्युरिटी एवं रजिस्ट्रेशन जो कि इंडियन वेसल के लिए है उनको रेगुलेट करेगा। हालांकि, यहां पर यह नोट करने जैसी बात यह है कि सरकार कह रही है कि हम एक सभी राज्यों के लिए नये कानून के हिसाब से सर्टिफिकेशन देना चाहते हैं। यानी कि अभी जो राज्य अपनी सीमा के अंदर इंडियन वेसल यानी अंतर्देशीय जलयान के लिए अपने रूल्स बनाते हैं, वे राज्यों के अधिकार, इसकी वजह से खत्म हो जाएगा।
यही नहीं, एक सेंट्रलाइज्ड डेटा भी इस नये कानून के तहत भारत सरकार तैयार करने जा रही है और आगे बढ़कर जो नॉन-मैकेनिकली प्रोपेल्ड वेसल्स हैं, उनको भी जिला, तालुका या पंचायत लेवल पर रजिस्ट्रेशन करवाने का प्रावधान है यानी बिल्कुल छोटे-छोटे मछुआरों को भी इससे एक नये इंस्पेक्टर-राज्य का सामना करना पड़ेगा। एक अनुमान के मुताबिक, टोटल हमारे देश में चार हजार किलोमीटर का अंतर्देशीय वाटर-वेज आज उपयोग में है और यहां पर हर राज्य को अच्छे से पता है कि अपने राज्य का वाटर-वे कौन और किस तरह से इस्तेमाल करें, जिससे राज्य को फायदा हो और इसी हिसाब से अभी जो प्रवर्तमान कानून है उस हिसाब से राज्य को नियम बनाकर अपने राज्य के वाटर-वे के ऊपर अपना अधिकार है। वह इनलैंड वेसल कानून, 2021 से खत्म हो जाएगा।
हालांकि, इस बारे में कांग्रेस नेता व राज्य सभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल का मानना था कि इससे कोई फायदा होने वाला नहीं है, लेकिन राज्यों के अधिकार को समाप्त करने की यह एक कोशिश है। उनकी मानें तो सरकार बातें बड़ी-बड़ी करती हैं, पर वह सिर्फ दिखावे की होती हैं। हाल ही में राज्य सभा में बिना बहस के मरीन 82 नेवीगेशन बिल, 2021 पास कर दिया गया। इस बिल में भी कहा गया था कि हम नेवीगेशन के लिए बहुत अच्छी सुविधाएं देने जा रहे हैं, लेकिन अगर फाइनेंशियल (वित्तकीय) एलॉटमेंट की बात करें तो जो पहले प्रावधान था उसमें एक पैसे की भी बढ़ोत्तरी नहीं की गई थी। इसका मतलब साफ है कि मरीन 82 नेवीगेशन सिर्फ कागजी रहेगा और इसका फायदा कोई होना नहीं है।
असल में यह सरकार जो कहती है वह बात बड़ी-बड़ी होती हैं, लेकिन उसे कार्यान्वित करने में गंभीरता नहीं होती है। बजट स्पीच में कहा गया था कि शीप रिसाइक्लिंग को सरकार डबल करना चाहती है और 1.5 लाख नये जॉब इससे क्रिएट करना चाहती है, लेकिन असल बात यह है कि एशिया के सबसे बड़े शीप ब्रेकिंग यार्ड 'अलंग' जो कि गुजरात के भावनगर डिस्ट्रिक्ट में है, उनकी अनदेखी की जा रही है।
दुनिया में अगर हम देखें तो यूरोपियन देशों के पास दुनिया के बड़े-बड़े शीप के 35 प्रतिशत सीप्स की मालिकी है। और हमारे देश ने हांगकांग कन्वेंशन, 2019 में रेक्टिफाइड किया है। लेकिन फिर भी हम यूरोपियन यूनियन के स्टैंडर्ड को मैच नहीं कर पाने की वजह से 'अलंग' में यूरोपियन कंट्री शीप ब्रेकिंग के लिए शीप नहीं भेजते हैं। हमें 'अलंग' में शीप ब्रेकिंग के लिए हजार्डियस वेस्ट मटेरियल हैंडलिंग मैनेजमेंट सिस्टम, लेबर एवं ह्यूमन राइट्स का अधिकार, हेल्थ और सेफ्टी के जरूरी कदम और इन्वायरनमेंट मैनेजमेंट के लिए व्यवस्था 'अलंग' शीप ब्रेकिंग यार्ड में करनी बहुत जरूरी है। यह नहीं होने से यूरोपियन देशों के जहाज शीप ब्रेकिंग के लिए हमारे देश को नहीं मिल रहे हैं, जिसकी वजह से हमारे यहां का शीप ब्रेकिंग इंडस्ट्रीज बड़ी ही मुश्किल का सामना कर रहा है।
सरकार ने इनलैंड वेसल बिल, 2021 के ड्राफ्ट में यह भी कहा है कि गहरे समुद्र के संशोधन के लिए और उपयोगिकता के लिए भी काम किया जाएगा। लेकिन यह सिर्फ कागजी बात रह जाएगी, क्योंकि जो सरकार का प्लान है उसके हिसाब से बरसों तक जरूरी पैसे का अलॉकेशन नहीं होगा। खुद सरकार ने जो प्लानिंग बताई है उसके मुताबिक वित्तकीय सहायता का प्रावधान नहीं है।
राज्य सभा सांसद गोहिल ने सभापति से अनुरोध किया था कि इंडियन वेसल बिल, 2021 जल्दबाजी में पास करने के बजाय सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए और इसके ऊपर पूरी तरह से चर्चा होने के बाद जरूरी अमेंडमेंट हो जाए। उसके बाद ही हाउस में लाना चाहिए। हालांकि, उन्हें दुख है कि सरकार अपने अहंकार को लेकर विरोधी दल के साथ वार्तालाप नहीं कर रही है और राष्ट्र की सुरक्षा जैसा अति चिंता वाला मामला 'पेगासिस' जासूसी सॉफ्टवेयर की वजह से खड़ा हुआ है। उसकी चर्चा जो कि विपक्ष की मांग है एवं महंगाई और किसानों के जन-आंदोलन की चर्चा विरोधी दल चाहते हैं, उसके ऊपर सरकार कोई सकारात्मक सहयोग या वार्तालाप नहीं कर रही है। इस हालात में जनता और राष्ट्र की सुरक्षा के मुद्दे को अग्रिमता देना विरोधी दल का धर्म है। इसलिए विरोधी दल कांग्रेस अपनी मांग पर कायम है। जिसकी वजह से हाउस नहीं चल रहा है और हाउस ऑर्डर में नहीं है, तो मैं इनलैंड वेसल बिल, 2021 के ऊपर की चर्चा लिखित रूप में सभापटल पर रख दिया, जो मेरा कर्तव्य था।