निकिता जैकब, शांतनु मुलुक और शुभम चौधरी ने अग्रिम जमानत अर्जियां वापस लीं, पुलिस के इस आश्वासन पर बनी सहमति

shantanu muluk and nikita jacob

'टूलकिट'  मामले (Toolkit Case) में आरोपी तीन लोगों ने दिल्ली पुलिस से यह आश्वासन मिलने के बाद सोमवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से अपनी अग्रिम जमानत की अर्जी वापस ले ली कि जब भी गिरफ्तारी जरूरी होगी, उन्हें सात दिन (कार्य दिवस) का नोटिस देकर अग्रिम सूचना दी जाएगी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने निकिता जैकब, शांतनु मुलुक और शुभम कर चौधरी की अग्रिम जमानत अर्जी का निपटारा कर दिया। अभियोजन और अभियुक्तों द्वारा इस व्यवस्था पर सहमति बनने के बाद अदालत ने यह आदेश पारित किया।

अदालत ने पहले इस मामले में 21 वर्षीय पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि को नियमित जमानत दे दी थी। दिशा रवि को केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन से संबंधित 'टूलकिट' डॉक्यूमेंट बनाने और शेयर करने के संबंध में बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था।  वह 'टूलकिट' डॉक्यूमेंट के संपादकों में से एक थी।

पुलिस ने सोमवार को अदालत से कहा कि जांच विदेश आधारित सर्विस प्रोवाइडर्स पर निर्भर है और आरोपियों का आचरण देखते हुए हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ जरूरी होगी। पुलिस ने कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं, जहां हमें हिरासत में लेकर पूछताछ करने से वंचित कर दिया जाए। अभियोजन पक्ष ने कहा कि जांच प्रारंभिक चरण में है, जिसके लिए तकनीकी विश्लेषण जरूरी है।

अदालत ने कहा कि इस मोड़ पर, बचाव पक्ष के वकील ने प्रस्ताव दिया है कि एजेंसी की निष्पक्षता के लिए वे इस शर्त पर याचिका वापस लेने के लिए इच्छुक हैं कि जब भी गिरफ्तारी जरूरी होगी, तब उन्हें सात कामकाजी दिनों का नोटिस दिया जाएगा। अदालत ने कहा कि आरोपी इस दौरान अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुलिस इस अनुरोध पर राजी हो गई।

इन तीनों ही आरोपियों को इस मामले में ट्रांजिट जमानत दी गई है। इस संबंध में आईपीसी की धाराओं 124 ए (राजद्रोह), 153 (वैमनस्यता फैलाना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।