सीएम योगी का सपा पर हमला ,पहले चाचा-भतीजा के बीच बंटती थीं नौकरियां

 

cm yogi angry over ghaziabad accident says no place for careless ias pcs ips officers yogi governmen

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 2012 से 2017 के बीच प्रदेश में सरकारी पदों पर होने वाली नियुक्तियां एक खानदान के सदस्यों के बीच बांटी जाती थीं। एक नियुक्ति प्रक्रिया कोई चाचा देखता था तो दूसरी किसी भतीजे, मामा या नाना को आवंटित हो जाती थीं। सपा का शासनकाल भ्रष्टाचार, परिवारवाद, जातिवाद और योग्यता की उपेक्षा का काल था। 

महाभारत काल की तरह एक खानदान ने रोका विकास

वह शनिवार को लोकभवन में बेसिक शिक्षा परिषद के नवचयनित 271 खंड शिक्षा अधिकारियों को नियुक्ति पत्र वितरित कर रहे थे। सपा शासनकाल में हुई भर्तियों को लेकर बड़ा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि उस समय जाति, धर्म और रुपये की हैसियत ही नौकरी का पैमाना थी। युवा हताश और निराश था। महाभारत के पात्रों की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि जैसे उस काल में काका-मामा-नाना जैसों ने भारत की प्रगति को अवरुद्ध किया, ठीक वैसे ही सपा पर काबिज खानदान उत्तर प्रदेश की उन्नति में बाधक बना रहा। आज के उत्तर प्रदेश में केवल योग्यता और मेरिट ही सरकारी नौकरी का आधार है। कोई भी यह नहीं कह सकता कि उसने रुपये देकर या सिफारिश से नौकरी पाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 से अब तक चार साल में चार लाख सरकारी पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। यह 1950 से अब तक किसी भी लगातार चार साल में सर्वाधिक है। कई राज्यों में तो दशकों में इतनी नियुक्तियां नहीं हुई होंगी। अकेले 1.20 लाख नौकरियां केवल बेसिक शिक्षा परिषद में ही हुई हैं। इसी तरह पुलिस विभाग में 1.37 लाख पदों पर नियुक्तियां हुईं। पिछली सरकारों ने पीएसी की 54 कंपनियां बंद कर दीं, जबकि सुदृढ़ कानून-व्यवस्था के लिए संकल्पित वर्तमान सरकार ने इनके साथ-साथ महिलाओं की भी तीन पीएसी कंपनियां स्थापित कीं। 

बहाल हुई चयन आयोगों की गरिमा

नवनियुक्त खंड शिक्षा अधिकारियों को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि चार वर्ष पूर्व तक प्रदेश के विभिन्न चयन आयोगों व भर्ती बोर्डों में भ्रष्टाचार का बोलबाला था। हर नियुक्ति जाति-मजहब देखकर होती थी। कई बार तो नौकरी देने के साथ-साथ यह लोग अपनी बेटियों-बहनों के लिए वर की तलाश भी कर लेते थे। इससे आयोगों की छवि तार-तार हो गई थी। वर्तमान सरकार ने स्पष्ट चेतावनी दी कि आयोगों को अपने कार्य के लिए पूर्ण स्वतंत्रता होगी, लेकिन अगर अनियमितता की शिकायत मिली तो पूरे आयोग पर कार्रवाई होगी। इन प्रयासों का नतीजा है कि आज कोई भी यह नहीं कह सकता कि उसने जुगाड़ से नौकरी पाई है। कार्यक्रम में सीएम ने युवाओं से पूरी चयन प्रक्रिया के दौरान कहीं भी घूस देने अथवा सिफारिश करने की जरूरत के बारे में भी जानकारी ली, लेकिन सभी युवाओं ने एक स्वर से इस तरह की जरूरत को नकार दिया। नियुक्ति पत्र देते हुए सीएम ने खंड शिक्षाधिकारियों से कहा कि एक प्रतियोगी छात्र के रूप में उन्होंने शासन से जिस कार्यप्रणाली की अपेक्षा की थी, अब सिस्टम का हिस्सा होने के बाद स्वयं उसी अनुरूप कार्य करें।  उन्होंने कहा कि नौकरी ईमानदारी से मिली है तो काम में भी ईमानदारी होनी चाहिए।

अब प्रॉक्सी टीचर नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि टीमवर्क से बीते चार सालों में प्राथमिक शिक्षा का कायाकल्प हुआ है। आज प्रॉक्सी टीचर जैसी समस्या खत्म हो गई है। शिक्षकों का प्रशिक्षण हो रहा है। स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास हुआ है, साढ़े पांच लाख नए बच्चे स्कूल आए हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। अब इन कार्यों को आगे बढ़ाने का काम बीईओ का है। उन्होंने कहा कि विकास खंड आपका कमांड एरिया है, वहां की हर शैक्षिक गतिविधि की जिम्मेदारी आप की है। सीएम ने कहा कि बीईओ अपने नवाचारों और अच्छे कार्यों की जानकारी उच्चाधिकारियों को भी दें। सतत निरीक्षण करते हुए बच्चों-अभिभावकों से सम्पर्क भी बनाएं। बच्चों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का भाव विकसित करें। इससे पहले बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी ने नवनियुक्त खण्ड शिक्षाधिकारियों का बेसिक शिक्षा परिषद परिवार में स्वागत करते हुए उन्हें उनकी महती भूमिका से अवगत कराया। विभागीय मंत्री ने प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में बीते चार साल की उपलब्धियों का श्रेय मुख्यमंत्री को दिया और कहा कि सीएम योगी युवाओं के सपनों में रंग भर रहे हैं उनके नेतृत्व में नए भारत का नया यूपी उभर कर आया है।