पहले गिफ्ट देकर जीतते थे भरोसा, फिर बीमा पॉलिसी के नाम पर ऐसे करते थे ठगी

daroga ki posting karane ko lekar ig rajesh panday ke paas up law minister brijesh pathak ke name se

साइबर सेल ने जालसाजों के एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है, जो पहले तो लोगों को उपहार देकर उनका विश्वास जीतते थे फिर फिर बीमा पॉलिसी के नाम पर ठगी कर लेते थे। पुलिस ने इस गिरोह के दो बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि सरगना समेत तीन आरोपी अभी भी फरार हैं। इन जालसाजों की गिरफ्तारी संजय नगर में रहने वाले एक व्यक्ति के साथ पिछले साल हुई 20 लाख की ठगी के मामले में हुई है। 

बदमाशों से पूछताछ में पता चला है कि ये अब तक दो दर्जन से अधिक लोगों के साथ इस तरह की ठगी कर चुके हैं। साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि साइबर सेवा समाधान केंद्र पर संजय नगर के रहने वाले सर्राफ जमाल कुरैशी ने नौ मार्च को शिकायत दी। इसमें उन्होंने बताया था कि जालसाजों ने उनसे पिछले साल जुलाई में संपर्क किया था। आरोपियों ने उन्हें भरोसे में लेने के लिए दो बीमा पॉलिसी कर दीं। 

इसके बाद आरोपियों ने उन्हें उपहार में एक सोने की चेन भी दी। वहीं जब उन्हें आरोपियों पर भरोसा हो गया तो आरोपी तीसरी बार दिसंबर 2020 में उनके घर पहुंचे और एक बार फिर बहुत अच्छी बीमा पॉलिसी का झांसा देकर उन्हें राजी कर लिया। फिर इसके प्रीमियम के नाम पर आरोपियों ने उनसे छह ब्लैंक चेक ले लिए। करीब एक सप्ताह बाद उन्हें पता चला कि आरोपियों ने उनके बैंक खाते से इन चेक के माध्यम से 20 लाख 17 हजार रुपये निकाल लिए हैं। उन्होंने तत्काल पुलिस में शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

काफी चक्कर काटने के बाद उन्होंने साइबर सेवा समाधान केंद्र में शिकायत दी। इसके बाद साइबर सेल ने आरोपियों को ट्रेस कर मुधबन बापूधाम कोतवाली पुलिस के साथ मिलकर घेराबंदी की और शनिवार की देर शाम उन्हें पुराना बस अड्डा के पास से दबोच लिया। आरोपियों की पहचान बाड़ा हिन्दूराव, दिल्ली के रहने वाले देशराज और जयराम हरदो चौक, नैनीताल के रहने वाले कमल सिंह रूप में हुई है। पुलिस ने इनके तीन अन्य साथियों की भी पहचान कर ली है। उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है।

खुद को कंपनी का प्रतिनिधि बताते थे आरोपी
साइबर सेल प्रभारी ने बताया कि आरोपी खुद को पीएनबी मेटलाइफ बीमा कंपनी का प्रतिनिधि बता कर लोगों से संपर्क करते थे। चूंकि वह खुद किसी बीमा कंपनी में काम नहीं करते थे, इसलिए अपने शिकार की एक दो पॉलिसी किसी अन्य एजेंट के माध्यम से करा देते थे। इससे लोगों का उनके ऊपर भरोसा हो जाता था। रही सही कसर पॉलिसी होने के एक महीने बाद सोने की चेन या अन्य सामान उपहार में देकर पूरी कर लेते थे।

दो दर्जन से अधिक वारदात का खुलासा
आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि उनके ग्रुप में शामिल सभी पांच लोग स्नातक हैं और करीब दो साल से इस तरह की वारदात को अंजाम दे रहे हैं। आरोपियों ने पुलिस को दो दर्जन से अधिक वारदात गिनाए हैं, जो इन्होंने हाल फिलहाल में अंजाम दी हैं। इन सभी वारदातों के संबंध में गाजियाबाद के अलावा दिल्ली, हापुड़, मेरठ, बुलंदशहर आदि जिलों में मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस इन सभी मामलों का सत्यापन कर रही है।

तीन महीने से पीड़ित काट रहा था चक्कर
पीड़ित ने बताया कि उसके साथ यह वारदात दिसंबर 2020 में हुई। उन्होंने तुरंत कविनगर पुलिस को शिकायत दी, कोई कार्रवाई नहीं हुई तो एसएसपी को शिकायत दी। एसएसपी ने यह शिकायत क्षेत्राधिकारी द्वितीय को भेज दी। फिर वहां से मामला मधुबन बापूधाम थाने में आया। तब से पुलिस मामले की जांच ही कर रही है, अब तक मुकदमा नहीं दर्ज हो सका था। आखिर में थकहार कर उसने साइबर सेवा समाधान केंद्र पर शिकायत दी। इसके बाद पुलिस ने शनिवार को मुकदमा दर्ज किया है।

क्या बरतें सावधानी
-कभी भी बीमा पॉलिसी किसी जानने वाले एजेंट के जरिए ही कराएं,
-पॉलिसी लेते समय ध्यान रखें कि वह ईरडा द्वारा अधिकृत बैंक का हो,
-अपने दस्तावेज अधिकृत बैंक के अधिकृत प्रतिनिधि को ही दें,
-पॉलिसी के लिए कभी भी ब्लैंक चेक न दें।