कांग्रेस के सामने लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती, असम, केरल और तमिलनाडु में कांग्रेस ने विधानसभा से बेहतर प्रदर्शन किया

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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने अपना ही प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई चुनावी राज्यों में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में पिछले विधानसभा के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया है। पार्टी इन चुनावों में अपना प्रदर्शन और बेहतर करती है, तो वह गठबंधन की पार्टियों के साथ मिलकर जीत की दहलीज तक पहुंच सकती है।

असम में कांग्रेस स्थानीय दलों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने जितनी सीट पर चुनाव लड़ा था, उनमें करीब दस फीसदी वोट का फर्क था, पर 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच करीब एक फीसदी का अंतर रहा। पार्टी इस बार एआईयूडीएफ के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। एआईयूडीएफ को पिछले विधानसभा में बीस फीसदी वोट मिला था। दोनों पार्टियां एक-दूसरे को वोट ट्रांसफर करने में सफल रहती हैं, तो चुनाव में तस्वीर बदल सकती है।

केरल में यूडीएफ को एलडीएफ से तीन फीसदी वोट ज्यादा मिला

केरल में मुकाबला कांग्रेस की अगुआई वाले यूडीएफ और लेफ्ट के एलडीएफ के बीच है। पिछले विधानसभा चुनाव में एलडीएफ ने यूडीएफ से करीब 13 फीसदी अधिक वोट लेते हुए सरकार बनाई थी। लोकसभा में यूडीएफ को एलडीएफ से तीन फीसदी वोट ज्यादा मिला। यह पिछले विधानसभा चुनाव में एलडीएफ को मिले वोट से भी एक प्रतिशत अधिक था। ऐसे में सरकार में वापसी के लिए यूडीएफ को लोकसभा का अपना प्रदर्शन दोहरना होगा।

तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव में 13 प्रतिशत वोट मिला
तमिलनाडु में भी कांग्रेस ने वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन किया था। विधानसभा में कांग्रेस को छह फीसदी वोट मिला था। पर वर्ष 2019 के लोकसभा में कांग्रेस करीब 13 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल रही। डीएमके का प्रदर्शन भी सत्तारुढ एआईएडीएमके से अच्छा था। ऐसे में कांग्रेस-डीएमके गठबंधन के सामने अपना लोकसभा का प्रदर्शन दोहरने की चुनौती होगी।

पश्चिम बंगाल में छह फीसदी वोट मिले

चुनावी राज्यों में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन खराब रहा था। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को 12 फीसदी वोट मिले थे, पर लोकसभा में वह घटकर छह फीसदी रह गए। दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट का गठबंधन था। पर लोकसभा में यह गठबंधन टूट गया। दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ीं और नुकसान उठाया। गलतियों से सबक लेते हुए कांग्रेस और लेफ्ट इस बार फिर गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में दोनों पार्टियों को कड़ी मेहनत कर मतदाताओं का समर्थन हासिल करना होगा।