करोड़ों की संपत्ति के लिए महिला ने लड़ी लंबी कानूनी लड़ाई, फैसले से पहले हुई मौत, अब सहेली होगी उत्तराधिकारी

एक महिला छह साल तक अदालत में खुद को करोड़ों की संपत्ति की उत्तराधिकारी घोषित करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ती रही, लेकिन जैसे ही फैसले का वक्त आया, बीमारी की वजह से उस महिला की मौत हो गई। अदालत ने इस मामले के तमाम तथ्यों को देखते हुए महिला की नामित सहेली को उसकी संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित किया है।

रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय पांडे की अदालत ने इस मामले में आदेश सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता महिला के परिवार का कोई सदस्य जीवित नहीं है और महिला ने अपनी याचिका में अपनी मुंबई में रहने वाली सहेली को नामित किया हुआ था। लिहाजा इस महिला की संपति पर अब उसकी सहेली का अधिकार है। 

मां, भाई और दो बहनों के हिस्से को अपने नाम कराने के लिए लगाई थी याचिका : कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखने वाली याचिकाकर्ता महिला ने अदालत में वर्ष 2014 में भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत याचिका दायर कर कहा था कि जब वह बहुत छोटी थी, तब पिता की मृत्यु हो गई। परिवार में मां, एक भाई और तीन बहनें बची थीं। मां की वर्ष 1990 में मौत हो गई। इसके बाद भाई की भी वर्ष 1995 में मौत हो गई। दो बहनों की भी वर्ष 2008 और 2012 में मृत्यु हो गई। ऐसे में इस महिला ने सारी संपत्ति अपने नाम करने का आग्रह अदालत से किया। महिला ने याचिका में बताया कि बहनों और भाई की शादी नहीं हुई थी और न ही उसने शादी की है, इसलिए संपत्ति की वह अकेली हकदार है।

देश के अलग-अलग हिस्सों में चल-अचल संपति : दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु समेत अन्य स्थानों पर चल-अचल संपत्ति होने के चलते अदालत को इन संपत्ति का ब्योरा और परिवार के हालात को जानने में समय लगा। गवाहों के बयान भी दर्ज किए गए। दिसंबर 2019 में याचिकाकर्ता युवती की बीमारी की वजह से मौत हो गई। अदालत ने परिस्थितियां बदलने पर दस्तावेजों का दोबारा अध्ययन किया और पाया कि महिला ने याचिका में मुंबई में ही रहने वाली एक सहेली को नॉमिनी बनाया था। इसी आधार पर अदालत ने चल-अचल संपत्ति को उसकी सहेली के नाम ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी यही आदेश दिए

इस मामले में मुंबई की सम्पत्ति को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने वर्तमान हालात को देखते हुए दिल्ली की अदालत के अनुसार ही निर्णय दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि अब इस संपत्ति पर उसकी सहेली ही उत्तराधिकारी है, इसलिए संपत्ति उसके नाम ट्रांसफर कर दी जाए।