पद्मश्री के लिए नामित और लाशों के मसीहा कहे जाने वाली चाचा शरीफ इन दिनों बीमार हैं। पिछले कुछ दिनों से उनका स्वास्थ्य ज्यादा खराब है। बेबसी और मुफलिसी के चलते वह बीमारी से बिस्तर पर जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। उन्हें अब उस अवार्ड के मिलने का इंतजार है जो कोरोना के कारण नहीं मिल सका। प्रशासन तक जब इसकी सूचना पहुंची तो दवा और इलाज की व्यवस्था करवाई गई। 85 साल के पद्मश्री मोहम्मद शरीफ करीब 30 सालों से लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार का काम करते हैं। मोहम्मद शरीफ ने 28 साल पहले अपने बड़े बेटे मोहम्मद रईस की हादसे में मौत हो जाने के बाद यह काम शुरू किया था।
बताते हें कि बड़े बेटे की मौत हो जाने के बाद पुलिस ने शव का लावारिस समझ कर अंतिम संस्कार करा दिया, तभी उसे वह अंतिम संस्कार करते चले आ रहे हैं। उनके बीमार होने की सूचना पर जब प्रशासन को लगी तो डीएम अनुज कुमार झा ने एडीएम सिटी को निर्देश दिया। डीएम के निर्देश पर एडीएम सिटी वैभव शर्मा और जिला अस्पताल की एक टीम उनके घर गई। यहां मोहम्मद शरीफ को दवा दवाइयां देकर उनका चेकअप किया गया। मोहम्मद शरीफ पेशे से साइकिल मिस्त्री हैं। इस समय उनका स्वास्थ्य खराब है। इनके तीन में से दो बेटे सगीर ओर मोहम्मद अशरफ हैं। लोगों के अनुसार पिछले पांच महीनों से दोनों बेटे उनका इलाज करवा रहे हैं। एक बेटा मोहम्मद अशरफ बाइक मैकेनिक है और दूसरा मोहम्मद सागीर प्राइवेट ड्राइवर है।
पद्मश्री मोहम्मद शरीफ का हाल जानने पहुंचे पूर्व मंत्री
पद्मश्री मोहम्मद शरीफ के बीमार होने की खबर पाकर पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडेय उनका हालचाल लेने उनके घर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने आर्थिक मदद भी प्रदान की। पूर्व मंत्री ने कहा कि शरीफ को पूरा देश जानता है, वह अब तक 25 हजार से ज्यादा लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। पद्मश्री मोहम्मद शरीफ आज बीमार हैं यह बेहद अफसोस की बात है। इस दौरान उन्होंने प्रदेश सरकार पर भी कई आरोप लगाए। पूर्व मंत्री ने कहा कि पद्मश्री बुजुर्ग का यह सरकार हालचाल तक नहीं ले रही है। पूर्व मंत्री आगे भी मदद का भरोसा दिलाया।
सरकार से घर और पेंशन की गुहार लगा चुके हैं शरीफ चाचा
पद्मश्री मोहम्मद शरीफ चाचा ने बताया कि सर्दी की वजह से सीने में ज्यादा दर्द है। अभी तक पद्मश्री अवार्ड भी नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि उन्होंने सरकार से घर और पेंशन बांधने की भी गुहार लगाई है।उनके बेटे मोहम्मद अशरफ का कहना है कि पिछले पांच माह से अब्बू की तबीयत ठीक नहीं है। किसी तरह बस इलाज करवाया जा रहा है। रहने के लिए भी खुद का घर नहीं है। एक छोटे सा घर किराए पर है जिसमें परिवार के 20 सदस्य रहते हैं। उन्होंने सरकार से मदद की अपील करते हुए कहा है कि सरकार आर्थिक मदद के साथ घर भी उपलब्ध कराए।