अपर्णा यादव के दिए चंदे पर अखिलेश का BJP पर तंज, बोले-अवसर ढूंढने वालों ने आपदा में ढूंढा अवसर
akhilesh yadav

राम मंदिर निर्माण के लिए सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव द्वारा दिए गए 11 लाख रुपये के चंदे पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा पर तंज कसा। अखिलेश यादव ने कहा कि अवसर ढूंढने वालों ने आपदा में अवसर ढूंढ लिया है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा को क्या दक्षिणा स्वीकार नहीं है। हम राम मंदिर के लिए दक्षिणा दे रहे हैं। अखिलेश यादव ने सीएम योगी को भी घेरा। उन्होंने कहा कि उन पर आरोप है कि समाजवादी पार्टी ने आतंकवादियों के मुकदमे वापस लिये लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि सपा ने कभी अपने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और बलात्कारियों के मुद्दे कभी वापस नही लिये। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश की जनता वर्तमान भाजपा सरकार से परेशान हो चुकी है और अगले चुनाव में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने जा रही है।

पूर्व आईपीएस समेत कई ने थामा सपा का दामन
कांग्रेस की ऊषा मौर्य, जौनपुर से बसपा के तेज प्रताप मौर्य, विजय प्रताप कुशवाहा, बरेली से सलोना कुशवाहा, चंदौली से बसपा के सुधाकर मौर्य, मज़दूर यूनियन गाज़ियाबाद से बाबू सिंह आर्य सपा में शामिल हुए। इसी तरह से बसपा से वीरेंद्र सिंह, कृष्ण कुमार पाल, आजमगढ़ से कांग्रेस के डॉ अभिषेक राय, गोंडा से बीजेपी की सौम्या पांडेय, इलाहाबाद से कमल कुमार प्रजापति, शालिनी राकेश, रिटायर्ड आईपीएस रामेश्वर दयाल ने पार्टी की सदस्यता ली।

अखिलेश यादव की CM योगी को चुनौती-DNA का फुल फॉर्म बता दें
पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर जमकर हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री की भाषा, जो वो सदन या मंचों से बोलते हैं। एक मुख्यमंत्री इस तरह नहीं बोल सकता। अखिलेश ने कहा कि इनके डीएनए में विभाजन है अगर वह डीएनए का फुलफार्म बता दें तो हम जान जाएंगे की वो सीएम हैं। अखिलेश ने ये बातें शनिवार को पार्टी कार्यालय पर नए सदस्यों की ज्वाइनिंग के दौरान कहीं। सदस्यता ग्रहण करने के बाद 3 पुस्तकों डिसीजन, संग अदा के गाता चल, शीशा और पत्थर किताबों का विमोच भी किया गया। अखिलेश ने कहा कि सीएम विकास पर कम बोलते हैं। विकास पर बोलते तो प्रदेश का ज़्यादा भला होता। एमएसपी पर भी मुख्यमंत्री ने झूठ बोला। कृषि कानून पर केवल बड़े उद्योगपतियों को फायदा होगा। बढ़ती हुई मंहगाई पर बोले कि सरकार पता नहीं पैसा कहां ले जा रही है। अपनी नाकामी को छुपाने के लिए सरकार मंहगाई बढ़ा रही है। मंहगाई बढ़ने से आम लोग परेशान हैं।