नाला की शिकायत पर कार्रवाई होती तो नहीं होता हादसा

मुरादनगर। अधिकारियों की मेहरबारी का आलम यह था कि मुरादनगर पालिका परिषद द्वारा नगर में कराए गए अधिकांश बड़े निर्माण कार्य का ठेका आरोपी ठेकेदार अजय त्यागी के पास था। घटिया  सामग्री लगाने को लेकर की गई हर शिकायत को रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता था। ईदगाह कॉलोनी में बनाए गए नाले में घटिया सामग्री लगाने के विरोध में कई बार प्रदर्शन भी किया गया था। यदि उसी समय ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई हो जाती तो शायद आज श्मशान घाट वाला हादसा नहीं होता। 

नगर निगम में ठेकादारी करने वाला ठेकादार मुरादनगर नगर पालिका परिषद में कैसे आकर विकास कार्य करने लगा इस बात की चर्चा नगर पालिका परिषद मुरादनगर व निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदारों के बीच होती थी। अजय त्यागी काफी समय से गाजियाबाद नगर निगम में ठेकेदारी किया करता था। नगर निगम में भी उसका जलवा हमेशा कायम रहता था। पिछले दो साल से अजय त्यागी ने मुरादनगर पालिका परिषद में ठेकेदारी करनी शुरू कर दी। कम समय में ही उसने पालिका परिषद में ठेकेदारी करने वालों को पछाड़ दिया था।  पालिका परिषद के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इन दिनों पालिका परिषद में अधिकांश बड़े काम अजय त्यागी की फर्म के नाम पर ही हैं।  यह भी बताया जा रहा है कि अपनी फर्म पर ठेका लेने के बाद वह निर्माण कार्य किसी अन्य ठेकेदार द्वारा करवाता था।

बता दें कि पाइललाइन मार्ग से लेकर जलालपुर तक नाला निर्माण व उसे कवर करने का ठेका 86 लाख रुपये से अधिक में छोड़ा गया था। ऑनलाइन टेंडऱ के माध्यम से छोड़े गया ठेका अजय त्यागी की फर्म के पास ही था। ईदगाह कॉलोनी निवासी महताब खान ने बताया कि जून 2020 में नाला निर्माण का कार्य शुरू किया गया था। नाले में पीली ईंट के अलावा घटिया सामग्री लगाई जा रही थी। उन्होंने बताया कि कॉलोनी के लोगों के साथ मिलकर मैंने निर्माण कार्य रोककर जमकर हंगामा भी किया था। इतना ही नहीं इसकी शिकायत उपजिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल तक भी की गई थी। शिकायत पर अधिशासी अधिकारी निहारिका चौहान मौके पर आईं थीं और निर्माण कार्य में गुणवत्ता लाने की बात कही थी। इतना ही नहीं निर्माण करते समय नाले की दीवार कई बार गिरी भी थी। शिकायत करने के बाबजूद भी ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। लोगों का कहना है कि यदि उसी समय ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो जाती तो शायद आज यह श्मशान घाट वाला हादसा नहीं होता।