छह महीने फरार रहे विपुल ने रेलवे स्‍टेशन और बस अड्डे पर गुजारीं कई रातें

बड़े अपराधियों, माफिया और डॉन की तरह ही विपुल दुबे ने भी छह माह तक फोन का इस्तेमाल नहीं किया। सर्विलांस सिस्टम से दूर विपुल किन-किन रिश्तेदारों के यहां रहा और उसकी किसने किस तरह से मदद की, यह पुलिस के लिए एक बड़ी पहेली हो गया है। हालांकि, पुलिस विपुल का मोबाइल तलाशने का प्रयास कर रही है। उससे कई और तथ्यों का खुलासा होने की पूरी संभावना है।

2 जुलाई की देर रात विपुल दुबे बिकरू से भागा। उसके बाद 3 अगस्त तक उसने मोबाइल का प्रयोग किया। वहां तक का रिकॉर्ड पुलिस के पास है। उसके बाद उसने फोन बंद कर दिया था। इसके कारण पुलिस को उसकी लोकेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं हो पा रही थी।

देहात और कानपुर में मिल रही थी जानकारी
पुलिस ने जब ग्राउंड लेवल पर उसके बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास किया तो कई बार उसकी लोकेशन कानपुर देहात और शहर के कुछ इलाकों में मिली। पुलिस ने इन छह माह में उसे पकड़ने के लिए दबिश भी दी मगर कुछ भी हाथ नहीं लगा। मोबाइल का इस्तेमाल न होने के कारण पुलिस यह भी पता नहीं लगा पाई है कि वह किस रिश्तेदार के यहां कितने दिन रुका है।

अब पूरक चार्जशीट तैयार करेगी पुलिस

विपुल की गिरफ्तारी के साथ ही पुलिस इस मामले में अब पूरक चार्जशीट तैयार करेगी। उमाकांत और विपुल के फरार होने के कारण पुलिस पूरक चार्जशीट तैयार नहीं कर पा रही थी। उमाकांत ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और विपुल को आखिरकार पुलिस ने देर रात गिरफ्तार कर लिया। पूरक चार्जशीट में आरोपितों के ब्योरे के अलावा पुलिस एनकाउंटर को लेकर फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट के अलावा बैलेस्टिक रिपोर्ट आदि दाखिल करेगी। इसी में मनु पाण्डेय का भविष्य भी तय हो जाएगा कि पुलिस उसे आरोपित बनाएगी कि नहीं।

रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर कई रातें बिताईं
पूछताछ में विपुल ने बताया कि फरारी के दौरान वह कई राते रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर काटी थी। वहां पर जाकर वह सो जाता था और आसपास के ढाबों का इस्तेमाल खाना खाने के लिए करता था। उसके मुताबिक जैसे ही इलाके में पुलिस मूवमेंट बढ़ता था, वह अपना ठिकाना बदल देता था।